Date Palm Farming : राजस्थान के रेगिस्तान में बाप-बेटे की जोड़ी का कमाल, 16 एकड़ में उगाए खजूर
खजूर की खेती (Date Palm Farming) के लिए दुबई मशहूर है, लेकिन भारत के खारे पानी में भी खजूर उगाए जा सकते हैं। राजस्थान के रेगिस्तान में 16 एकड़ में खजूर उपजाए गए हैं। बाप-बेटे की जोड़ी एक पेड़ से 50 हजार तक कमा रही है।
जोधपुर / जैसलमेर, 21 मई : राजस्थान की रेतीली जमीन पर क्या खजूर जैसा मीठे फल की पैदावार (date palm farming) हो सकती है ? आपका जवाब हां या ना जो भी हो, ये स्टोरी हर उस शख्स के लिए है जो प्राकृतिक चुनौतियों का बहाना बनाकर खेती-किसानी से दूर भागते हैं। ये कहानी है बाप-बेटे की, जिन्होंने जैसलमेर की जलती हुई धरती पर खजूर जैसे फल का बाग उगा डाला। कहानी है स्मार्ट फार्मिंग की, जिससे किसानों को प्रेरणा मिलेगी। कहानी उस कामयाबी की जिससे एक खजूर के पौधे से 50 हजार रुपये तक कमाने का गुर सीखा जा सकता है। पढ़िए वन इंडिया हिंदी की रिपोर्ट
एक पेड़ से 50 हजार तक की आमदनी
राजस्थान के जैसलमेर में शास्त्रीनगर गांव में रहने वाले पिता पुत्र की जोड़ी सैकड़ों किसानों की प्रेरणा बन गए हैं। दोनों ने खजूर की खेती में सफलता हासिल की है। दोनों की सक्सेस से स्थानीय किसान प्रेरणा ले रहे हैं। इन दोनों का दावा है कि खजूर के एक पेड़ से 50 हजार रुपये की आमदनी हो सकती है। ये कहानी है खजूर के बाग के मालिक राम सिंह विश्नोई और उनके बेटे संजय की।
खारे पानी से परेशानी नहीं, 4 वेराइटी के खजूर
पाकिस्तान की सीमा पर डटे किसान राम सिंह विश्नोई बताते हैं कि खजूर की खेती में खारा पानी कोई अड़चन नहीं। उन्होंने कहा कि बेहतर तरीके से रखरखाव करने पर औसतन 30-40 हजार और यहां तक की 50 हजार रुपये तक के खजूर बेचे जा सकते हैं। राजस्थान के चक 24 पीडी में राम सिंह विश्नोई ने 16 एकड़ में खजूर का बाग लगाया है। रेगिस्तान में 11 हजार खजूर के पौधे लगाकर स्मार्ट फार्मिंग का नमूना पेश कर रहे राम सिंह विश्नोई के बाग में मेडजुल, खलास, बरही और खुनेजी वेराइटी के खजूर मिलते हैं।
भारत में खजूर का आयात
संसद टीवी के विशेष कार्यक्रम स्मार्ट किसान के दौरान खजूर किसान राम सिंह विश्नोई के बेटे मनोज ने बताया कि किसी भी फल या सब्जी की खेती में मार्केट का आकलन सबसे जरूरी है। उन्होंने बताया कि भारत में सालाना 5 लाख टन से अधिक खजूर का आयात (ड्राई और वेट दोनों) होता है।
खारे पानी से सिंचाई, एक एकड़ में 70 पेड़
पानी खारा है या मीठा इे मापने के लिए पानी में टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड (टीडीएस) का आकलन किया जाता है। राजस्थान के जैसलमेर में जिस स्थान पर खजूर की खेती की जा रही है, यहां 2 हजार टीडीएस का पानी है यानी खजूर की सिंचाई खारे पानी से होती है। एक एकड़ में 70 पेड़ लगाए गए हैं। विश्नोई के बेटे संजय के मुताबिक राजस्थान में चार वेराइटी के खजूरों का उत्पादन किया जा रहा है।
ऑफशूट विधि से खजूर की रोपाई
तीन तरीकों से खजूर की रोपाई होती है। खजूर का पौधा लगाने के लिए ऑफशूट यानी बड़े पेड़ की जड़ से निकले पौधे का इस्तेमाल होता है. ऑफशूट विधि वाला पौधा 1500 रुपये में मिलता है। सब्सिडी के बाद इसकी कीमत 375 रुपये हो जाती है। किसान रामसिंह बताते हैं कि पौधे को निकालने के बाद 24 घंटे के अंदर दूसरी जगहों पर रोपाई कर देनी चाहिए। उन्होंने ऑफशूट को भरोसेमंद बताते हुए कहा, दो साल में 400-500 ऑफशूट पौधे दूसरे किसानों को दिए हैं। अपने फार्महाइउस पर भी 400-500 पौधे लगाए हैं। सभी पेड़ों से अच्छी मात्रा में खजूर मिल रहा है।
टिश्यू कल्चर वाले पौधे पर 75 परसेंट सब्सिडी
