चारा घोटाले में लालू समेत 31 आरोपियों की किस्मत का 23 दिसंबर को होगा फैसला, पढ़िए पूरी कहानी
23 दिसंबर को ये क्लियर हो जाएगा कि इस मामले में किन-किन लोगों को दोषी करार किया गया है या किन्हें निर्दोष साबित किया गया है।
पटना। पिछले 21 सालों से चल रहे बिहार के दो चर्चित राजनेता के ऊपर चारा घोटाले का मामला अब फैसले तक पहुंच चुका है। इस मामले में बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्री के साथ-साथ 31 लोग आरोपी हैं, जिनकी किस्मत का फैसला 23 दिसंबर को किया जाएगा। 23 दिसंबर को ये क्लियर हो जाएगा कि इस मामले में किन-किन लोगों को दोषी करार किया गया है या किन्हें निर्दोष साबित किया गया है। दरअसल आपको बता दें कि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की कोर्ट में चारा घोटाले के एक मामले में सुनवाई पूरी हो गई है। इस मामले में फैसले की तिथि 23 दिसंबर तय की गई है। मामला देवघर कोषागार से 89 लाख रुपए के अवैध निकासी का है, जिसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र, ध्रुव भगत, पूर्व सांसद आरके राणा, जगदीश प्रसाद, विद्यासागर निषाद, आईएएस अधिकारी फूलचंद्र सिंह, महेश प्रसाद, बैंक जूलियर, डॉक्टर कृष्ण कुमार, आपूर्तिकर्ता त्रिपुरारी मोहन प्रसाद सुशील कुमार, सरस्वतीचंद्र, ज्योतिष कुमार झा सहित 31 आरोपी हैं। इस मामले में कई चरणों में लालू प्रसाद यादव के द्वारा गवाही हुई थी जिसमें वो हाजिर हुए थे।
21 साल बाद होगा फैसला
बता दें कि देवघर कोषागार से निकाले गए अवैध निकासी से जुड़े मामले में बहस अब पूरी हो चुकी है। जिस में आरोपी बने लोगों में से 11 लोगों की मौत हो चुकी है तो सरकारी गवाह पीके जयसवाल और सुशील झाले निर्णय से पहले ही दोषी स्वीकार कर लिए गए थे। अब 21 साल बाद चारा घोटाले के इस चर्चित 48वें मामले में फैसला सुनाया जाएगा। इस फैसले पर बिहार झारखंड के साथ-साथ पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं और अभी से ही लोग इस फैसले को लेकर तरह-तरह की चर्चा करते नजर आ रहे हैं।
लालू समेत 31 लोगों पर एकसाथ आएगा फैसला
मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने चारा घोटाले से संबंधित पांच मामलों में से दूसरे नंबर पर देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले की सुनवाई पूरी की। इस दौरान सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में फैसले के दिन सभी आरोपियों को सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। आपको बता दें की राजनीतिक आरोपी के साथ-साथ इस मामले में आईएएस अधिकारी और पशुपालन अधिकारी भी शामिल हैं। जिन सभी का फैसला 23 दिसंबर को होगा।
इस फैसले में सबसे खास कुछ चर्चित चेहरे हैं जिनके ऊपर पूरा देश ध्यान से नजर रखेगा, जिसमें राजनीतिक आरोपी लालू प्रसाद यादव और डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र के साथ-साथ सांसद जगदीश शर्मा पूर्व सांसद डॉ. आरके राणा और बिहार के पशुपालन मंत्री विद्यासागर निषाद और पीएसी अध्यक्ष ध्रुव भगत शामिल हैं।
चारा घोटाले में जेल जाने के बाद राबड़ी देवी बन गई थीं बिहार की मुख्यमंत्री...
राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री तब बनाई गई जब लालू यादव चारा घोटाला मामले में जेल जा रहे थे। रावड़ी का राजनीतिक सफर काफी चर्चित रहा। उनके ही राज्य में बिहार को जंगलराज घोषित किया गया था। तो उनके राज्य में ऐसा कहा जा रहा था की राबड़ी देवी का सरकार उनके दो भाई और पार्टी के नेता चलाते हैं।
चारा चोर के नाम से बच्चा-बच्चा जानने लगा था लालू को...
एक वक्त वो भी था जब लालू प्रसाद यादव पर पशुओं को खिलाएं जाने वाले चारे की चोरी करने का मामला सामने आया था। जिसमे ये आरोप लगाया गया था कि चारे के नाम पर सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करते हुए पैसे निकाल लिए गए थे। जिसकी राशि लगभग 900 करोड़ रुपए की थी और इसी घोटाले को लेकर उन्हें मुख्यमंत्री की गद्दी छोड़ जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा था। इस मामले में उन्हें 1996 में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया था और 30 जुलाई 1997 को वो चारा घोटाले के आरोप में जेल चले गए थे। यही नहीं घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें लोकसभा से आयोग में भी ठहराया गया था। इस घटना में लालू प्रसाद यादव को देश का बच्चा-बच्चा चारा चोरी करने वाला लालू के नाम से जाने लगा था।
जानिए कब दर्ज हुआ था मामला, जेल से कब छूटे थे लालू?
आपको बताते चलें की चारा घोटाले मामले में सीबीआई ने 15 मई 1996 को प्राथमिकी दर्ज कर 21 अप्रैल 2003 को 44 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए थे जिनमें 35 पर ट्रायल जारी है। इसमें आरोपित किए गए लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र ,विद्यासागर निषाद, ध्रुव भगत और आर के राणा आदि सहित 35 के खिलाफ मामले पर अब फैसला सुनाया जाएगा। तो लालू करोड़ों रुपए के चारा घोटाला में एक अन्य मामले में झारखंड स्थित सीबीआई की एक अदालत द्वारा 5 साल की कारावास और 25 हजार जुर्माना की सजा सुनाई गई। जिसके बाद दिसंबर 2013 में उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने पर लालू जेल से छूट पाए थे।