TechBharat : खेती में 'किसान ड्रोन' जैसी तकनीक, सरकार को यकीन- बढ़ेगी अन्नदाताओं की आमदनी
खेती-किसानी में सफलता हासिल करने वाले कई किसानों का मानना है कि अच्छी मात्रा में फसलों के उत्पादन के लिए विज्ञान का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जानिए भारत में एग्रीकल्चर में तकनीक और स्टार्टअप्स की भूमिका।
मैसूर, 21 मई : खेती-किसानी (agriculture) से जुड़े लोगों के सामने तकनीक का अभाव बड़ी चुनौती होती है। हालांक, बदलते दौर में सीएसआईआर व अन्य सरकारी इकाईयां एग्रीकल्चर और टेक्नोलॉजी के संतुलित और समझदारी भरे इस्तेमाल की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। इन्हीं तकनीकों में एक है खेती में ड्रोन का इस्तेमाल। ड्रोन की मदद से बड़े भूभाग में लगाई गई फसलों के आकलन में सुविधा होती है।
ड्रोन
से
कीटनाशकों
का
छिड़काव
इसके
अलावा
जमीनों
का
डिजिटल
रिकॉर्ड
बनाने
(भू-रिकॉर्डों
के
डिजिटाइजेशन)
में
भी
ड्रोन
की
मदद
ली
जा
रही
है।
फसलों
को
नुकसान
से
बचाने
के
लिए
खेतों
में
कीटनाशकों
और
पोषक
तत्वों
का
छिड़काव
किया
जाता
है।
इस
काम
में
भी
ड्रोन
को
बढ़ावा
दिया
जा
रहा
है।
जानिए
किन
तकनीकों
से
आसान
बन
रही
खेती।
यह
भी
जानें
कि
कृषि
से
जुड़े
स्टार्टअप्स
भारत
की
अर्थव्यवस्था
के
लिए
कैसे
मददगार
हैं।
टेकभारत का तीसरा संस्करण
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में राज्यमंत्री और विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने मैसूर में 'टेक भारत' के तीसरे संस्करण के दौरान कई स्टार्टअप्स द्वारा डेवलप तकनीक और मशीनों की जानकारी ली। डॉ जितेंद्र सिंह, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई परिसर में 'भारत के खाद्य तकनीकी, कृषि तकनीकी और कृषि अर्थव्यवस्था परिदृश्य को परिवर्तित करने' की थीम पर आधारित टेक भारत कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे.
किसानों की आय बढ़ाने में मदद
खेती-किसानी से जुड़े स्टार्टअप्स के बारे में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में भारत में कृषि तकनीक स्टार्टअप्स की एक नई लहर देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कृषि तकनीकी से जुड़े स्टार्टअप भारत की इकोनॉमी के लिए जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि बायो-गैस प्लांट, सौर ऊर्जा से चलने वाले कोल्ड स्टोरेज में कई कंपनियों ने उल्लेखनीय काम किया है। खेतों में लगी फसल की सुरक्षा के लिए बाड़ लगाने, पानी की पम्पिंग और मौसम का पूर्वानुमान जैसे काम में भी कई तकनीकों का विकास स्टार्टअप की ओर से ही हुआ है।
किसानों
की
आय
बढ़ाने
में
मदद
इसके
अलावा
खेतों
में
कीटनाशक
या
अन्य
जैविक
उर्वरकों
के
छिड़काव
के
लिए
मशीनों,
बुआई
मशीनों
और
वर्टिकल
फार्मिंग
जैसी
तकनीक
भी
विकसित
की
गई
है।
इनसे
किसानों
की
कई
समस्याओं
का
समाधान
होने
के
अलावा
किसानों
की
आय
बढ़ाने
में
भी
मदद
मिल
रही
है।
खेती में निवेश सुरक्षित
कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का उपयोग जरूरी है। तकनीक के प्रयोग पर जोर देते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में भारत में कृषि-तकनीक स्टार्टअप का शानदार लाभ दिखा है। युवा उद्यमी अब आईटी सेक्टर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अपनी नौकरियां छोड़ रहे हैं। खुद के स्टार्टअप स्थापित कर रहे युवा उद्यमियों ने अब महसूस करना शुरू कर दिया है कि कृषि में निवेश सुरक्षित और लाभकारी है।
