जानिए कि मोदी जो करते दिख रहे हैं वो किस तरह का योग है
प्रधानमंत्री ने 'फ़िटनेस चैलेंज' को लेकर जो वीडियो जारी किया है वो सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया में छाया हुआ है.
उन्होंने अपने संदेश में कहा है, "योग के अलावा मैं प्रकृति के पंचतत्वों से प्रेरित पथ पर चलता हूँ. ये पांच तत्व हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश. ये बेहद स्फूर्तिदायक और फिर से जवान बना देने वाला है. मैं प्राणायाम भी करता हूँ."
मोदी ने इस वीडियो मैसेज को अपने सुबह की एक्सरसाइज़ के तौर पर पेश किया है. वीडियो में जो ब्रीदिंग दिखाई गई है वो योग के प्राणायाम का हिस्सा है.
प्रधानमंत्री ने 'फ़िटनेस चैलेंज' को लेकर जो वीडियो जारी किया है वो सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया में छाया हुआ है.
उन्होंने अपने संदेश में कहा है, "योग के अलावा मैं प्रकृति के पंचतत्वों से प्रेरित पथ पर चलता हूँ. ये पांच तत्व हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश. ये बेहद स्फूर्तिदायक और फिर से जवान बना देने वाला है. मैं प्राणायाम भी करता हूँ."
मोदी ने इस वीडियो मैसेज को अपने सुबह की एक्सरसाइज़ के तौर पर पेश किया है. वीडियो में जो ब्रीदिंग दिखाई गई है वो योग के प्राणायाम का हिस्सा है.
अब सवाल है कि मोदी के जिस एक्सरसाइज़ को न्यूज मीडिया में 'पंचतत्व योग' कह कर प्रसारित किया जा रहा है क्या उसका यही स्वरूप होता है?
आख़िर 'पंच तत्व' हैं क्या? क्या सचमुच इन पाँच करिश्माई तत्वों का हमारे सेहत से कोई लेना-देना है?
इन सवालों की पड़ताल करने से पहले जरा हम पीएम मोदी के इस वीडियो के बाक़ी पहलुओं को समझें.
https://twitter.com/narendramodi/status/1006739708670455810
वीडियो की शुरुआत टहलने से है, जो योग अभ्यास का अंग नहीं है बल्कि एक तरह की एक्सरसाइज़ है.
पीएम उल्टी दिशा में चलते दिखाई देते हैं, इस तरीके का लाभ ये होता है कि पैर की माँसपेशियों को एक नया मूवमेंट दे पाते हैं जिसे वो ज्यादा मजबूत हो पाती हैं.
वीडियो के बीच में पानी, मिट्टी में पीएम को टहलते दिखाया गया है, जिसके आधार पर इसको 'पंचतत्व योग' कहा जा रहा है.
वीडियो के बीच हिस्से में ही पीएम एक चट्टान के उपर पीठ के बल लेटे हैं, इसे हम 'सपोर्टेट आसन' के रूप में देख सकते हैं.
इस तरह के आसन 'बैकबेंडिग श्रेणी' में आते हैं जो बैक मसल्स को मजबूत, स्पाइन (रीढ़) को लचीला, हार्ट-लंग्स को ओपन और मजबूत करता है.
वीडियो के आख़िरी हिस्से में प्राणायाम दिखाया गया है, उन्होंने पहले खड़े होकर अनुलोम-विलोम और बाद में कपालभाति क्रिया की. हालांकि प्राणायाम कायदे से इसके ठीक उलटे क्रम में होना था यानी कपालभाति पहले और अनुलोम विलोम उसके बाद.
मोदी ने अगर योग गुरु रामदेव से सलाह ली होती तो ये कायदे से हो सकता था.
हालाँकि वीडियो का मक़सद अगर आम लोगों के बीच फिटनेस जागरूकता फैलाना है, ऐसे में अभ्यास का क्रम उतना मायने नहीं रखता.
