महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार के पास बहुमत के लिए 7 दिसंबर तक का है समय
बेंगलुरु। महाराष्ट्र में चल रहा सियासी नाटक अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया है। महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी सरकार गठन की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना द्वारा आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने संविधान का उल्लंघन करके महाराष्ट्र में बीजेपी और एनसीपी गठबंधन सरकार को शपथ दिलाई है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार की सुबह फैसला सुनाने वाली है। लेकिन सोमवार को कोर्ट में इस केस की सुनवाई के दौरान एक बड़ा खुलासा हुआ है।
महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार के गठन पर हुई सुनवाई के दौरान सदन में बहुमत परीक्षण को लेकर बिलकुल नयी बात सामने आयी है। जिसको सुनकर विपक्ष की नींद और हराम हो चुकी है। दरअसल सुनवाई में खुलासा हुआ कि फडणवीस सरकार को राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए 14 दिन का समय दिया था।
जबकि शनिवार को सुबह फडणवीस के शपथ ग्रहण के बाद से आगामी 30 नवंबर को सरकार को बहुमत परीक्षण की बात सामने आयी थी। महाराष्ट्र के सीएम फडणवीस के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील पेश करते हुए यह कहा कि राज्यपाल ने फडणवीस को बहुमत साबित करने के लिए 14 दिन का समय दिया गया था।
बता दें महाराष्ट्र में एनसीपी के अजीत पवार के सहयोग से फडणवीस सरकार का गठन 23 नवंबर को हुआ था। 23 नवंबर से 14 दिन की मोहलत के हिसाब फडणवीस सरकार को आगामी सात दिसंबर तक बहुमत साबित करने का समय है।
गौरतलब है कि शनिवार सुबह 8 बजे देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजीत पवार ने मुख्यमंत्री की शपथ लेकर सबको चौका दिया था। जबकि एक दिन पूर्व यानी शुक्रवार की रात्रि तक एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन अगले दिन राज्यपाल से मिलकर सरकार गठन की पेशकश करने वाले थे। जिसमें उद्वव ठाकरे मुख्मयंत्री बनने वाले थे।
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में उठाया ये सवाल
बता दें शनिवार की शाम ही शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी संयुक्त रूप से राज्यपाल के फैसले को चुनौती देते हुए तत्काल सुनवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। इन तीनों पार्टियों ने गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को असंवैधानिक ठहराने और तुरंत बहुमत परीक्षण करवाने की मांग करते हुए अदालत से फौरन सुनवाई की गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल अपनी रजिस्ट्री से कहा कि इस मामले को रविवार सुबह उसके सामने सुनवाई के लिए लाया जाए। रविवार सुबह साढ़े दस बजे सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने इसकी सुनवाई की। इस बेंच में जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल रहे।
कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना की ओर से कोर्ट में कपिल सिब्बल ने और अभिषेक मनु सिंघवी ने सदन में जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट की मांग की। कपिल सिब्बल ने पूछा कि ऐसा क्या राष्ट्रीय आपातकाल था कि राष्ट्रपति शासन को सुबह 5.17 पर निरस्त करके सुबह 8 बजे शपथ दिलाई गई? राष्ट्रपति शासन को सुबह 5.17 बजे हटाया गया जिसका मतलब है कि 5.17 से पहले सब कुछ हुआ।
राज्यपाल ने दिया है बहुमत परीक्षण के लिए 14 दिन का समय
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि राज्यपाल ने किसके कहने पर राष्ट्रपति शासन हटाया? सरकार को बहुमत परीक्षण पर आपत्ति क्यों हों रही हैं? कैबिनेट ने कब राष्ट्रपति शासन हटाने की मंजूरी दी? सदन में तुरंत बहुमत परीक्षण कराया जाना चाहिए। पूरी कार्रवाई शक के घेरे में है। उस आपातकाल का अदालत में खुलासा करें। सिब्बल ने कोर्ट से अपील की कि पोटेम स्पीकर बनाकर तुरंत बहुमत परीक्षण हो।
लेकिन देवेन्द्र फडणवीस के वकील की दलील के बाद माना जा रहा है कि चूंकि राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए 14 दिनों का समय दिया हैं तो इसके हिसाब से फडणवीस सरकार को बहुमत साबित करने के लिए आगामी 7 दिसंबर तक का समय है।
विधायकों की खरीद-फरोख्त का सता रहा डर
बता दें कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना फडणवीस सरकार को जल्द सदन में बहुमत साबित इसलिए करवाना चाहती है क्योंकि तीनों दलों को अपने विधायकों पर भरोसा नही है। खरीद-फरोख्त से बचाने के प्रयास के तहत एनसपी, कांग्रेस और शिवसेना के विधायकों को मुंबई के लक्जरी होटलों में ठहराया है। विपक्षी पार्टियों ने सुरक्षा बहुत सख्त रखी है। पिछले तीन दिनों से तीनों पार्टियों ने अपने नेताओं को नजरबंद कर रखा गया है।
भाजपा को बहुमत के लिए चाहिए 145 काआंकड़ा
महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं। महाराष्ट्र की भाजपा की नवनियुक्त सरकार को अब 7 दिसंबर तक बहुमत साबित करना हैं । जिसके लिए आगामी सदन में बहुमत साबित करने के लिए 145 का जादुई आंकड़ा चाहिए। भाजपा के पास 105 और एनसीपी के 54 विधायक हैं यदि दोनों पार्टियों के आंकड़े को मिला दिया जाए तो यह 159 होता है जो बहुमत से ज्यादा है।
लेकिन एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार इस सरकार के गठन को गलत बता चुके हैं और एनसीपी का समर्थन देने से इंकार कर चुके है तो भाजपा को फ्लोर टेस्ट होने की स्थिति में फ्लोर मैनेजमेंट के जरिए 170 विधायकों का समर्थन जुटा लेने का अभी भी भरोसा है। वहीं, अजित पवार खुलकर सामने नहीं आ रहे, लेकिन उनके खेमे को यकीन है कि तकनीकी पहलुओं की वजह से फ्लोर टेस्ट की स्थिति में राकांपा विधायकों पर उनका ही व्हिप माना जाए।
भाजपा कर चुकी है 170 विधायकों का दावा
बता दें शनिवार सुबह शपथ ग्रहण के वक्त अजित पवार के साथ मौजूद विधायक शाम को शरद पवार के पास लौट गए। लेकिन इसके बावजूद भाजपा नेताओं का कहना है कि हम फ्लोर टेस्ट में 170 के आसपास विधायक जुटाकर राज्य में आराम से सत्ता बचा लेंगे। अजित पवार ने हमें 54 विधायकों के समर्थन का पत्र दिया था। यह पत्र हमारे पास है। यही फ्लोर टेस्ट और व्हिप का मूल आधार होगा। शिवसेना को जिन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दिया था, वे भी हमारे पास आ सकते हैं। इसलिए हमें अब कोई चिंता नहीं है। भाजपा का यह दावा एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना की नींद हराम की हुई हैं इसलिए वह विधायकों को अपनी आंख से ओझल तक होने का भी मौका नही दे रहे।
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