अखिलेश यादव के कैबिनेट में 'कुंडा का गुंडा'
खुद प्रेस वार्ता में अखिलेश ने कहा कि राजा भैया पर साजिश के तहत मुकदमें दर्ज हुए हैं वो गलत व्यक्ति नहीं है। सवाल यह उठता है कि अखिलेश के कैबिनेट में राजा भैया को जगह क्यों मिली है?
वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है कि राजा भैया मंत्री बनाये गये हैं। इससे पहले साल 2005 में कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया मुलायम सिंह की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। आपको बता दें कि राजा भैया के खिलाफ 45 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं हालांकि पोटा के आरोपों से वो बरी हो गए हैं। उनके ऊपर हत्या, अपहरण, मारपीट जैसे कई संगीन अपराध दर्ज है।
हालांकि कई मामलों मेंवो बरी हो गये हैं लेकिन अभी भी कई मामलों में फैसला नहीं आया है। अपने पिछले चुनाव रैलियों के दौरान मायावती और कल्याण सिंह ने कई बार राजा भैया को कुंडा का गुंडा कहकर संबोधित किया था।
बावजूद इसके राजा भैया अपने निर्वाचन क्षेत्र कुंडा से हर बार रिकार्ड वोटों से जीतते आ रहे हैं। 2012 के विधानसभा चुनावों में राजा भैया ने प्रदेश में सबसे बड़ी जीत दर्ज की। रघुराज को 1,11,392 वोट मिले। उनके निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के शिव प्रकाश मिश्रा सेनानी को 23, 137 वोट मिले वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार को 14341 वोट ही मिल सके। कुंडा विधानसभा सीट पर राजा भैया की निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर यह लगातार पांचवी जीत है।
आपको बता दें कि रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया सूबे के प्रतापगढ़ से ताल्लुक रखते हैं, जहां उनके नाम का डंका बजता है। कुंडा रियासत के भदरी घराने से आने वाले राजा भैया जेल में रहकर सजा भी काट चुके हैं। 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में कदम रखने वाले राजा भैया को उनकी सीट पर अभी तक कोई हरा नहीं सका है।
लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक करने वाले रघुराज प्रताप सिंह ने पहली बार कुंडा सीट से निर्दलीय के रूप में चुनाव जीता। साल 2002 में मायावती सरकार ने राजा भैया पर पोटा लगाया। साल 2003 में फिर से सूबे में मुलायम सिंह की सरकार आई और सरकार आने के 25 मिनट के भीतर ही राजा भैया से पोटा संबंधी आरोप हटा दिए गए हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में सरकार को पोटा हटाने से रोक दिया। हालांकि 2004 में राजा भैया पर से पोटा आखिरकार हटा लिया गया। मुलायम सरकार में मंत्री बनने पर और उन्हें जेड प्लस सुरक्षा प्रदान कर दी गई।