पंच तत्व का महत्व समझें
प्राचीन समय से योग की गहरी धारणा रही है कि 'यत पिंडे, तत ब्रह्मांडे' यानी जो मूल तत्व ब्रह्मांड में हैं वहीं हमारे पिंड (शरीर) में भी स्थित है.
योग, तंत्र, आयुर्वेद, ज्योतिष इत्यादि सभी ने पांच मूल तत्वों से शरीर का निर्माण बताया. तुलसीदास ने समझाया है, "क्षिति जल पावक गगन समीरा , पंच रचित अति अधम शरीरा."
"हमारे भौतिक शरीर का निर्माण धरती, जल, अग्नि, वायु और आकाश जैसे पंच तत्वों से मिलकर हुआ है."
जिस प्रकार ब्रह्मांड में इन पांच तत्वों के असंतुलन से प्रलय, विनाश का वातावरण बनता है, उसी प्रकार हमारे शरीर में इन पांच तत्वों के असंतुलन से कई शारीरिक-मानसिक बीमारियां पैदा हो सकती है और हमारा जीवन संकट में आ सकता है.
योग अभ्यास में इस्तेमाल होने वाले कई तरीकों का मुख्य मक़सद इन पांच तत्वों की शुद्धि कर इन्हें संतुलित करने से है.
तंत्र में इसे ही पंचभूत-शुद्धि के नाम से भी जाना जाता है.
1. धरती
पहला तत्व धरती है और ये भौतिक शरीर का आधार तत्व माना जाता है. धरती तत्व हमारे पूरे शरीर को स्टेबिलिटी देता है. हमारे मांस, हड्डियों और आकार को धरती तत्व ही ढांचा देते हैं.
जो भी हमारे शरीर में सॉलिड (ठोस) है वो धरती तत्व को रिप्रजेंट करता है.
धरती तत्व की कमी और समस्या
मांसपेशियों, हड्डियों की कमजोरियों से संबंधित सभी समस्याएं - जैसे बैक पैन, ऑस्टियोपोरोसिस. इसके अलावा मोटापा, दुबलापन, कमज़ोरी इत्यादि.
योग उपचार - आसन मुख्य रूप से संतुलन और खड़े होकर करने वाले जैसे वृक्षासन, हस्त उत्तानासन इत्यादि. नंगे पांव जमीन में चलना, मिट्टी लेपन चिकित्सा और संतुलित शुद्ध भोजन.
2. जल
जो भी हमारे शरीर में तरल रूप में मौजूद रहता है वो जल तत्व को रिप्रजेंट करता है- जैसे रक्त, लार, हार्मोन्स, लिम्फ (लसीका) इत्यादि.
भोजन, ऑक्सीजन और दूसरे रूप में हम जो भी ऊर्जा ग्रहण करते हैं, जल तत्व उसको शरीर के तमाम हिस्सों में पहुंचाकर उसको सेहतमंद रखता है.
जल तत्व की कमी और समस्या
कोल्ड, अस्थमा, स्वेलिंग, ब्लड थक्का न जमना या पतला होना, मूत्रजनित समस्याएं, सेक्स और रिप्रोडेक्टिव ऑर्गन से संबंधित समस्याएं.
इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी से होने वाली बीमारियां, हार्मोन्स से संबंधित सभी तरह की बीमारियां जैसे- डायबिटीज़, थायरॉयड इत्यादि.
योग उपचार- योगासन से जल तत्व का मूवमेंट बेहतर होता है और इससे संबंधित समस्याएं काबू में आती हैं.
कुंजल योग क्रिया, जिसमें गरम गुनगुना जल पीकर उसे फिर मुंह से बाहर करते हैं. इसके अलावा संतुलित मात्रा में जल का सेवन, जल में पांव रखना या जल स्नान.
3. अग्नि
योग में अग्नि तत्व का ज्यादा महत्व बताया गया है. शरीर में शुद्धता के लिए अग्नि ज्यादा महत्वपूर्ण कारक माना गया है.
