क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

चांद पर बस्तियां बसाने के सपने को पूरा करने में काम आएगा मनुष्‍य का मूत्र, जानिए कैसे?

चांद पर बस्तियां बसाने के सपने को पूरा करने में काम आएगी मनुष्‍य का मूत्र, जानिए कैसे?

Google Oneindia News

बेंगलुरु। पिछले कई दशकों से वैज्ञानिक चांद पर मनुष्‍यों को बसाने संबंधी संभावनाओं को मुमकिन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। चांद पर मनुष्‍यों के बसाने के लिए वैज्ञानिक वर्षों से एक के बाद एक शोध कर रहे हैं। मालूमे अमेरिकी अंतर‍िक्ष एजेंसी नासा और यूरोपीय अंतर‍िक्ष एजेंसी और चीनी अंतरिक्ष एजेंसी आने वाले कुछ दशकों में चंद्रमा पर ब‍स्‍ती बसाने की योजना पर काम कर रही हैं। अब चांद पर बस्‍ती बसाने का सपना देख रही दुनिया के लिए एक अच्‍छी खबर सामने आई हैं वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है।

चांद पर बनने वाली कंक्रीट में उपयोग होगी अंतरिक्ष यात्रियों की पेशाब

चांद पर बनने वाली कंक्रीट में उपयोग होगी अंतरिक्ष यात्रियों की पेशाब

दरअसल, वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर मनुष्‍यों की बस्‍ती बसाने के लिए बेहद सस्‍ता और आसान विकल्‍प ढूढ़ निकाला है। वैज्ञानिकों ने हाल में किए गए शोध में पाया हैं अंतर‍िक्षयात्रियों के मूत्र और चंद्रमा की मिट्टी को मिलाकर भविष्‍य में चंद्रमा पर बस्तियां बसाई जा सकती हैं। इससे पृथ्‍वी से चंद्रमा पर सामान भेजने का खर्च भी बच जाएगा। चांद पर इंसानी बस्ती बसाने के सपने को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक चांद पर ही अंतरिक्षयात्रियों के यूरीन का कांक्रीट के रुप में प्रयोग किए जाने की योजना है।

मूत्र की यूरिया से

मूत्र की यूरिया से "चंद्र कंक्रीट" होगी तैयार

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने पाया किने कहा कि मूत्र में मुख्य कार्बनिक यौगिक यूरिया को एक "चंद्र कंक्रीट" के लिए मिश्रण से मजबूज बिल्डिंग ब्लॉक्स तैयार किए जा सकते हैं । इंसान के यूरिन के अंदर पाए जाने वाले यूरिया को चंद्रमा की मिट्टी से मिलाकर एक 3डी प्र‍िंटेड कंक्रीट का लचीला ढांचा बनाया जा सकता है। पेमिइस ने कहा कि इंसान के यूरिन में दो मुख्‍य घटक पानी और यूरिया होते हैं। यूरिया हाइड्रोजन बांड को टूटने में मदद करता है और लिक्विड मिक्‍चर को बांधने में मदद करता है। यूरिन से बने कंक्रीट का इस्‍तेमाल चंद्रमा पर बस्तियों का ढांचा बनाने में किया जा सकता है। यह ढांचा कम भुराभुरा होगा और बेहद लचीला होगा। यह चंद्रमा के बेहद खराब वातावरण में भी खड़ा रहेगा। चंद्रमा पर दिन में तापमान 250 डिग्री तक पहुंच जाता है वहीं रात में यह माइनस 250 फारेनहाइट तक पहुंच जाता है। "चंद्र कंक्रीट" में मुख्य घटक चंद्रमा की सतह पर पाया जाने वाला एक चूर्ण मिट्टी होगा जो चंद्र रेजोलिथ के रूप में जाना जाता है। ईएसए ने कहा कि यूरिया, जो हाइड्रोजन बांड को तोड़ सकता है और द्रव मिश्रण की चिपचिपाहट को कम कर सकता है, नुस्खा में आवश्यक पानी की मात्रा को सीमित करेगा।

