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कैसे कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' की शुरुआत में ही तार-तार हो रही है विपक्षी एकता ? ये 5 सबूत देखिए

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नई दिल्ली, 12 सितंबर: राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी बहु-प्रचारित 'भारत जोड़ो यात्रा' पर निकली हुई है। इस यात्रा का मुख्य मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खिलाफ जन-भावना तैयार करना है। कांग्रेस की यह यात्रा ऐसे समय में भी हो रही है, जब उसके कुछ सहयोगी बीजेपी के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम में जुटे हुए हैं, जिसमें पार्टी के नए-नवेले साथी नीतीश कुमार भी शामिल हैं। नीतीश ने अपनी 'यात्रा' की शुरुआत जिन नेताओं के साथ की थी, उसमें खुद राहुल भी शामिल हैं। लेकिन, आपको हम यहां पांच सबूत दिखा रहे हैं, जो जाहिर करते हैं कि यहां तो भाजपा-विरोधी दलों को ही जोड़ना भारी पड़ रहा है और वह एक-एक कर अभी से बिखरने लगे हैं।

'भारत जोड़ो यात्रा' के शुरू में ही बिखर रही है विपक्षी एकता ?

'भारत जोड़ो यात्रा' के शुरू में ही बिखर रही है विपक्षी एकता ?

देश में इस समय बीजेपी के विरोध में विपक्षी एकता पर काफी लंबी चर्चा हो रही है। तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक इसमें शामिल हैं। शरद पवार भी इस मौके को हाथ में लेने के लिए उचित 'घड़ी' का इंतजार कर रहे हैं। नीतीश तो कई दिनों तक दिल्ली में डेरा डालकर कहीं का ईंट-कहीं का रोड़ा जोड़ने की भरपूर कोशिश करके यह कहकर पटना लौटे हैं कि सोनिया गांधी के विदेश से लौटने पर फिर से एक मुहिम छेड़ेंगे। उधर सोनिया के बाद कांग्रेस के 'सर्वेसर्वा' राहुल गांधी भाजपा सरकार के खिलाफ 'भारत जोड़ो यात्रा' शुरू कर चुके हैं। लेकिन, जैसे-जैसे उनकी यह यात्रा आगे बढ़ रही है, विपक्षी एकता के दावों और प्रयासों पर सवालिया निशान लगना शुरू हो चुका है। इस समय कम से कम पांच ऐसे उदाहरण हैं, जिससे लगता है कि विपक्षी एकता को लेकर जितने दावे किए गए हैं, उसे अमलीजामा पहनाना उतना ही मुश्किल है।

'भारत जोड़ो है या सीट जोड़ो?'

'भारत जोड़ो है या सीट जोड़ो?'

सबसे पहले केरल में लेफ्ट फ्रंट की सरकार की अगुवा सीपीएम का कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' के बहाने उसपर किया गया सीधा हमला देख लीजिए। पार्टी ने ट्विटर के जरिए राहुल गांधी की इस यात्रा पर निशाना साधा है। पार्टी ने सवाल किया है कि यह 'भारत जोड़ो है या सीट जोड़ो? केरल में 18 दिन और यूपी में 2 दिन। बीजेपी-आरएसएस से लड़ने का निराला तरीका।' यह वही सीपीएम है, जो बिहार में नीतीश सरकार को समर्थन दे रही है, जिसमें कांग्रेस पार्टी भी शामिल है और चुनाव भी उसी के साथ लड़ चुकी है।

क्षेत्रीय दलों को 'ड्राइविंग सीट' दे कांग्रेस- तेजस्वी

क्षेत्रीय दलों को 'ड्राइविंग सीट' दे कांग्रेस- तेजस्वी

विपक्षी एकता की बातें करना और उसे धरातल पर सच करके दिखाना कितना चुनौतीपूर्ण है, उसका सबसे ताजा उदाहरण बिहार के डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी यादव का दिया एक बयान है। उन्होंने द हिंदू को रविवार को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में जहां क्षेत्रीय दल मजबूत हैं, वहां कांग्रेस को उन्हें बीजेपी के खिलाफ 'ड्राइविंग सीट' पर बैठने देना चाहिए। तेजस्वी जो कुछ कह रहे हैं, वह बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों के लिए सही माना भी जा सकता था, लेकिन दिक्कत ये है कि कांग्रेस को साथ लेकर चलने के लिए सभी विपक्षी दल वास्तम में एकमत नहीं दिख रहे हैं।

जेडीएस-टीआरएस को गैर-कांग्रेसी विकल्प की तलाश!

जेडीएस-टीआरएस को गैर-कांग्रेसी विकल्प की तलाश!

अब ईटी की एक रिपोर्ट पर गौर करते हैं। इसके मुताबिक रविवार को ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और कर्नाटक के पूर्व सीएम और जेडीएस ने एचडी कुमारस्वामी के बीच हैदराबाद में देश की मौजूदा राजनीतिक हालातों को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले से कहा गया है कि दोनों नेताओं ने विपक्षी एकता के लिए काम करने की बात तो की है। लेकिन, टीआरएस के एक पदाधिकारी के मुताबिक वे इस मत पर सहमत हुए कि देश की जनता 'गैर-कांग्रेसी' विकल्प के लिए तैयार है और क्षेत्रीय दलों को बीजेपी का सामना करने करने के लिए एकसाथ आना चाहिए। इन दोनों दलों के अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस से भी राजनीतिक अदावत हैं और विपक्षी एकता में यह पंगा अभी से फंस रहा है। जबकि, केसीआर इस मुहिम के तहत बिहार में नीतीश और तेजस्वी से भी मिलकर आ चुके हैं।

केजरीवाल की चल रही है अलग तैयारी

केजरीवाल की चल रही है अलग तैयारी

भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की एक और कमजोर कड़ी दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी है। बिहार में अपने सबसे पुराने साथी भाजपा को हाल ही में छोड़ने वाले नीतीश ने पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को मिशन का हिस्सा बनाने की कोशिश जरूर की है, लेकिन केजरीवाल एंड कंपनी फिलहाल किसी भी विपक्षी दल को ज्यादा भाव देने के लिए तैयार नहीं दिख रही है। बल्कि, पार्टी तो अपने सुप्रीमो को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले में एकबार फिर से आजमाने की तैयारी में दिख रही है। इतने विरोधाभासों के बीच विपक्ष जोड़ो की रणनीति कहां तक कामयाब हो पाती है इसका अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल है।

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'भारत जोड़ो यात्रा' यूपीए की यात्रा नहीं- एनसीपी नेता

'भारत जोड़ो यात्रा' यूपीए की यात्रा नहीं- एनसीपी नेता

कांग्रेस और एनसीपी अभी भी महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में शामिल हैं। एनसीपी यूपीए की भी हिस्सा है। लेकिन, पार्टी ने कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' से अपना पल्ला झाड़ लिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम और एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार से इस यात्रा के बारे में पूछा गया कि क्या यह 2024 के चुनाव नतीजों को प्रभावित करेगी तो वे बोले कि यह कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा निकाली है। यह यूपीए की भारत जोड़ो यात्रा नहीं है।

English summary
At the very beginning of Congress leader Rahul Gandhi's Bharat Jodo Yatra, the anti-BJP-RSS opposition campaign has started getting setbacks
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