बिहार के सीएम मांझी से छुआछूत मानते हैं लोग!
पटना। देश का वर्तमान नेतृत्व विकास की ऊंचाईयां छूने को लालायित है, युवा जातिवाद से ऊपर उठकर सोचना चाहे हैं, लेकिन आज भी ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो छुआछूत से ऊपर नहीं उठ सके हैं। जरा सोचिये जिस भारत में मुख्यमंत्री छुआछूत का शिकार हो गया है, वहां छोटे-मोटे काम करने वालों के साथ कैसा व्यवहार होता होगा।
हम बात कर रहे हैं बिहार की जहां के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी छुआछूत के शिकार हुए हैं। इस बात का खुलासा स्वयं मांझी ने किया है। उन्होंने बताया कि उन्हें छुआछूत का एहसास तब हुआ, जब मधुबनी के एक मंदिर में पूजा के बाद स्थानीय लोगों ने मंदिर परिसर और मूर्ति को धुल दिया। यही नहीं उस घर की भी अच्छी तरह धुलाई की गई, जहां मुख्यमंत्री ठहरे थे।
इस घटना का खुलसासा सीएम ने पटना में एक कार्यक्रम के दौरान किया। उन्होंने बताया कि हाल के उपचुनाव के दौरान ऐसा हुआ था।
भारत में लोगों को कब-कब गुजरना पड़ता है ऐसी चीजों से-
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जब
आप
मकान
किराये
पर
लेने
जाते
हैं,
तो
सबसे
पहला
सवा
होता
है-
किस
जाति
के
हो?
-
जब
कोई
मेड
किसी
घर
में
काम
मांगने
जाती
है,
तब
उससे
सवाल
होता
है-
किस
जाति
की
हो?
-
जब
कोई
झाडूपोछा,
बर्तन
का
काम
मांगने
जाती
या
जाता
है,
तब
उससे
सवाल
होता
है-
किस
जाति
के
हो?
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जब
कोई
शादी
का
प्रस्ताव
रखता
है
तब
उससे
पूछा
जाता
है-
किस
जाति
के
हो?
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तमाम
गांवों
में
बच्चों
के
स्कूल
में
एडमीशन
के
वक्त
भी
पूछा
जाता
है-
किस
जाति
के
हो?
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अगर
किसी
के
हाथ
में
झाड़ू
है
और
वह
बस
में
चढ़
जाता
है,
तो
लोग
कोशिश
करते
हैं
कि
कहीं
उससे
छू
न
जायें।
- घर का नौकर अगर छोटी जाति का है, तो वह घर में किसी के लिये भी भोजन नहीं परोस सकता है।
और भी तमाम जगह लोगों को छुआछूत का शिकार होना पड़ता है।