RakshaBandhan 2019 : इकलौते भाई को मौत के मुंह से निकाल लाई बहन, खुद की जान की नहीं की परवाह
सीकर। पूरा देश आज रक्षाबंधन 2019 पर्व मना रहा है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी दीर्घायु की कामना कर रही हैं। रक्षाबंधन के मौके पर जानिए एक ऐसी बहन के बारे में जिसने खुद मौत के मुंह में जाकर भाई को नई जिंदगी दे दी। भाई कोमा में था और उसका बचना मुश्किल हो रहा था।
चिकित्सकों ने लीवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता जताई तो इकलौते भाई की जिंदगी बचाने में बहन आगे आई और उसने अपना लीवर दिया। भाई बहन के अटूट स्नेह की कहानी राजस्थान के सीकर की है। सीकर में नवलगढ़ रोड स्थित किसान कॉलोनी में रहने वाली अंजू ने झुंझुनूं जिले के चूड़ी अजीतगढ़ निवासी धर्मेन्द्र को 70 फीसदी लीवर देकर जिंदगी का तोहफा दिया है।
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हुआ यूं कि धर्मेन्द्र अजमेर जेल में बतौर चालक पद पर कार्यरत था। आठ साल पहले उसकी तबीयत बिगड़ गई तो वह इलाज करवाने सीकर में अपनी बहन अंजू के पास आ गया। बहन व बहनोई रघुवीर सिंह ने उसका इलाज करवाया। सीकर में तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो उसे जयपुर निजी अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां चिकित्सकों ने लीवर फेल हो जाने की बात कही और लीवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता जताई।
फिर यहां से धर्मेन्द्र को दिल्ली ले जाया गया। चिकित्सकों के अनुसार बिना लीवर ट्रांसप्लांट किए उसके बचने की महज एक फीसदी उम्मीद थी। ऐसे में बहन अंजू ने लीवर डोनेट करने का फैसला लिया। 16 डॉक्टरों की टीम ने 12 घंटे चले ऑपरेशन में लीवर ट्रांसप्लांट किया। ऑपरेशन के बाद भाई-बहन स्वस्थ हैं। भाई धर्मेन्द्र का कहना है कि जीवनदान जैसे बड़े तोहफे के मुकाबले बहन को देने के लिए मेरे पास कोई उपहार नहीं है। बस भगवान से यह ही प्रार्थना है कि हर भाई को ऐसी ही बहन मिले और भाई-बहन का यह प्यार हमेशा ऐसे ही बना रहे।
मीडिया से बातचीत में अंजू ने बताया कि पिता के देहांत के बाद वह अपने इकलौते भाई को खोना नहीं चाहती थी। खुद के 14 वर्षीय बेटी तथा 11 वर्षीय बेटा होने के बावजूद वह भाई को बचाने के लिए तैयार हो गई। अंजू का कहना है कि उस परिस्थिति में परिवार का सहयोग मिलना उसके लिए बड़ी बात थी।