Muskmelon : सरदा खरबूजे की खेती में फसल सड़ने की टेंशन नहीं, मार्केट में अच्छी डिमांड
गर्मियों के मौसम में फलों की भारी डिमांड होती है। खरबूजा किसानों के लिए अच्छा विकल्प है। देसी खरबूजे के अलावा सरदा खरबूजा भी लोकप्रिय है। इनकी खेती में मुनाफे का अच्छा स्कोप है। जानिए
नई दिल्ली, 28 मई : सरदा खरबूजे की खेती (Muskmelon) उन किसानों के लिए फायदेमंद है जो फसलों के खराब होने से नुकसान झेलते हैं। सरदा खरबूजे की खेती का सबसे आकर्षक पहलू है कि साल में तीन बार इसकी खेती की जा सकती है। मार्केट में सरदा खरबूजे की डिमांड भी अच्छी होती है। ऐसे में किसानों की इनकम में सुधार की गुंजाइश भी है। सरदा खरबूजे की फसल तैयार होने के बाद इसकी शेल्फ लाइफ 25-30 दिनों की होती है। ऐसे में किसानों को किसी दिन फसल की तुड़ाई के बाद पूरी बिक्री न होने पर परेशान होने की जरूरत नहीं पड़ती। सलाद खाने के शौकीन लोग सरदा खरबूजे को काफी पसंद करते हैं। जानिए कैसे मौसम और मिट्टी में होती है सरदा खरबूजे की खेती...
सरदा खरबूजे का इस्तेमाल
सरदा खरबूजे की शेल्फ लाइफ 25-30 दिन की होती है। इसकी फसल तैयार होने के बाद तने से टूट कर गिरती नहीं है। सरदा खरबूजा पूरे साल मिलता है। फल खाने के शौकीन फ्रूट सलाद में जमकर सरदा खरबूजे का इस्तेमाल करते हैं। 30-35 के दायरे में तापमान होने पर सरदा खरबूजा अच्छे से सर्वाइव करता है। न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से नीचे नहीं जाना चाहिए।
बेमौसम भी सरदा खरबूजे की खेती
देसी खरबूजा केवल मार्च से जून के बीच बिकता है। किसानों को देसी खरबूजा के मुकाबले सरदा खरबूजे की खेती में अच्छा मुनाफा होता है। बाजार में सरदा खरबूजे की कीमत अच्छी मिलती है। फसल तैयार होने के बाद फल जल्दी खराब नहीं होता। ऑफ सीजन यानी बेमौसम भी सरदा खरबूजे की खेती की जा सकती है। इसके लिए पॉलीहाउस या नेटहाउस का निर्माण किया जाता है। आम तौर से टमाटर, शिमला मिर्च या खीरा लगाने के लिए पॉली हाउस या नेट हाउस का इस्तेमाल होता है, लेकिन इनमें सरदा खरबूजा भी साल में तीन बार तक लगाई जा सकती है।
खरबूजे की मिठास
देसी खरबूजा गर्मी और लू तेज होने पर मीठा होता है ऐसी धारणा है। हालांकि, वैज्ञानिकों के मुताबिक दिन और रात के तापमान में जितना अंतर होता है, खरबूजे की मिठास उस पर निर्भर होती है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में जाड़े और गर्मी के तापनाम में काफी अंतर होता है। ऐसे में पंजाब जैसे राज्यों में पॉलीहाउस बना कर जनवरी में पौध तैयार की जाती है। फरवरी में खुले खेत में रोपाई होती है। अप्रैल के अंत तक फसल तैयार। फल लगने के 50 दिन बाद तुड़ाई की जा सकती है।
कब करें सरदा खरबूजे की रोपाई
साल में दूसरी फसल जुलाई-अगस्त में रोपी जा सकती है। नेट हाउस में सरदा खरबूजा लगा सकते हैं। अक्टूबर-नवंबर के महीने में दिवाली के सीजन में मांग अच्छी होती है। सितंबर अंत या अक्टूबर के पहले सप्ताह में रोपाई। दिसंबर-जनवरी तक फसल तैयार हो जाती है। इस सीजन के खरबूजे में मिठास अच्छी होती है। रात का टेंपरेचर अच्छा होना खरबूजे की मिठास के लिए बेहतर माना जाता है।
सरदा खरबूजा : गर्मी से कैसे करें बचाव
सरदा खरबूजे के लिए 30-35 डिग्री का तापमान बेहतर होता है। इसकी लताएं संवेदनशील होती हैं, ऐसे में अधिक तापमान सहन नहीं कर सकती। बेल मुरझाने लगती है। अधिक गर्म से बचाने के लिए पॉली हाउस या नेट हाउस जैसे विकल्पों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सरदा खरबूजे के लिए कैसी जमीन बेहतर
नदियों के किनारे रेतीली जमीन पर खरबूजे की खेती करने पर शानदार उपज हासिल की जा सकती है। नदियों के किनारे दियारा वाली जमीन भी खरबूजे की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है। दिन में लू चलती है, रात में बालू ठंडा होता है ऐसे में दिन और रात के तापनाम में काफी अंतर होता है। ऐसी जगहों पर पैदा होने वाले खरबूजे की मिठास अधिक होती है।
सरदा खरबूजा : साइंस का प्रयोग, साल में तीन बार खेती !
सरदा खरबूजे की खेती का सबसे रोचक पहलू ये है कि साल में दो तीन बार इसकी रोपाई की जा सकती है। मॉडरेट तापमान में बेंगलुरु और नासिक जैसे इलाकों के किसान दो-तीन बार इसकी सफल खेती कर लेते हैं। हिमाचल के लाहौल स्पीति और किन्नौर के इलाके में जून के महीने में रोपाई की जा सकती है। अक्टूबर तक फसल तैयार हो जाती है।