जगन्नाथ रथयात्रा: तो 13वीं पहिंद विधि करेंगे प्रधानमंत्री?
अहमदाबाद। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अहमदाबाद में 136वीं जगन्नाथ रथयात्रा का पहिंद विधि कर प्रारंभ कराया। पहिंद विधि तो 1989 से लगातार तत्कालीन मुख्यमंत्री करते ही आए हैं। इसमें मोदी ने नया क्या किया? परंतु सब जानते हैं कि मोदी जो करें, वह कुछ अनोखा ही होता है और पहिंद विधि कर मोदी ने अपने नाम दर्ज अूठा रिकॉर्ड और पक्का कर डाला है।
नरेंद्र मोदी ने आज अहमदाबाद में जमालपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर से सुबह सात बजे भगवान जगन्नाथ के रथ की पहिंद विधि की और रथयात्रा का शुभारंभ कराया। मोदी ने यह लगातार 12वीं बार पहिंद विधि की है और अपने आप में यह एक अनूठा रिकॉर्ड है कि गुजरात में अन्य कोई मुख्यमंत्री इतनी बार पहिंद विधि नहीं कर सके।
खैर, यह चर्चा तो अब गौण हो गई है। अब चर्चा का कोई विषय हो सकता है, तो वह 2014 में निकलने वाली जगन्नाथ रथयात्रा में की जाने वाली पहिंद विधि का है। परम्परागत रूप से देखें, तो 2014 में निकलने वाली रथयात्रा के दौरान भी मुख्यमंत्री ही पहिंद विधि करेंगे और लोकतांत्रिक ढंग से देखें, तो 2012 में मोद को 2017 तक मुख्यमंत्री के रूप में रहने का जनादेश मिला है। अतः स्वाभाविक है कि अगले साल वे ही लगातार 13वीं बार पहिंद विधि कर अपने इस रिकॉर्ड को और मजबूत बनाएँगे।
परंतु... परंतु... परंतु... इसके बावजूद पिछले कुछ महीनों से जारी राजनीतिक घटनाक्रमों को देखते हुए अनायास ही यह सवाल खड़ा होता है कि 137वीं रथयात्रामां कौन पहिंद विधि करेगा? क्या मुख्यमंत्री ही पहिंद विधि करेंगे? क्या वह मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ही होंगे, जो लगातार 13वीं बार पहिंद विधि करेंगे? यह प्रश्न खड़ा होने का मुख्य कारण भी स्वयं मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं। पिछले छह माह यानी गुजरात विधानसभा चुनाव 2012 के बाद नरेंद्र मोदी का रुख जिस प्रकार राष्ट्रीय राजनीति की तरफ हुआ है, उसे देखते हुए और उन्हें भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव 2014 के लिए चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी सौंपे जाने के बाद स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव 2014 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं।
अधिकृत रूप से भले ही भाजपा ने अभी तक मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, परंतु सब जानते हैं कि भाजपा का इरादा यही है। अब यदि भाजपा द्वारा मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किया जाए और लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा सचमुच सरकार बनाने की स्थिति में आ जाए, इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी ही यदि प्रधानमंत्री बनें, तो फिर स्पष्ट है कि 137वीं जगन्नाथ रथयात्रा 2014 की पहिं विधि को लेकर सवाल खड़े होंगे ही।
परम्परागत रूप से देखें, तो पहिंद विधि राज्य के मुख्यमंत्री ही करते आए हैं। 1989 में पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरसिंह चौधरी ने पहिंद विधि की और इस परम्परा के तहत ही नरेंद्र मोदी ने आज पहिंद विधि की, परंतु वे 2014 में यदि प्रधानमंत्री बन जाएँ, तो क्या उस समय भी पहिंद विधि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री (जो भी हो) करेंगे? या फिर रिकॉर्ड बनाने का रिकॉर्ड रखने वाले नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार और व्यक्तिगत रूप से लगातार 13वीं बार पहिंद विधि करने के लिए दिल्ली से अहमदाबाद आएँगे?
खैर, आज जगन्नाथजी का दन है। अतः उनकी और उनकी पहिंद विधि को लेकर चिंता हो आना स्वाभाविक है। इसीलिए यह सवाल खड़ा किया है। नरेंद्र मोदी वैसे भी मुख्यमंत्री न रहते हए भी अहमदाबाद की जगन्नाथ रथयात्रा में सक्रिय हिस्सा लेते आए हैं और जब से मुख्यमंत्री बने हैं, तब से रथयात्रा की पूर्व संध्या पर विशेष रूप से भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जगन्नाथ मंदिर जाते हैं। शायद इस बार मोदी ने कुछ ऐसी ही सुखद भविष्य की कामना की होगी।
तस्वीरों में जगन्नाथ यात्रा
रथ खींचकर मोदी ने की रथयात्रा की शुरुआत
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को शुरु होने वाले पवित्र रथयात्रा की शुरुआत आज से हो गई है। इस मौके पर निकाली जाने वाली मशहूर रथयात्रा आज से देश भर के कई शहरों में शुरू हो रही है। उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ हर साल ये पवित्र यात्रा निकाली जाती है।
12वीं बार खींचा रथ
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ का रथ खींचकर यात्रा की शुरुआत की। रथयात्रा की पूर्वसंध्या पर अहमदाबाद में मंगलवार को मोदी ने भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना की थी। मोदी ने अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ का रथ खींचकर यात्रा की शुरुआत की। खासबात ये भी है कि मोदी भगवान जगन्नाथ का रथ 12 बार खींच चुके हैं। रथयात्रा की पूर्वसंध्या पर अहमदाबाद में मोदी ने भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना की और आज रथ खींचकर यात्रा की शुरुआत की।
ओडिशा में नवीन पटनायक ने की प्रार्थना
वहीं उड़ीसा के जगन्नाथ पुरी में भी कड़ी सुरक्षा के बीच इस यात्रा की शुरुआत की गई। पुरी में जगन्नाथ यात्रा हर साल निकाली जाती है। सालों से चली आ रही इस परंपरा में माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बाई बलभद्र के साथ नगर चर्या के लिए निकलते है। बिहार के बोधगया में महाबोधि में हुए धमाके के बाद इसबार रथ यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा को और सख्त कर दिया गया है।
सुरक्षा के पूरे इंतजाम
सुरक्षा के पूरे इंतजामों के बीच ये यात्रा निकाली गई है। आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर ओडिशा सरकार ने रथयात्रा की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए हैं। सरकार ने रैपिड एक्शन फोर्स, एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड और कोस्ट गार्ड के जवानों को तैनात किया है। यात्रा के रास्ते के बीच में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए जगन्नाथ मंदिर में आने पर हर शख्स पर नजर रखी जा रही है।
विदेशी भी रथयात्रा में
देशी ही नहीं विदेशी भी रंग गए आस्था के रंग में पवित्र रथयात्रा के रंग में ना केवल देसवासी ब्लकि विदेशी भी इसकी आस्था के रंग में रंग जाते है। विदेशी श्रद्धालु भगवान की इस रथयात्रा में पूरे रास्ते नाचते-गाते चलते है।
नगरभर में घूमती है भगवान की रथयात्रा
रथ पर सवार होकर भगवान निकले है नगर भ्रमण पर हर साल देश के कोने-कोने में पवित्र जगन्नाथ रथयात्रा निकाली जाती है। लड़की से बने भगवान के इस रथ को बनाने में साल लग जाते है। सुन्दर कलाकृति और नक्काशी के साथ इस रथ को सजाया जाता है और भगवान इसमें सवार होकर घूमने निकलते है।