2020-21 बजट: इनकम टैक्स में मिलेगी बड़ी राहत, हेल्थ बीमा का सौगात भी दे सकती है सरकार!
बेंगलुरू। मोदी सरकार 2 अपने पहले आम बजट में पर्सनल आयकर दाताओं के राहत प्रदान करने जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में व्यक्तिगत आयकर दाता को कुछ मोर्चे पर कुछ रिलीफ देने की योजना बना चुकी है। दरअसल, मौजूदा मंदी के दौर को देखते हुए यह फैसला लेने जा रही है ताकि कंज्यूमर डिमांड और निवेश बढ़ सके।
यह अब किसी से छिपा नहीं कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक दशक के अपने सबसे बुरे दौर का सामना कर रही है और जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि घटकर 4.5 फीसदी रह गई, जिससे करोड़ों युवाओं की नौकरी की संभावनाओं पर बेहद बुरा असर पड़ा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इसी सप्ताह पेश किए जाने वाले अपने बजट में मध्यम वर्ग को आयकर में छूट देने के साथ-साथ वित्त मंत्री प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की तरह लोगों को स्वास्थ्य बीमा का सौगात भी दे सकती हैं।
आगामी बजट में मांग और खपत बढ़ाने के नजरिए के हिसाब से देखा जाए तो सरकार पांच लाख रुपए तक की आय को करमुक्त कर सकती हैं। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का दायरा भी बढ़ाया जा सकता है ताकि अधिक से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का बेहतर लाभ उपलब्ध कराया जा सके।
गौरतलब है हाल ही में सरकार ने बाजार में रौनक बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की है। दूसरी ओर RBI ने भी रेपो रेट में उल्लेखनीय कटौती की घोषणा कर चुकी है। इसके बावजूद देश में निवेश को जरूरी गति नहीं मिल पाई है। अर्थ विश्लेषकों की मानें तो आगामी बजट में खपत को प्रोत्साहित करने वाले कदम उठाए जाने के साथ सड़क, रेल और गांवों को बेहतर बनाने वाली योजनाओं में खर्च बढ़ाए जाने से आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी।
हाल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि से जुड़े अनुमान को घटाकर 4.8 फीसदी कर दिया। इसके साथ ही आगामी वित्त वर्ष के जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को भी घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया गया था।
माना जा रहा है अर्थ व्यवस्था की वर्तमान परिस्थितियों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को घटाकर तीन फीसद करने के पूर्व के लक्ष्य को कम-से-कम दो साल के लिए टाल सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू निवेशक पिछले साल सितंबर में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के बाद आयकर दर के मोर्चे पर रिलीफ मिलने की उम्मीद कर सकते हैं।
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक इस समय अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा मांग और खपत बढ़ाने की आवश्यकता है। मांग बढ़ने से ही आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयेगी। इसके लिए पूंजीगत खर्च बढ़ाने के साथ ही आम आदमी की जेब में अधिक पैसा होना जरूरी है। सरकार पूंजीगत खर्च के मोर्चे पर कई ढांचागत योजनाओं पर काम कर रही है। इसके साथ ही आम नौकरीपेशा लोगों को आयकर में राहत दी जानी चाहिये ताकि उनकी जेब में खर्च करने के लिये अधिक पैसा बचे।
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एक फरवरी को पेश होगा 2020-21 का आम बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2020-21 का आम बजट पेश करेंगी। सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को फिर से तेजी के रास्ते पर लाना उनके समक्ष बड़ी चुनौती होगी। चालू वित्त वर्ष की सितंबर में समाप्त दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 4.5 प्रतिशत रह गई। पूरे साल की वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है जो कि पिछले 11 साल में सबसे कम होगी।
5 लाख रुपए हो सकती है छूट की सीमा
मध्यम वर्ग खासकर नौकरीपेशा निश्चित रूप से आयकर में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसे में मूल व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर मध्यम वर्ग को कर राहत दी जा सकती है। फिलहाल 2.50 से 5 लाख रुपए तक 5 फीसदी 5 से 10 लाख रुपए पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 फीसदी की दर से कर लगता है। इसके अलावा 5 लाख रुपए तक की आय वाले को 12,500 रुपए की छूट दी गई है। यानी 5 लाख रुपए तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा।
धारा 80 सी के तहत बचत पर ढाई लाख तक बढ़ाई जा सकती है सीमा
पिछले बजट में वित्त मंत्री ने करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए उनकी पांच लाख रुपएतक की कर योग्य आय होने पर उन्हें आयकर से पूरी तरह छूट दे दी थी, लेकिन आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया था। इस बार माना जा रहा है कि आयकर स्लैब में बदलाव किया जा सकता है और पांच लाख रुपए तक की आय को कर मुक्त किया जा सकता है। संभावना है कि आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत जीवन बीमा प्रीमियम, ट्यूशन फीस और अन्य बचत पर मौजूदा डेढ लाख रुपए की सीमा को बढ़ाकर ढाई लाख रुपए की जा सकती है। इससे वेतनभोगी तबके की जेब में अधिक धन बचेगा और अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी।
मध्यम वर्ग को मिल सकता है स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ
बजट में मध्यम वर्ग को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) की तर्ज पर स्वास्थ्य बीमा का भी लाभ मिल सकता है। फिलहाल इसमें देश के करीब 10.74 करोड़ गरीब परिवार को सरकारी और निजी अस्पतालों में गंभीर बीमारी के इलाज के लिये 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा मिलता है। श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बृजेश उपाध्याय ने कहा, ''हम लंबे समय से सभी के लिये पेंशन और स्वास्थ्य बीमा सुविधा उपलब्ध कराये जाने की मांग कर रहे हैं। सरकार गरीब तबके के लिये स्वास्थ्य बीमा योजना चला रही है इस बजट में इस योजना का लाभ मध्यम वर्ग को भी दिया जा सकता है।
31 जनवरी से संसद में शुरू होगा बजट सत्र
मौजूदा समय में बजट सत्र दो चरणों में होने की बात सामने आ रही है। बजट का पहला चरण 31 जनवरी यानी दो दिन बाद शुरू होकर 11 फरवरी चलेगा। 11 फरवरी के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा किए गए बजट प्रस्तावों पर चर्चा करने के लिए एक छोटा अवकाश होगा। बजट सत्र का दूसरा चरण आगामी 2 मार्च को शुरू होगा और दूसरा बजट सत्र आगामी 3 अप्रैल को खत्म होगा।