अग्नि हमारे भौतिक शरीर में पाचन अग्नि, भूख, मेटाबोल्जिम (चयापचय प्रक्रिया) को रिप्रेजेंट करता है.
ब्रेन और नर्वस इनर्जी को भी अग्नि का रूप बताया गया है. अग्नि हमारे विचार, भावना और संवेदना को इम्पल्स के रूप में अभिव्यक्त करने में मदद करता है.
अग्नि तत्व की कमी और समस्या
अपचन, बुखार, एसिडिटी, मेटाबोल्जिम से संबंधित समस्याएं जैसे डायबिटीज़ इत्यादि.
योग उपचार - यौगिक अग्निसार क्रिया, बंध और मुद्रा, आसन -खासकर आगे झुकने वाले, सूर्यनमस्कार. सूर्य प्रकाश का सेवन.
4. वायु तत्व
योग में शरीर से लेकर मन की शुद्धता के लिए वायु तत्व को पांचों तत्वों में से ज्यादा प्रमुख बताया गया है. वायु तत्व शरीर में सांस के रूप में मौजूद है.
वायु तत्व मुख्यरूप से ऑक्सीजन हमारे शरीर के विजातीय पदार्थ यानी टॉक्सिन को खत्म करता है.
टॉक्सिन से हमारे महत्वपूर्ण अंग कमजोर पड़ने लगते हैं और उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है.
वायु हर तरह से शारीरिक और मानसिक मूवमेंट के लिए ज़रूरी तत्व भी है.
चूंकि वायु का सीधा संबंध गति से है इसलिए योग में मन की गति को नियंत्रित करने के लिए वायु तत्व को बहुत ज्यादा प्रमुखता दी गई है.
वायु तत्व की कमी और समस्या
शारीरिक मूवमेंट से संबंधित सभी समस्याएं- जैसे अर्थराइटिस, शारीरिक दर्द, पारकिंसन बीमारी. इसके अलावा तनाव, अवसाद इत्यादि.
योग उपचार - यौगिक माइंडफूल आसन मूवमेंट, प्राणायाम, खूले स्वच्छ वायु वाले इलाके में जैसे पार्क और प्राकृतिक वादियों में रहना.
5. आकाश तत्व
हमारा पूर्ण आकार, हमारे होने की जो अभिव्यक्ति और अनूभूति है वो आकाश तत्व के रूप में हमारे अस्तित्व में मौजूद है.
आकाश तत्व की कमी और समस्या -स्पीच प्रॉब्लम, व्यक्तित्व से संबंधित समस्याएं, एप्लेप्सी, मूर्खतापूर्ण या अविवेकपूर्ण आचरण, पागलपन इत्यादि.
योग उपचार - आसन, प्राणायाम और खासकर ध्यान की साधना. खुले आकाशीय वातावरण में रहना और घूमना, प्रकृति से ज्यादा क़रीब रहना.
ये भी बात ख्याल रहे कि ये पांच तत्व में कुछ एक दूसरे के परस्पर सहायक है तो कुछ विरोधी नेचर के हैं. जैसे वायु और जल तत्व एक दूसरे के विरोधी हैं.
जैसे भोजन करते ही आपके अंदर अग्नि तत्व ज्यादा जागृत होता है, इसलिए भोजन के तुरंत बाद जल तत्व ज्यादा लेने की मनाही है, इससे भोजन के पाचन का वक्त लंबा हो जाता है.
फिर धरती और जल तत्व एक दूसरे के सहयोगी हैं. उसी तरह अग्नि और वायु मिलकर एक दूसरे को सहयोग करने का काम करते हैं.
अगर आप इन तत्वों को ना भी समझ रहें होते हैं तो भी योग के अभ्यास आपको जाने-अनजाने इन पांच तत्वों में एक गजब का संतुलन लाएगा.
इससे ना सिर्फ आपके शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा बल्कि आपका व्यक्तित्व को भी चार चांद लग जाएंगे.