International Nurses Day: देशभर की नर्सों को मोदी सरकार दे रही ये एक खास पहचान
International Nurses Day:देशभर की नर्सों को मोदी सरकार दे रही ये एक खास पहचान
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के इस दौर में नर्स बेहद अहम भूमिका निभा रही हैं। वो अपनी जान की परवाह किए बगैर मरीजों का इलाज करने में मदद कर रही हैं। अपने घरों से दूर, परिवार से दूर रहकर अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर रही हैं। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है। इस दिन इनकी सेवा को याद करना जरूरी है, क्योंकि बिना नर्सिंग स्टाफ के इस लड़ाई को लड़ना मुमकिन नहीं है। सरकार भी देश भर में अलग-अलग जगहों पर काम करने वाली नर्सों के लिए एक महत्पवूर्ण पहल की हैं।
सरकार ने की ये पहल
आने
वाले
दिनों
में
नर्स
अपने
नाम
या
सरनेम
से
नहीं
बल्कि
उनकी
एक
खास
पहचान
से
होगी।
दरअसल,
देश
के
विभिन्न
स्थानों
पर
काम
कर
रहीं
नर्सों
को
नर्सिंग
रजिस्ट्रेशन
एवं
ट्रैकिंग
सिस्टम
से
जोड़ा
जाना
शुरु
कर
दिया
गया
हैं।
इस
सिस्टम
से
जोड़ने
के
बाद
सभी
नर्सों
को
एक
नंबर
दिया
जाएगा,
जिससे
सभी
की
पहचान
की
जा
सकेगी।
यानी
की
ये
नंबर
ही
उनकी
पहचान
होगी।
मालूम
हो
कि
इस
सिस्टम
पर
सभी
नर्सों
का
डाटा
अपलोड
किया
जा
रहा
है।
इस
सिस्टम
का
उद्देश्य
ये
ही
कि
जिस
अस्पताल
में
नर्स
डयूटी
कर
रही
उस
अस्पताल
की
लोकेशन
ली
जा
सके।
इसके
साथ
ही
सभी
नर्स
एक
प्लेटफॉर्म
पर
होंगी।
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यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाएगा
गौरतलब हैं कि पिछले दिनों लोकसभा में उठे एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने ये जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि इस सिस्टम पर सभी नर्सों का डाटा अपलोड किया जा रहा है। डाटा अपलोड होते ही एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी एक यूएनआई नंबर जेनरेट हो जाता है। यही नंबर अब नर्सों की पहचान बनेगा। देशभर में इसी नंबर से किसी भी नर्स के ड्यूटी वाले अस्पताल की लोकेशन ली जा सकेगी।
जानिए किसको समर्पित हैं ये नर्स दिवस
आज इंटरनेशनल नर्सिंग डे है ये विशेष दिवस फ्लोरेंस नाइटिंगेल नामक महिला के जन्मदिन के असवर पर मनाया जाता हैं। इन्हीं ने पूरी दुनिया के लोगों को नर्सिंग का मतलब समझाया। फ्लोरेंस नाइटिंगल की वजह से ही ब्रिटेन में नर्सिंग के पेशे और अस्पतालों का रंग रूप बदला। इनका जन्म इटली के फ्लोरेंस में हुआ था इसी के चलते उन्हें फ्लोरेंस नाइटिंगल नाम मिला। वो ब्रिटेन के एक उच्च मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुई। फ्लोरेंस नाइटिंगेल का बचपन ब्रिटेन के पार्थेनोप इलाके में पिता की सामंती जागीर में बीता था। वो युद्ध के मैदान से घायलों को उठवाकरअस्पताल में ले जाती और फिर उनकी सेवा करती थी। फ्लोरेंस नाइटिंगेल गणित की जीनियस थीं। उन्होंने भारत में भी काफी दिनों तक काम किया। यहां के अस्पतालों और स्वच्छ पानी को लेकर किए गए काम के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। बल्कि वो इस संबंध में बाद में लगातार भारत से रिपोर्ट मंगाकर उस पर अपने सुझाव भी देतीं रहीं।
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