Mahashivratri 2021 : इस बार पारद शिवलिंग का करें अभिषेक, धन के लग जाएंगे ढेर
नई दिल्ली। पारद अर्थात् पारे को साक्षात शिव का स्वरूप कहा गया है। यह अत्यंत ऊर्जावान प्राकृतिक पदार्थ है। मूल रूप से यह तरल रूप में होता है, लेकिन इसे जड़ी बूटियां, स्वर्ण आदि मिश्रित करके ठोस रूप में परिवर्तित किया जाता है। पारद से बना शिवलिंग प्रबल ऊर्जा का प्रतीक होता है। शास्त्रों में कहा गया है जहां पारे से बना शिवलिंग होता है वहां के आसपास के परिवेश में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती है। पारद से बना शिवलिंग अन्य सभी धातु और पत्थरों से बने शिवलिंग से ज्यादा प्रभावी होता है। यह लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला होता है। इसलिए यदि आप भी अपने सारे अभावों को दूर करना चाहते हैं तो इस महाशिवरात्रि पर पारद के शिवलिंग का अभिषेक पूजन अवश्य करें।
कैसे करें पारद शिवलिंग की पूजा
पारद को लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला सबसे सशक्त पदार्थ माना गया है। महाशिवरात्रि के दिन पारद से बने शिवलिंग का षोडशोपचार पूजन करके शिव महिम्नस्तोत्र से अभिषेक करें। यह अभिषेक यदि आप गन्ने के रस से करेंगे तो लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होंगी। अभिषेक होने के बाद महिम्नस्तोत्र के मंत्रों से ही हवन करें। इस शिवलिंग को अपने पूजा स्थान में स्थापित रहने दें। कुछ ही दिनों में आपकी आर्थिक स्थिति में तेजी से बदलाव आने लगेगा। यदि आप पर कर्ज है तो कर्ज मुक्ति होने लगेगी।
क्या हैं लाभ
- पारद शिवलिंग का अभिषेक गन्ने के रस से करना प्रबल लक्ष्मी आकर्षित करने वाला प्रयोग होता है।
- पारद शिवलिंग का नियमित पूजन करने से समस्त भौतिक सुख, ऐश्वर्य, भोग विलास के साधन प्राप्त होते हैं।
- इस शिवलिंग से मनुष्य के आकर्षण प्रभाव में वृद्धि होती है। वह जहां भी जाता है सभी को मोहित कर लेता है।
- रूके हुए काम शीघ्रता से पूरे होने लगते हैं।
- कर्ज मुक्ति का मार्ग खुलता है। बरसों से चढ़ा हुआ कर्ज भी उतरने लगता है।
- नौकरी में उन्नति, व्यापार में लाभ शीघ्रता से मिलता है।
क्या सावधानी रखें, क्या हैं नियम
- इसमें कोई संदेह नहीं किपारद शिवलिंग का शिवलिंग लक्ष्मी को तेजी से आकर्षित करता है लेकिन इसकी स्थापना से लेकर पूजा पाठ तक के नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, वरना इसका कोई लाभ नहीं होगा।
- घर में पारद शिवलिंग को स्थापित करने के बाद इसकी नियमित रूप से पूजा होना आवश्यक है।
- पारद शिवलिंग को सफेद कपड़े पर स्थापित किया जाना चाहिए।
- इसके स्पर्श में स्वर्ण का कोई आभूषण नहीं आना चाहिए, वरना यह स्वर्ण को नष्ट कर देता है। पारद के संपर्क में आते ही स्वर्ण का क्षरण हो जाता है। इसीलिए पारद को स्वर्ण भक्षी भी कहा जाता है।
- जिस घर में पारद शिवलिंग स्थापित किया जा रहा है, वहां मांस-मदिरा का सेवन और अनैतिक कार्य नहीं होने चाहिए।
- पारद शिवलिंग के साथ रूद्राक्ष रखना अनिवार्य है। इससे इसका प्रभाव बढ़ जाता है।
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