Lampi virus: अब एक और वायरल बीमारी से हड़कंप मचा, गुजरात में मारे गए 1000 पशु
वडोदरा। कोरोनावायरस और मंकीपॉक्स वायरस के प्रकोप के बीच देश के एक हिस्से में अब एक और खतरनाक वायरस के संक्रमण से हड़कंप मच गया है। यह वायरस है- 'लम्पी वायरस' (Lampi virus), यह पशुजनित ऐसा रोग है, जिसकी चपेट में गुजरात के हजारों पशु आ चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें प्रभावित इलाकों में इसकी रोकथाम के प्रयास कर रही हैं। पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, 'लम्पी वायरस' से 1000 पशुओं की जान जा चुकी है। अब तक 2 लाख 68 हजार से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। फिर भी कई जिलों के पशुपालकों में इसका खौफ फैल रहा है।
चपेट में आए हजारों पशु, तड़प-तड़पकर मर रहे
इस वायरस के प्रकोप को लेकर गुजरात सरकार विभिन्न स्तर पर जुट गई है। गुजरात के कृषि व पशुपालन मंत्री राघव जी पटेल ने इस बारे में कहा कि, पशुपालकों को सतर्कता बरतनी होगी। उन्होंने बताया कि सौराष्ट्र- कच्छ, जामनगर, राजकोट, पोरबंदर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, अमरेली, भावनगर, सुरेंद्रनगर, जूनागढ़, गिर सोमनाथ, बोटाद, बनासकांठा एवं साबरकांठा के साथ दक्षिण गुजरात के सूरत में अन्य जिलों में दुधारू पशु गाय भैंस में लम्पी वायरस का असर देखा गया है। उपरोक्त एक दर्जन से ज्यादा जिलों में हजारों पशु इसके शिकार हो गए हैं, जबकि 1000 पशुओं की इस वायरस के कारण मौत हो चुकी है।'
38000 मवेशियों का उपचार किया जा चुका
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बीमारी के निदान हेतु गुजरात का पशुपालन व मेडिकल विभाग ने प्रभावित जिलों के 38000 पशुओं का उपचार कराया है। हालांकि, कुछ जिलों में इसका प्रकोप इतना ज्यादा है कि जानवरों के संक्रमित होने से प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं। एक अधिकारी ने कहा कि, सौराष्ट्र-कच्छ सहित जामनगर, राजकोट, पोरबंदर और मोरबी जैसे जिलों में राज्य सरकार अब तक करीब 900 गांव में 38000 मवेशियों का उपचार कर चुकी है। वहीं, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य में इस वायरस का पहला केस सामने आने के साथ ही पशुपालन मेडिकल व अन्य विभागों की बैठक बुलाकर पशुओं के उपचार के लिए तेजी से टीकाकरण का निर्देश दे दिया है।
ढाई लाख से ज्यादा पशुओं का टीकाकरण
गुजरात के कृषि-पशुपालन मंत्री ने बताया कि, स्वास्थ्य विभाग की ओर से व्यापक स्तर पर मवेशियों का टीकाकरण किया जा रहा है। राज्यभर में अब तक ढाई लाख से भी अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। मंत्री ने कहा कि, राज्य सरकार की ओर से पशुपालकों की मदद के लिए 1962 हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि, इस वायरस से बचाव के लिए रोगग्रस्त मवेशियों को अलग रखा जा रहा है।
कैसे लक्षण दिखते हैं, कैसे फैलता है
पशु चिकित्सकों के मुताबिक, यह वायरस त्वचा का वायरल रोग है जो मच्छर, मक्खी, जूं, के अलावा दूसरा दूषित भोजन पानी से फैलता है। इस वायरस के कारण मवेशियों में बुखार, आंख और नाक से स्राव, मुंह से लार पूरे शरीर में गांठ और छाले पड़ जाते हैं। जिससे पशुओं का न केवल दूध उत्पादन कम हो जाता है, अपितु वे अवश्य खाना-पीना बंद जमीन पर पड़े रहते हैं।