क्यों देश की राजनीति के 'मौसम वैज्ञानिक' कहे जाते थे राम विलास पासवान
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया। वे 74 साल के थे। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में भर्ती थे। पासवान के बेटे चिराग पासवान ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी। भारत की राजनीति में 'मौसम वैज्ञानिक' के नाम से भी पहचाने जाने वाले रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर पांच दशक से भी पुराना है। पांच दशकों में रामविलास पासवान 8 बार लोकसभा के सदस्य और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे। पासवान उस वक्त बिहार विधानसभा के सदस्य बन गए थे, जब लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार अपने छात्र जीवन में ही थे।
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रामविलास पासवान से अच्छा मौमस वैज्ञानिक भारत की राजनीति में नहीं :लालू यादव
आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव कई बार कह चुके हैं कि रामविलास पासवान से अच्छा मौमस वैज्ञानिक भारत की राजनीति में नहीं हुआ। रामविलास पासवान चुनाव से पहले भांप लेते हैं कि जनता का मूड क्या है। यही वजह से है कि रामविलास पासवान 1990 से हमेशा सत्ता के साथ रहे हैं। केवल 2009 का लोकसभा चुनाव अपवाद है जब रामविलास पासवान राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक रूप में फेल रहे थे।
पासवान पांच प्रधानमंत्रियों के साथ और लगभग हर सरकार में रह चुके हैं
74 वर्षीय पासवान भी लालू प्रसाद यादव, सुशील कुमार मोदी, नीतीश कुमार के दौर के राजनेता रहे। इन सबमें सबसे पहले लालू प्रसाद यादव को सत्ता सुख भोगने का मौका मिला। रामविलास पासवान मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में भी एक अलग लाइन लेकर आगे बढ़ते रहे। पासवान पांच प्रधानमंत्रियों के साथ और लगभग हर सरकार में रह चुके हैं। वह 1996 से 2015 तक सभी राष्ट्रीय गठबंधनों यूनाइटेड फ्रंट, एनडीए और यूपीए में शामिल रहे हैं।
8 बार लोकसभा के सांसद रहे
रामविलास पासवान जनता पार्टी से 1977 में पहली बार बिहार में हाजीपुर सीट से सांसद बने थे। वह 9वीं लोकसभा में फिर से सांसद चुने गए और जनता दल के नेतृत्व में वीपी सिंह की सरकार में श्रमिक एवं कल्याण मंत्री बने। जब एचडी देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बनें तो पासवान को रेल मंत्री के तौर पर एक बड़े मंत्रालय की ज़िम्मेदारी मिली। सियासत के बदलते मिजाज को भांपते हुए पासवान साल 1999 में एनडीए में शामिल हो गए। चुनाव में एनडीए की भारी जीत हुई और वो वाजपेयी की सरकार में पहले संचार मंत्री और फिर बाद में कोयला मंत्री बने।
आज भारतीय राजनीति का मौसम विज्ञानी हमारे बीच नहीं है
बीजेपी के साथ उनकी जुगलबंदी हमेशा के लिए नहीं चल पाई। 1999 से 2004 तक वो बीजेपी में रहे। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पाला बदल लिया और वे यूपीए में शामिल हो गए। इसके बाद वह मनमोहन सिंह की सरकार में 2009 तक रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय संभाते रहे। 2009 में रामविलास पासवान मौसम गलती कर गए। राम विलास पासवान 2009 के लोकसभा चुनाव में भले ही मौसम का मिजाज भांपने में असफल रहे लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में पिछली बार हुई गलती के चलते हिचक रहे पासवान को अपने बेटे का सहारा मिला। उनके बेटे चिराग पासवान ने मुस्लिम वोटों को नजरअंदाज कर अपनी पार्टी एलजेपी को एनडीए का घटक दल बनाने की घोषणा कर दी। इसके बाद में मोदी सरकार में मंत्री बने, लेकिन आज भारतीय राजनीति का मौसम विज्ञानी हमारे बीच नहीं है।
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