योगी सरकार द्वारा धर्मांतरण के लिए लाए जा रहे प्रस्तावित कानून में 'लव जिहाद' शब्द का जिक्र नहीं
नई दिल्ली। सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी की भाजपा सरकार ने घोषणा की है कि वह जल्द 'लव जिहाद' निपटने के लिए एक सख्त कानून लाएगी, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि प्रस्तावित विधेयक में तथाकथित लव जेहाद शब्द का कोई उल्लेख नहीं होगा। लव जिहाद शब्द को अंतरजातीय विवाह को लक्षित करने के लिए गढ़ा गया है, जिसमें मुस्लिम पुरुषों को आरोपित किया जाता है कि वो एक बड़ी साजिश के तहत हिंदू महिलाओं को बहकाकर उनका धर्म बदलने की कोशिश करते हैं।
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गौरतलब है वर्तमान में यूपी के कानून विभाग में विचाराधीन 'लव जिहाद' पर प्रस्तावित कानून को अवैध रूप से धर्मांतरण निषेध कानून' कहा जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल को कुछ दिनों में इसकी मंजूरी मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद विधेयक को यूपी विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में रखे जाने की संभावना है। राज्य विधि आयोग द्वारा तैयार इस विधेयक पिछले साल सरकार को भेजा गया था। इसकी एक संशोधित प्रति हाल ही में राज्य के गृह विभाग को दोबारा भेजी गई थी।
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नेटवर्क 18 ग्रुप से एक बातचीत में विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदित्य मित्तल ने बताया कि विधयेक में 'लव जिहाद' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि इस विधेयक में सभी धर्मों से संबंधित धर्म परिवर्तन को नए कानून के तहत कवर किए जाएंगे और यह केवल हिंदू-मुस्लिम धर्म परिवर्तन या शादी के विशिष्ट् उद्देश्य के लिए किए गए धर्म परिवर्तन पर केंद्रित नहीं होगा।
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प्रस्तावित कानून के प्रावधानों के बारे में बताते हुए आयोग प्रमुख ने विधेयक में इस बात पर जोर दिया है कि इसमें किसी भी तरह से किसी व्यक्ति के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि संभावित कानून के तहत अंतरजातीय विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के माध्यम से तहत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
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उन्होंने बताया कि प्रस्तावित अधिनियम के तहत स्वैच्छिक शादी के लिए तैयार जोड़े को शादी की इच्छा व्यक्त करते हुए जिला मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पहुंचने की जरूरत होगी और इस तरह के अनुरोध के बाद प्रशासन 30-दिन नोटिस जारी करता है और इस अवधि के दौरान ऐसे प्रस्तावित विवाह पर आपत्तियां उठाई जा सकती हैं। न्यायमूर्ति मित्तल के अनुसार विधेयक का मसौदा न तो अंतरजातीय विवाह पर प्रतिबंध लगाता है और न ही उन्हें हतोत्साहित करता है।
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उल्लेखनीय है प्रस्तावित कानून के तहत किसी को भी शादी के माध्यम से धर्म परिवर्तन के लिए किसी को लालच देने का दोषी पाया गया तो पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के बाद उसे कोर्ट में सुनवाई का सामना करना पड़ सकता है और यदि आरोप सिद्ध हो जाता है, तो सामान्य श्रेणी की पीड़ित महिला की दशा में आरोपी को 5 साल तक की सश्रम कारावास की सजा हो सकती है, जबकि पीड़िता के नाबालिग या दलित होने की स्थिति में सजा की मात्रा 10 साल तक बढ़ सकती है।
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