निर्भया गैंगरेप : 5 नवंबर से पहले एक ने भी कर दी राष्ट्रपति से गुहार तो टल जाएगी चारों की फांसी, क्यों?
नई दिल्ली- दिल्ली के कुख्यात निर्भया गैंगरेप के चारों गुनहगारों को 5 नवंबर तक राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने की मोहलत दी गई है। अगर उस दिन तक किसी भी दोषी की ओर से राष्ट्रपति के पास दया की अपील नहीं की गई तो सभी दोषियों को फांसी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। लेकिन, चार में से एक दोषी ने भी अगर राष्ट्रपति के पास दया की गुहार लगा दी तो चारों गुनहगारों को तबतक फांसी नहीं दी जाएगी, जबतक उनकी याचिका पर वे अपना फैसला नहीं सुना देते। गौरतलब है कि इस कांड में कुल 6 लोग दोषी थे, जिनमें से एक ने जेल में ही खुदकुशी कर ली थी, जबकि छठा जुवेनाइल होने की वजह से बाल सुधारगृह में तीन साल की सजा काटकर 2015 में ही बरी हो चुका है।
Recommended Video
दया की भीख मांगने के लिए 5 नवंबर तक की मियाद
निर्भया गैंगरेप के चार दोषियों में से तीन अभी दिल्ली के तिहाड़ जेल में कैद हैं, जबकि चौथा राजधानी के ही मंडोली जेल में बंद है। इन चारों दोषियों को तिहाड़ जेल प्रशासन ने पिछले 29 अक्टूबर को नोटिस देकर कहा है कि उनके पास राष्ट्रपति के पास दया की भीख मांगने के लिए 7 दिन का वक्त है। निर्भया के चारों गुनहगारों अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश सिंह को भेजी गई नोटिस के मुताबिक, "जेल प्रशासन की ओर से सूचित किया जाता है कि आपके (दोषियों) खिलाफ कानूनी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं। हालांकि, आपके पास 'दया याचिका' का एकमात्र विकल्प बचा हुआ है। इसलिए, जेल प्रशासन की ओर से आपको सूचित किया जाता है कि अगर आपने राष्ट्रपति के पास 'दया याचिका' नहीं डाली है तो इस नोटिस के प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर आप ऐसा कर सकते हैं।"
दोषियों तक कैसे पहुंचाई गई सूचना ?
तिहाड़ जेल के डायरेक्टर जनरल संदीप गोयल ने बताया कि चारों दोषियों को दया याचिका दायर करने की मोहलत वाली नोटिस हिंदी और अंग्रेजी में पढ़कर सुनाई गई और पूरी प्रक्रिया की विडियोग्राफी भी की गई। तिहाड़ जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 'नोटिस मिलने के बाद दोषी बैचैन हो गए। प्रक्रिया के मुताबिक तिहाड़ जेल प्रशासन इस बात की सूचना ट्रायल कोर्ट को देगा,जिसने दोषियों के खिलाफ फांसी की सजा सुनाई है।' बता दें कि इन चारों दोषियों की मौत की सजा दिए जाने की सुप्रीम कोर्ट से भी पुष्टि हो चुकी है।
एक की अपील पर भी रुक जाएगी चारों की फांसी
दोषियों को दी गई नोटिस में साफ लिखा हुआ है कि, "अगर नहीं किया (राष्ट्रपति के पास अपील) तो यह माना जाएगा कि आपकी ऐसा करने की इच्छा नहीं है और तब प्रशासन आपकी सजा पर अमल करने के लिए आगे की कार्रवाई शुरू कर देगा।" एक बात खास है कि अगर इन चारों दोषियों में से एक ने भी राष्ट्रपति के पास फांसी की सजा माफ करने की गुहार लगा दी तो चारों दोषियों की फांसी की सजा पर तब तक के लिए रोक लग जाएगी, जबतक राष्ट्रपति दया याचिका पर अपना फैसला नहीं सुनाते। हालांकि, दया याचिका मान लिए जाने या उसमें किसी तरह के परिवर्तन की सूरत में सिर्फ उसी दोषी को उसका लाभ मिलेगा, जो राष्ट्रपति के पास अपील करेगा। बाकी की सजा पर उसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
क्या है निर्भया कांड ?
वारदात 16 दिसंबर 2012 की रात की है। इस कांड के सभी 6 दोषियों ने दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की पैरामिडिक स्टूडेंट में गैंगरेप को अंजाम दिया था। निर्भया को शारीरिक रूप से बुरी तरह प्रताड़ित करके गुनहगारों ने उसके पुरुष मित्र के साथ बस से बाहर फेंक दिया था। इस घटना के खुलासे ने दिल्ली में कोहराम मचा दिया। जनता उसे न्याय दिलाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आई। जब, दिल्ली में पीड़िता की हालत और नाजुक हो गई तो तत्कालीन यूपीए सरकार ने उसे बेहतर इलाज के लिए एयरलिफ्ट करके सिंगापुर के अस्पताल में दाखिल करवा दिया था। लेकिन, 29 दिसंबर, 2012 को देश की निर्भया मौत के साथ अपनी जंग हार गई और तब से उसके माता-पिता समेत पूरा देश उसे न्याय मिलने की आस लगाए बैठे हैं।
इसे भी पढ़ें- चिदंबरम की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की, कहा अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं