NEP में कोरियन भाषा को जगह मिलने पर दक्षिण कोरिया गदगद, राजदूत ने कही ये बात
नई दिल्ली- नई शिक्षा नीति में सेकेंडरी स्तर पर कोरियन भाषा को जगह दिए जाने की खबरों पर दक्षिण कोरिया बहुत ही उत्साहित है। भारत में कोरिया के राजदूत ने कहा है कि वह भारत में कोरियन लैंग्वेज के इंस्टीट्यूट स्थापित करेगा और इस भाषा की शिक्षा देने में भारत को हर मुमकिन सहयोग करेगा। गौरतलब है कि कैबिनेट से मंजूर नई शिक्षी नीति में विदेशी भाषाओं में चाइनीज भाषा का जिक्र नहीं किया गया है, जबकि कुछ दूसरी भाषाओं का उल्लेख किया गया है।
माध्यमिक स्तर पर कोरियन भाषा पढ़ाए जाने के बारे में दक्षिण कोरिया ने आधिकारिक रूप से खुशी जाहिर की है। भारत में रिपब्लिक ऑफ कोरिया के राजदूत शिन बोंग-किल ने कहा है, 'यह सुनकर खुशी हुई कि कोरियन भाषा माध्यमिक स्तर पर ऑफर किया जाएगा, कोरियन मीडिया में इसका बहुत जिक्र हुआ है। कोरियन सरकार बढ़चढ़कर सहायता करने और दिल्ली में कोरियन लैंग्वेज के इंस्टीट्यूट स्थापित करने की सोच रही है। '
बता दें कि हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट से जारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विदेशी भाषाओं में चाइनीज का जिक्र नहीं है। जबकि, 2019 में जारी किए गए मसौदे में चाइनीज का जिक्र था। लेकिन, बुधवार को जारी नई शिक्षा नीति में चाइनीज की जगह कोरियन, जापानी, फ्रेंच, जर्मन, स्पैनिश, पुर्तगीज और रशियन को जगह दी गई है। माध्यमिक के छात्रों को यह छूट होगी कि वह अपनी इच्छा के मुताबिक इन भाषाओं में से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं।
गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा के लिए 5+3+3+4 के अनुसार पाठ्यक्रम डिजाइन की गई है। अभी तक भारत में स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चल रहा है। इन चार भागों का मतलब है कि प्राइमरी से लेकर दूसरी क्लास तक पहला हिस्सा, तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा और नौवीं से 12वीं तक अंतिम हिस्सा। बता दें कि नई शिक्षा नीति में भारतीय मूल्यों पर भारतीय शिक्षण पद्धति पर पूरा जोर दिया गया है, साथ ही साथ इमें आधुनिक जरूरतों के हिसाब से इसे समायोजित करने का भी प्रयास किया गया है।
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