बेगूसराय में जीत के लिए जरूरी 4.5 लाख वोट कहां से जुटाएंगे कन्हैया?
नई दिल्ली। बेगूसराय में अगर जातीय समीकरणों के आधार पर वोट पड़े तो कन्हैया की जमानत जब्त हो जाएगी, मगर वो नए तरीके से चुनाव लड़ रहा है और उसे जाति से ऊपर उठकर वोट मिलेगा। बीते एक महीने से चुनाव प्रचार में जोर-शोर से जुटे सीपीआईएमएल के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने ये बात कही। बेगूसराय मौजूदा लोकसभा चुनाव की सबसे चर्चित सीट है, जिन्हें जातीय राजनीति की समझ है, वो उंगलियों पर गिन कर बता सकते हैं कि बेगूसराय में कन्हैया कुमार का जीतना नामुमकिन है। हालांकि बीते दो सालों में हिंदुस्तान की राजनीति ने दो ऐसे नामुमकिन देखें हैं, जिनके आईन में कन्हैया कुमार का बेगूसराय में जीतना बहुत मुश्किल नहीं लगता है। वो दो नामुमकिन हैं- 2014 में नरेंद्र मोदी की करिश्माई जीत और 2015 में दिल्ली में आप की ऐतिहासिक विजय।
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बेगुसराय सीट का हाल
जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर भारत के मध्य वर्ग ओर 2015 में दिल्ली के निम्न मध्य वर्ग की नब्ज का शोर सुना होगा, वो इस बात से कतई ना-इत्तेफाक़ नहीं होंगे। 2014 में उत्तर भारत का मध्य वर्ग जैसे नमो-नमो कह रहा था और 2015 में दिल्ली की निम्न मध्यम वर्गीय बस्तियों में जैसे झाड़ू का शोर सुनाई दे रहा था, बेगुसराय का युवा बिल्कुल वैसे ही इन दिनों कन्हैया-कन्हैया कह रहा है। रोचक पहलू ये है कि युवाओं में कन्हैया का ये जादू जातियों से परे है।
जेडीयू की रैली में कन्हैया कुमार के नाम के नारे
बेगूसराय का नवाब चौक मुस्लिम आबादी वाला इलाका है। मंगलवार की शाम वहां राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी तनवीर हसन की सभा हुई थी, जिसमें कन्हैया के नाम के नारे लगे थे। बुधवार की शाम उसी इलाके में एक चबूतरे पर बैठे मंसूर आलम से जब मैंने पूछा- किसे वोट कर रहे हैं आप लोग? उनका जवाब था- मुसलमान अपना वोट बर्बाद नहीं करेगा। मैंने पूछा- इस बात का मतलब क्या है? पास खड़े कलीमुदृीन ने बताया कि तनवीर हसन के साथ 5 पार्टियों का समर्थन है, हम वोट उसी को करेंगे, जो जीते. जब कलीमुदृीन ये दावा कर रहे थे, उसी समय वहां खड़े एक युवक टीपू उन्हें खारिज़ करने लगे। टीपू का कहना था कि कन्हैया युवा है, पढ़ा लिखा है, बेगूसराय का युवा उसे ही वोट करेगा। एक अन्य युवक मोहम्मद असग़र ने कहा कि बेगूसराय में इस बार जाति के आधार पर वोट नहीं होगा, कन्हैया बहुत बड़े अंतर से जीतेगा। नवाब चौक के पास का ही मोहल्ला है-पोखरिया, जो पासवान बहुल इलाका है. वहां एक मंदिर के पास खड़े युवाओं से चुनाव पर बातचीत शुरु हुई तो वहीं खड़े पप्पू पासवान ने बताया कि गिरिराज सिंह हमारे यहां का पानी भी नहीं पीते, हम उन्हें क्यों वोट करें। रामविलास पासवान के कहने पर इस बार एक वोट नहीं गिरेगा। उसी भीड़ में शामिल रंजन पासवान ने कहा कि आज कन्हैया के चलते बेगूसराय को सब लोग जान गए हैं, वही जीतेगा चुनाव।
क्या युवाओं का वोट जीत के लिए काफी होगा?
