बिहार चुनाव : जाग गया है मुस्लिम मतदाता
उसी मुस्लिम तबके की इस मजबुरी को हमारे देश के नेतागण भी अपनी चुनावी जन सभाओं में बेहद भूनाते हैं। जब राजनेताओं के पास अपने कहने के लिए कुछ नहीं होता है तो वो किसी समुदाय विशेष की समस्याओं को अपना हथियार बना कर पेश करने लग जाते हैं।
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हमेशा जातिवाद की आंधी में मु्स्लिम समुदाय को लेपट लिया जाता है। लेकिन पहले चरण में हुए मुस्लिम समुदाओं की भागीदारी ये साबित करती है कि आज का मतदाता जागरूक हो चुका है। उसे अपने सही और गलत का अंदाजा है तभी तो वो अपने मतों को प्रयोग करने में सबसे आगे हैं। उसे पता चल चुका है कि अगर उसे अपना और देश का भला करना है तो उसे अपने मतो को यथा संभव प्रयोग करना पड़ेगा, ताकी उसे आगे पछताना न पड़े ।
आपको बता दें कि 21 अक्टूबर को बिहार के आठ जिलों के 47 सीटों पर मतदान हुआ है , उनमें कोरहा, आलमनगर, बिहारीगंज, सिंहश्वेर, मधेपुरा, सोनबर्षा जैसे वो इलाके थे जहां मुस्लिम लोगों का बोलबाला है, वहां के लोगों में अपने वोटों को लेकर काफी उत्सुकता देखी गई है। ताजुज्ब ये है कि इनमें से ज्यादा संख्या मुस्लिम महिलाओं की है, कभी पर्दे और घर की चार दीवारों में अपनी जिंदगी गुजारने वाली मुस्लिम महिलाओं को भी आज अपने अधिकारों के बारे में पता चल गया है, उन्हें ये पता है कि क्या गलत है ओर क्या सही।
खैर नतीजा चाहे जो भी हो, सरकार किसी की भी बनें, सीएम की कुर्सी पर कोई भी बैठे, इतना तय है कि आज का मुस्लिम मतदाता जागरूक हो चुका है, उसे अपने हक, अधिकारों के बारे में अच्छे से पता है। विकास और जागरूकता की लहर बह चुकी है, इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि बिहार के चुनाव परिणाम जनता को निराश करने वाले नहीं होंगे। क्योंकि फैसला जनता को करना है, और आज की जनता आंखे खोलकर और खुद पर विश्वास करके काम कर रही है।