नए और किफायती समाधान
बकौल जितेंद्र सिंह, स्टार्टअप्स की सक्रियता से सप्लाई चेन मैनेजमेंट बेहतर हो रहा है। उन्होंने कहा, एग्री-टेक स्टार्टअप (कृषि तकनीकी से जुड़े स्टार्टअप) कृषि मूल्य श्रृंखला (agricultural value chain) से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए नए आइडियाज ला रहे हैं। इनके समाधान किफायती भी होते हैं। ये स्टार्टअप नए उद्यमी किसानों, इनपुट डीलरों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं के बीच कड़ी बन गए हैं। इनसे उत्पाद की मार्केटिंग बेहतर हो रही है। लोगों को क्वालिटी वाले उत्पाद मिल रहे हैं।
ऐसे बढ़ेगी किसानों की आय
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ है। 54 प्रतिशत भारतीय सीधे कृषि पर निर्भर हैं। यह सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का लगभग 20 प्रतिशत है। इन आंकड़ों के रेफरेंस से डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, खेती में गत कुछ वर्षों में निरंतरता देखी गई है। प्रगति भी हुई है, लेकिन युवा और इनोवेटिव आइडिया को प्रोत्साहित करने में कोताही बरती गई। उन्होंने कहा, इजरायल, चीन और अमेरिका जैसे देशों में खेती में टेक्नोलॉजी का उपयोग होता है। इन देशों ने दिखाया है कि हाइब्रिड बीज, सटीक खेती, बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जियो-टैगिंग और सैटेलाइट मॉनिटरिंग, मोबाइल ऐप और फार्म मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर जैसी तकनीक से किसानों की उपज और आय दोनों बढ़ाई जा सकती है।
निश्चित बढ़ेगी किसानों की इनकम
गौरतलब है कि इस साल फरवरी में देश भर में 100 मेड-इन-इंडिया कृषि ड्रोन लॉन्च किए गए थे। 'किसान ड्रोन' के उपयोग को बढ़ावा देने के संबंध में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, ड्रोन का उपयोग वनस्पति या फसल, खरपतवार, संक्रमण और कीटों से प्रभावित क्षेत्रों में आकलन करने के लिए किया जा सकता है। आकलन के आधार पर, खेतों या फसलों में होने वाले संक्रमणों से लड़ने के लिए जरूरी रसायनों की सटीक मात्रा का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे किसानों की लागत भी घटती है। भारत में बाजार आधारित एग्री-टेक स्टार्टअप की भूमिका पर उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां ताजे और ऑर्गेनिक फल और सब्जियां सीधे किसानों से खरीद कर बेच रही हैं, लेकिन बहुत से स्टार्टअप्स की ओर से किसानों की परेशानियों के इनोवेटिव और टिकाऊ सॉल्यूशन दिए गए हैं। ऐसा लगातार होने पर किसानों की आय बढ़नी तय है।
हर किसान तक समाधान पहुंचाना चुनौती
खेती-किसानी से जुड़े लोगों के बीच इंटरनेट के बढ़ते उपयोग और स्मार्टफोन एक्सेस का जिक्र कर डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उभरते स्टार्टअप्स और ग्रामीण इलाकों में सरकार की स्कीम के कारण कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की गति और तेज होने उम्मीद है। उन्होंने कहा, कृषि से जुड़े अधिकांश मुद्दों को सुलझाने की प्रौद्योगिकी मौजूद होने के बावजूद, हर किसान तक समाधान पहुंचाना चुनौती है।