युवाओं में कन्हैया का जादू बेगुसराय की गलियों, गांवो और कस्बों में हर जगह महसूस किया जा सकता है, इनमें अधिकांश युवा फर्स्ट टाइम या सेकंड टाइम वोटर हैं. मगर सवाल ये है कि क्या युवाओं के वोटों की बदौलत चुनाव जीता जा सकता है? बेगूसराय में लगभग 19 लाख वोटर हैं, जिनमें 4.3 लाख भूमिहार और 3.2 लाख मुसलमान वोटर हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के भोला सिंह ने जीत हासिल की थी, उन्हें 4.28 लाख वो मिले थे. तनवीर हसन पिछली बार भी यहां से राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी थे, जिन्हें 3.69 लाख वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर सीपीआई के उम्मीदवार राजेंद्र प्रसाद सिंह थे, जिन्हें 1.92 लाख वोट मिले थे. हालांकि सीपीआई ने पिछला चुनाव जदयू के साथ गठबंधन में लड़ा था।
त्रिकोणीय मुक़ाबले की स्थिति
माना जा रहा है कि अगर चौथे चरण में भी बीते तीन चरणों की तर्ज पर 60 से 62 फीसदी वोटिंग हुई तो लगभग 12 लाख वोट पड़ेगे और त्रिकोणीय मुक़ाबले की स्थिति में जीतने वाले को लगभग 4.5 लाख वोटों की जरूरत पड़ेगी। कन्हैया कुमार 4.5 लाख वोट कैसे हासिल कर पाएंगे, इस सवाल के जवाब में वाम रणनीतिकार बस यही बता पाते हैं कि बेगूसराय में सीपीआई के पास 1.5 लाख कैडर वोट है ओर उसे मुसलमानों समेत सभी जातियों का वोट मिलेगा।
गिरिराज को सांप्रदायिकता, तनवीर को समीकरण का भरोसा
जातीय समीकरणों के गणित में भाजपा प्रत्याशी गिरिराज सिंह, राजद प्रत्याशी तनवीर हसन से उन्नीस हैं, फिर भी भाजपा के रणनीतिकारों को भरोसा है कि अंतिम समय में चुनाव हिंदू और मुस्लिम के बीच ध्रुवीकृत होगा और उन्हें जीत मिलेगी। बेगूसराय में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष अजय भारद्वाज उंगलियों पर गिनाते हैं कि बेगुसराय लोकसभा क्षेत्र की सातों विधानसभा सीटों में किस सीट पर उन्हें कितना वोट मिल सकता है और कहां उनका मुक़ाबला तनवीर हसन से है और कहां कन्हैया कुमार से? ये नंबर गिनाने के बाद वो कहते है कि अधिक से अधिक हिंदू वोट उन्हीं के पक्ष में पड़ेगे। वहीं तनवीर हसन को भरोसा है कि पिछली बार कि तरह मुस्लिम और यादव वोट उनके साथ आएंगे और कन्हैया कुमार के कारण भूमिहार वोटों का बंटवारा होगा, जिसका फायदा उन्हें होगा।
ग्रामीण इलाकों में मुस्लिम वोटर 'वेट एंड वाच' की मुद्रा में
वाम रणनीतिकारों के इस दावे पर यकीन कर लें कि बेगुसराय लोकसभा क्षेत्र में सीपीआई का डेढ़ लाख कैडर वोट है और वो पूरी तरह कन्हैया के पक्ष में शिफ्ट होगा, तब भी उन्हें जीतने के लिए 3 लाख से ज्यादा वोटों की जरूरत पड़ेगी। कन्हैया कुमार की टीम सभी जातियों का वोट हासिल करने की कोशिश में है, मगर युवा वोटरों के बाद उन्हें जिन पर सर्वाधिक भरोसा है, वो मुस्लिम वोटर हैं।
दोनों पक्ष समीकरणों के भरोसे
कन्हैया कुमार का प्रचार कार्य देख रहे आदिल ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि मुस्लिम उन्हें बड़ी संख्या में वोट करेंगे। हालांकि शहरी इलाकों जहां मुस्लिम तनवीर हसन और कन्हैया कुमार के बीच बंटे दिख रहे हैं, ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर मुसलमानों का कहना है कि उन्होंने अब तक फैसला नहीं किया. वो ‘वेट एंड वाच' की मुद्रा में हैं. शहरी और ग्रामीण, दोनों इलाकों के मुसलमानों में एक बात सामान्य जरूर दिख रही है, मुस्लिम समुदाय अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहता। ऐसे में मुसलमानों का रुख काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि कन्हैया कुमार 29 अप्रैल को के पहले दो घंटों अपने पक्ष में कितना वोट डलवा पाते हैं।बेगुसराय के गांवों और सड़कों पर कन्हैया कुमार का नाम जिस तरह से गूंज रहा है, उससे ये तय है कि जमीन पर सबसे मजबूती से चुनाव वही लड़ रहे हैं, बाकी दोनों पक्ष समीकरणों के भरोसे हैं।
(अवनीश पाठक पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं. इन दिनों वो उत्तर प्रदेश और बिहार के चुनावी दौरे पर हैं.)