ऑफशूट के अलावा टिश्यू कल्चर या सीड मतलब खजूर के बीज से भी पौधे लगाए जा सकते हैं। राजस्थान में टिश्यू कल्चर वाला पौधा 3700 रुपये में मिलता है। 75 फीसद सब्सिडी, के बाद एक पौधा 826 रुपये में मिलता है। किसान राम सिंह के मुताबिक खजूर की उन्नत खेती में सबसे जरूरी सही पौधे का चुनाव है। टिशू कल्चर महंगा है, सभी किसान अफॉर्ड नहीं कर पाते। ऐसे में ऑफशूट का चुनाव किया जा सकता है। इससे भी शानदार पैदावार हासिल की जा सकती है।
मेडजुल वेराइटी से 50 हजार रुपये तक की कमाई
पौधों के रखरखाव के संबंध में किसान राम सिंह के बेटे का कहना है कि खजूर की खेती में अपार संभावनाएं हैं। भारत के बाजार में अच्छी डिमांड है। उन्होंने बताया कि मेडजुल वेराइटी से 50 हजार रुपये तक कमाए जा सकते हैं। उन्होंने दुबई में खजूर की खेती के बारे मे बताया कि उत्पादन के बाद मंडियों- मार्केट प्रोसेसिंग प्लांट में जाता है इसके बाद निर्यात होता है।
2000 रुपये प्रति किलो बिकता है किंग ऑफ डेट्स
मेडजुल को किंग ऑफ डेट्स कहा जाता है। साइज के कारण पॉपुलर मेडजुल खजूर अजवा वेराइटी के बाद सबसे महंगा होता है। भारत में मेडजुल 1500-2000 प्रति किलो बिकता है। इसके पेड़ से एवरेज 30-40 किलो का उत्पादन होता है। मार्केटिंग और ब्रांडिंग की मदद से किसानों को 50 हजार तक की आमदनी हो जाती है।
रिसर्च से विकसित हुआ हाईब्रिड खजूर
खजूर की खेती में सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जोधपुर में भारत सरकार की संस्था में रिसर्च के दौरान खजूर की किस्म विकसित की गई। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने डेट्स-पाम यानी खजूर की हाईब्रिड वेराइटी विकसित की है। आईसीएआर-केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (Central Arid Zone Research Institute (CAZRI) में विकसित खजूर की इस किस्म से औसत उपज से दो गुना अधिक खजूर पैदा हुए। खजूर की इस वेराइटी के बारे में CAZRI के प्रधान वैज्ञानिक डॉ आरके कौल ने बताया कि इस वेराइटी के खजूर को टिशू कल्चर तकनीक से तैयार किया गया है। एक हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 150 खजूर के पौधे तैयार किए जाते हैं। सितंबर 2014 में पहली बार लगाए गए खजूर के इन पौधों से लगभग ढाई साल बाद खजूर मिलने लगे। 2019 में 6,000 किलोग्राम खजूर उत्पादन किया गया, जबकि 2020 में लगभग 8,000 किलोग्राम खजूर पैदा हुए।
राजस्थान में कई जगहों पर खजूर की खेती
राजस्थान पत्रिका की जून 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक खजूर के बाग लगाने वाले किसान सादुलाराम चौधरी ने 2017 में 20 लाख रुपये कमाए थे। किसानों के बीच खजूर की खेती की लोकप्रियता भी बढ़ रही है। यही कारण है कि बगदाद की बरही (Barhi dates), मोरक्को और अफ्रीकी मूल के खजूरों की खेती के अलावा मक्का में पैदा होने वाली अल अजवा (al ajwah dates) किस्म के खजूर भी राजस्थान के रेगिस्तान में उगाए जा रहे हैं। 2018 की ही डीएनए इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जैसलमेर के अलावा बाड़मेर, श्रीगंगानगर बीकानेर में भी खजूर की खेती की जा रही है।
राजस्थान में इजराइल जैसी खेती !
राजस्थान में 8 वेराइटी के खजूर की खेती हो रही है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के बाद खेती की शुरुआत की गई। टिशू कल्चर से कई वेराइटी के खजूर पैदा किए जा रहे हैं। राजस्थान के वातावरण में वैसे ही खेती हो रही है जैसे इजराइल, जॉर्डन वैली या चाइना ट्रंच में की जाती है। मीठा पानी का टीडीएस 70-120 के बीच होता है, लेकिन 1500-2000 टीडीएस वाले पानी में भी खजूर की खेती हो सकती है। सिंचाई और प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल से हो रहा खजूर उत्पादन उत्साह बढ़ाने वाला है।