खाली करने से पहले बंगले में लगाई गई रामविलास पासवान की प्रतिमा, फिर से बढ़ी रार
पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिवंगत रामविलास पासवान के दिल्ली स्थित 12 जनपथ सरकारी आवास को खाली कराए जाने को लेकर चर्चा के बीच इस बंगले में रामविलास पासवान की मूर्ति लगा दी गई है। बता दें कि रामविलास के बेटे चिराग ने बंगला खाली करने के लिए कुछ वक्त मांगा था। बता दें कि रामविलास पासवान के निधन के बाद सरकारी आवास 12 जनपथ को खाली करने का आदेश दिया गया था। पिछले दिनों ही यह बंगला रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित हुआ था। नए केंद्रीय मंत्रियों को बंगला अलॉट होना शुरू हो गया है। लेकिन अब बंगला खाली करने की चर्चा के बीच रामविलास पासवान की प्रतिमा स्थापित कर दी गई है।
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घर के अंदर रामविलास पासवान स्मृति का बोर्ड भी लगा दिया गया है। रामविलास पासवान पिछले 31 साल से 12 जनपथ में रहते थे। उनके निधन के बाद वहां अभी चिराग पासवान अपनी माताजी के साथ रहते हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय के अधीन डायरेक्टोरेट ऑफ इस्टेट ने पिछले महीने की 14 तारीख को चिराग पासवान को 12, जनपथ का बंगला खाली करने का नोटिस भेजा था। इसके बाद चिराग ने बंगला खाली करने के लिए कुछ और मोहलत मांगी थी।
साथ ही यह भी पूछा था कि क्या वो अपने पिता के मृत्यु की पहली बरसी तक 12, जनपथ का सरकारी बंगला अपने पास रख सकते हैं। गौरतलब है कि चिराग पासवान के चाचा और रामविलास पासवान के भाई केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ये बंगला लेने से ये कहते हुए इनकार कर चुके हैं कि इससे गलत सियासी संदेश जाएगा।
बता दें कि खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस को 7 तुगलक रोड एवं स्टील मंत्री आरसीपी सिंह को 8 तीस जनवरी मार्ग बंगला अलॉट हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, पारस और आरसीपी सिंह ने 12 जनपथ के बंगले का ऑफर ठुकरा दिया था। सूत्रों का कहना है कि पासवान परिवार चाहता था कि 8 अक्टूबर को रामविलास पासवान की पहली पुण्य तिथि तक इस बंगले को अपने पास रखा जाए। लेकिन अब बंगला खाली करने की चर्चा के बीच रामविलास पासवान की प्रतिमा स्थापित कर दी गई है।
जिस बंगले में 31 साल रहे रामविलास पासवान, अब चिराग को मिला वो खाली करने का फरमान
घर के अंदर रामविलास पासवान स्मृति का बोर्ड भी लग गया है। वहीं इस मामले पर लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय युवा विंग के अध्यक्ष यामिनी मिश्रा ने कहा कि दिवंगत रामविलास पासवान की प्रतिमा लगाने के पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं है। यह केवल उन्हें सम्मान देने के लिए किया गया था। उन्हें देश में दूसरे अम्बेडकर के रूप में जाना जाता था