कांग्रेस ने राहुल को दूसरा जयप्रकाश नारायण बताया
कांग्रेस ने तुरुप चाल चलते हुए गुरुवार को दिवंगत समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण से राहुल गांधी की तुलना करते हुए कहा कि पार्टी महासचिव का ध्यान युवाओं की जरूरतों, उनकी चिंताओं और उनके भविष्य पर है। कांग्रेस प्रवक्ता मोहन प्रकाश ने यहां कहा, "बिहार में कांग्रेस की अंदरूनी लहर चल रही है। जयप्रकाश नारायण के बाद राहुल गांधी ही युवाओं की चिंताओं, जरूरतों और भविष्य के बारे में सोचते हैं।"
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उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ही ऐसे नेता थे जिन्हें बच्चों से प्यार है। इसी तरह जयप्रकाश नारायण के बाद राहुल ही ऐसे नेता हैं जो युवाओं से लगाव रखते हैं। सवाल पूछने पर मोहन ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह जयप्रकाश नारायण और राहुल में तुलना नहीं कर रहे हैं। जे.पी. आपातकाल के विरोध का प्रतीक थे।
मोहन ने कहा कि राहुल ने देशभर के विश्वविद्यालयों में जाकर वहां के छात्रों को संबोधित किया। अन्य किसी भी नेता ने ऐसा नहीं किया। बिहार में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (युनाइटेड) तथा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और लोक जनशक्ति पार्टी के बीच गठबंधन को 'अस्वाभाविक और अस्थायी' बताते हुए उन्होंने कहा कि लोग कांग्रेस के विकास कार्यो को देख रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में लालू प्रसाद का राजद 'आखिरी पारी' खेल रहा है।
तो क्या ये मान लिया जाए कि कांग्रेस समाजवाद को सही मान रही है, अगर सत्ता प्रेम नहीं है तो और फिर क्या है, जब राहुल यूपी के मंच पर खड़े होकर समाजवाद की निंदा करते है, तो उस समय कांग्रेस कहती है कि समाजवाद के नाम पर पार्टियां भेदभाव फैल रही है, औऱ वही राहुल जब बिहार के मंच पर खड़े होते हैं तो कांग्रेस उन्हें दूसरा जेपी करार देती है। आखिर क्यों एक ही व्यक्ति दो अलग रूपों में नजर आता है, अब फैसला जनता करेगी कि कांग्रेस की सियासी चाल का वो क्या जवाब देती है?