 ऐसे काम आएगी यूरीन

ऐसे काम आएगी यूरीन

उन्‍होंने कहा कि 1.5 लीटर मूत्र एक व्यक्ति एक दिन में उत्पन्न करता है जो चन्‍द्रमा पर बस्‍ती बसाने के लिए महत्‍पूर्ण साबित होगा। क्लीनर प्रोडक्शन के जनरल में प्रकाशित लेख के अनुसार यूरीन को प्लास्टिसाइजर के तौर पर उपयोग में लाने की संभावनाओं का अध्ययन किया हैं। प्लास्टिसाइजर कंक्रीट में मिलाने से यह सख्त होने से पहले नरम होता है और उसे किसी भी रुप में ढालने में बहुत असानी होती हैं। बता दें पृथ्वी पर, यूरिया का उपयोग औद्योगिक उर्वरक और रासायनिक और चिकित्सा कंपनियों द्वारा कच्चे माल के रूप में किया जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि "यह बहुत व्यावहारिक है, और अंतरिक्ष में परिष्कृत जल पुनर्चक्रण प्रणालियों को और जटिल करने से बचा जाता है।"

चांद पर निर्माण सामग्री उपलब्ध करना भी बहुत बड़ी चुनौती हैं

चांद पर निर्माण सामग्री उपलब्ध करना भी बहुत बड़ी चुनौती हैं

चांद पर बस्‍ती बसाने के वैज्ञानिक सोच तो रहे हैं लेकिन चंद्रमा की सतह सांस लेने लायक वातावरण, रेडिएशन, अत्‍यधिक तापमान और उल्‍कापिंडों के लगातार गिरते रहने की वजह से चंद्रमा पर लंबे समय तक रहने के लिए एक मजबूत ढांचे की जरूरत होगी। ऐसे में वैज्ञानिकों ने बस्‍ती बसानें के लिए अंतर‍िक्षयात्रियों के मूत्र से कन्‍ट्रक्शन करना आसान होगा। मालूम हो कि स्पेन में म्यूर्सिया की कार्टाजेना पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं सहित वैज्ञानिक इस चुनौती पर शोध कर रहे हैं कि चांद पर कॉलोनी बसाने में बहुत सी चुनौतियां सामने आएंगी जिनमें हाई रेडिएशन, उच्च तापमान, क्षुद्रग्रहों का बार बार टकराना, आदि। इनमें से एक निर्माण सामग्री उपलब्ध करना भी बहुत बड़ी चुनौती हैं।

पृथ्‍वी से समान भेजने पर आएगा अधिक खर्च

पृथ्‍वी से समान भेजने पर आएगा अधिक खर्च

वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी से 0.45 किलोग्राम का ही सामान चांद पर भेजने में 10 हजार डॉलर का खर्च आएगा और धरती से सामान भेजे जाने पर निर्माण करने की लागत बहुत ही ज्यादा बढ़ जाएगी। यहीं कारण हैं चांद पर जीवन तलाशने के बाद से वैज्ञानिक इस बात पर शोध कर रहे हैं कि चांद पर निर्माण के लिए कच्चा माल चांद की ही धरती से उपयोग में लाया जाए। यहां तक कि एस्ट्रोनॉट्स की यूरीन का भी उपयोग किया जा सकता है।

अभी वैज्ञानिकों के सामने ये हैं चुनौतियां

अभी वैज्ञानिकों के सामने ये हैं चुनौतियां

रोमन पामीज के अनुसर चांद पर जियोपॉलीमर बनाने के लिए चांद पर उपलब्ध मिट्टी जिसे चंद्र रेजोलिथ के रूप में जाना जाता है और वहां पर कुछ क्षेत्रों में उपलब्ध बर्फ का पानी भी निर्माण कार्य में उपयोग किया जाएगा। वैज्ञानिकों ने अपने शोध में लिखा कि हमें यह भी देखा कि वहां के वेस्ट प्रोडक्ट जैसे कि वहां रहने वाले लोगों की यूरीन का उपयोग भी किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने अभी इस पर काम नहीं किया है कि एस्ट्रोनॉट्स की यूरीन निकाली कैसे जाएगी क्योंकि वे पहले यह देख रहे हैं ऐसा करना कितना जरूरी होगा। क्योंकि जियोपॉलीमर कंक्रीट के लिए और भी प्रयोग हो रहे हैं जिसमें दूसरे पदार्थों की भी जांच होनी है। फिलहाल चांद के लिए सबसे अच्छी निर्माण सामग्री की खोज पर काम चल रहा है।

Comments
English summary
Human urine could make lunar concrete for building Moon base: European Space Agency
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X