Hardik Pandya के कारण T20 विश्वकप हारी टीम इंडिया, शास्त्री ने किया चौंकाने वाला खुलासा
भारतीय टीम के हेड कोच के रूप में रवि शास्त्री ने कई सफलताएं हासिल कीं।
नई दिल्ली, 27 जुलाई: भारतीय टीम के हेड कोच के रूप में रवि शास्त्री ने कई सफलताएं हासिल कीं। उनके नेतृत्व में विराट कोहली की टीम ने टेस्ट में सबसे बड़ी सफलता हासिल की। इस दौर में भारतीय टीम टेस्ट में सबसे सफल टीम बनी। भारत ने विदेशी परिस्थितियों में भी अपने प्रदर्शन का लोहा मनवाया। लेकिन शास्त्री के कार्यकाम में भारतीय टीम वनडे-टी20 में कोई भी आईसीसी ट्राफी नहीं जीत सकी।
टी20 विश्वकप से हुए बाहर
2019 वनडे विश्वकप से भारतीय टीम सेमीफाइनल से बाहर हो गई। वहीं 2021 टी20 विश्वकप में भारतीय टीम अंतिम चार में जगह तक नहीं बना सकी और लीग स्टेज से ही बाहर हो गई। हेड कोच के रूप में रवि शास्त्री का यह आखिरी बड़ा टूर्नामेंट था। टी20 विश्वकप 2021 में भारतीय टीम के निराशजनक प्रदर्शन के बाद विराट कोहली ने टी20 की कप्तानी छोड़ दी थी। वहीं इस बड़े इवेंट के बाद रवि शास्त्री का कार्यकाल भी समाप्त हो गया था।
पांड्या का विकल्प नहीं था
भारत और वेस्टइंडीज के बीच दूसरे वनडे के दौरान रवि शास्त्री कमेंट्री कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि, हार्दिक पांड्या चोटिल थे इसलिए मैंने सिलेक्टर्स से उनका एक उपयुक्त बैकअप विकल्प खोजने के लिए कहा था। भारत के पूर्व मुख्य कोच ने जोर देकर कहा कि भारत उस खिलाड़ी को खोजने में विफल रहा जिसकी कीमत उन्हें दो विश्व कप (2019 वनडे विश्वकप, 2021 टी20 विश्वकप) में चुकानी पड़ी।
भारत को कीमत चुकानी पड़ी
शास्त्री ने फैनकोड पर कहा, 'मैं हमेशा से ऐसा खिलाड़ी चाहता हूं जो टॉप-6 में गेंदबाजी कर सके और हार्दिक के चोटिल होने से यह एक बड़ी समस्या बन गई। इसकी कीमत भारत को चुकानी पड़ी। इसने भारत को एक-दो विश्व कप गंवा दिए। क्योंकि हमारे पास शीर्ष छह में गेंदबाजी करने वाला कोई नहीं था। तो यह एक दायित्व था। हमने चयनकर्ताओं से कहा, 'किसी को ढूंढो'। लेकिन फिर, वहां कौन है?"
पांड्या ने की शानदार वापसी
2021 टी20 विश्वकप के दौरान अपनी गेंदबाजी फिटनेस के कारण हार्दिक को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने टूर्नामेंट के बाद क्रिकेट से एक छोटा सा ब्रेक लिया। वह आईपीएल 2022 में लौटे जहां उन्होंने एक बार फिर अपनी ऑलराउंड क्षमता का प्रदर्शन किया। उन्होंने 15 मैचों में 487 के शानदार औसत से 487 रन बनाए। उन्होंने गेंदबाजी फिटनेस भी हासिल की और खिताब जीतने वाले अभियान में आठ विकेट लिए। 28 वर्षीय पांड्या ने अपने कंधों पर जिम्मेदारी ली और लाइन-अप में संतुलन प्रदान करने के लिए नंबर 3 और 4 पर बल्लेबाजी क्रम में खुद को आगे बढ़ाया।