अजय माकन के बगैर मिले रवाना होते ही अशोक गहलोत को हो गया था गलती का एहसास, प्रायश्चित के लिए गए थे दिल्ली !
जयपुर, 30 सितंबर। राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के खेमे के नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी लगा दी है। इसे देखते हुए कांग्रेस संगठन के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एडवाइजरी जारी कर नेताओं की बयानबाजी पर लगाम लगाने की कोशिश की है। एडवाइजरी में कहा गया कि पार्टी के आंतरिक मामलों को लेकर किसी ने भी बयान बाजी की या किसी नेता विशेष को लेकर बयान दिया तो अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए तैयार रहें। राजस्थान में घटित हुए सियासी घटनाक्रम के दिन ही यह तय हो गया था कि अशोक गहलोत खेमा गलती कर गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस बात का एहसास तभी हो गया था। जब प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन उनसे मुलाकात किए बगैर दिल्ली चले गए। बावजूद इसके नेताओं की बयानबाजी जारी रही।
सियासी घटनाक्रम पर अशोक गहलोत की सहमति
राजस्थान में रविवार को जो सियासी घटनाक्रम चला। उसमें सीधे तौर पर अशोक गहलोत का हाथ तो नहीं था। लेकिन उनकी सहमति थी। प्रभारी अजय माकन ने सोनिया गांधी को सौंपी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है। रिपोर्ट में बताया गया कि शांति धारीवाल इतने बड़े नेता नहीं है कि उनके कहने पर बड़ी संख्या में राजस्थान के विधायक उनके आवास पर एकत्रित हो जाएं। यही वजह है कि माकन की रिपोर्ट के आधार पर शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
हाईकमान ने समानांतर बैठक को सीधे तौर पर चुनौती माना
हालांकि नोटिस जारी होने के बाद यह मामला कुछ दिनों के लिए शांत हो गया है। लेकिन कांग्रेस हाईकमान विधायक दल के समानांतर बैठक बुलाए जाने को लेकर असहज हैं। हाईकमान ने इस पूरे प्रकरण को सीधे तौर पर चुनौती माना है। कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी का पता तब चला जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रभारी अजय माकन से मिलने होटल पहुंचे। लेकिन गहलोत से मिले बगैर ही माकन एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए। अशोक गहलोत को उसी समय एहसास हो गया कि वह गलती कर बैठे हैं। गहलोत यह भी समझ गए थे कि हाईकमान की ओर से माकन को स्पष्ट संकेत मिल चुके हैं कि अनुशासनहीनता को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गहलोत गुट की माकन को गलत ठहराने की रणनीति
माकन की रिपोर्ट पर तीन नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी होते ही स्पष्ट हो गया था कि भले ही इस पूरे प्रकरण में अशोक गहलोत की सीधे भूमिका नहीं हो। लेकिन उनकी सहमति के बगैर कुछ भी संभव नहीं था। इसके बावजूद शांति धारीवाल और धर्मेंद्र राठौड़ सहित अन्य नेता अजय माकन को ही गलत ठहराने में जुट गए। यह नेता माकन के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी करने लगे। इससे कांग्रेस हाईकमान गहलोत खेमे के और खिलाफ हो गया। माकन की रिपोर्ट के बाद हाईकमान ने स्पष्ट संकेत दे दिया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हाईकमान का आदेश मानने की स्थिति में ही दिल्ली आए। मुकुल वासनिक के जरिए गहलोत की मुलाकात में और साफ किया गया कि हाईकमान उनकी सफाई सुनने के पक्ष में नहीं है। यही वजह रही कि गहलोत ने बाहर आकर कहा कि मैंने कांग्रेस अध्यक्ष से माफी मांग ली है। यह अपने आप में बड़ी घटना थी।