क्या रोहित MI की तरह टीम इंडिया को भी गर्त में ले जाएंगे ?
क्या रोहित शर्मा मुम्बई इंडिंयस की तरह टीम इंडिया को भी गर्त में ले जाएंगे ? 2022 के आइपीएल में मुम्बई इंडियंस ने सबसे शर्मनाक प्रदर्शन किया।
नई दिल्ली, 8 सितंबर: क्या रोहित शर्मा मुम्बई इंडिंयस की तरह टीम इंडिया को भी गर्त में ले जाएंगे ? 2022 के आइपीएल में मुम्बई इंडियंस ने सबसे शर्मनाक प्रदर्शन किया। पांच खिताब जीतने वाली मुम्बई लगातार 8 मैच हारी। ये हार रोहित के गलत फैसलों से मिली। एशिया कप में सुपर फोर के दो अहम मैच हार कर भारत अब प्रतियोगिता से बाहर है। पाकिस्तान के खिलाफ 181 और श्रीलंका के खिलाफ 173 रनों का भारत बचाव नहीं कर सका। जाहिर है भारतीय गेंदबाज कसौटी पर खरे नहीं उतरे। अब टीम के चयन और गलत फैसलों को लेकर रोहित शर्मा निशाने पर हैं। किसी द्वपक्षीय सीरीज को जीतना अलग बात है और किसी बहुराष्ट्रीय प्रतियोगिता में परफॉर्म करना अलग बात है। न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज, श्रीलंका, आयरलैंड, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ टी-20 सीरीज जीतने वाली टीम इंडिया एशिया कप के धाराशायी हो गयी।
क्या हार की कीमत पर प्रयोग करेंगे ?
कभी कभी इंसान ज्यादा कामयाबी को पचा नहीं पाता है। अतिआत्मविश्वास उसे ले डूबता है। रोहित शर्मा के साथ यही हो रहा है। वे खुद को शायद सबसे प्रबुद्ध रणनीतिकार मान बैठे हैं। कुछ नया करने के चक्कर में उन्होंने मुम्बई इंडियंस के साथ क्या किया ? इस साल हार्दिक पांड्या, ट्रेंट बोल्ट जैस मैच विजेता खिलाड़ियों को रीलीज कर दिया था। ट्रेंट बोल्ट की जगह जिस जोफ्रा आर्चर पर दांव लगाया वह खेल ही नहीं सके। जिस पोलार्ड को रिटेन किया वे काम न आये। टीम का नया संयोजन बहुत कमजोर साबित हुआ और मुम्बई आखिरी पायदान पर लुढ़क गयी। इस हार के बाद रोहित ने कहा था, हम युवा खिलाड़ियों के साथ नयी टीम बना रहे हैं। क्या नयी टीम बनाने के नाम पर काबिल खिलाड़ियों को नजरअंदाज कर देंगे ? रोहित शर्मा यही काम टीम इंडिया के साथ कर रहे हैं। प्रयोग के नाम पर वे मैच गंवा रहे हैं। हार के बाद उन्होंने कहा, हम जानबूझ कर दबाव लेते हैं और आजमाना चाहते हैं कि कोई खिलाड़ी दबाव में कैसा प्रदर्शन करता है। हम तीन तेज गेंदबाज और दो स्पिनरों के साथ खेल कर देखना चाहते थे कि क्या होता है ? इस सवाल का ही जवाब खोज रहे हैं। ये तो हद हो गयी ? अरे जनाब! दबाव सोखने की यह कलाकारी आपने द्विपक्षीय सीरीज में क्यों नहीं सिखी ? एशिया कप जैसी बड़ी प्रतियोगिता में प्रयोगशाला खोलने का क्या मतलब है ? आप संयुक्त अरब आमिरात में जिन चीजों को आजमा रहे हैं वह ऑस्ट्रेलिया (टी-20 विश्वकप) की तेज पिचों पर काम न आएंगी। फिर इस कवायद से क्या फायदा ?
हार्दिक पांड्या तीसरे तेज गेंदबाज नहीं
हार्दिक पांड्या को तीसरा तेज गेंदबाज मानना बड़ी भूल साबित हुई। वे बैटिंग ऑलराउंडर हैं। उनकी गेंदबाजी कभी सफल हो सकती है और कभी असफल। उन पर पूरे चार ओवर निर्भर नहीं रहा जा सकता। जब उनकी गेंदों की पिटाई हो रही तब उनके ओवरों की संख्या कम करनी पड़ेगी। इसके सिवा कोई और दूसरा रास्ता नहीं। पाकिस्तान के खिलाफ हार्दिक पांड्या बेअसर साबित हो रहे थे। फिर भी उनसे पूरे चार ओवर कराये गये। ये मजबूरी थी क्यों कि वे तीसरे गेंदबाज के रूप में खेल रहे थे। हार्दिक ने चार ओवर में 44 रन दिये। इसी तरह श्रीलंका के खिलाफ जब 173 के स्कोर की रक्षा करनी थी तब भी हार्दिक सफल नहीं रहे। उन्होंने चार ओवरों में 35 रन दे दिये और कोई विकेट भी नहीं मिला। भारत को तीन मान्यताप्राप्त तेज गेंदबाजों के साथ खेलना होगा। हार्दिक की योग्यता पर कोई संदेह नहीं। वे चौथे तेज गेंदबाज के रूप में जरूर योगदान दे सकते हैं।
अगर हुड्डा से गेंदबाजी नहीं करानी तो कार्तिक को मौका दें
पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ बीच के ओवरों में जब भारतीय गेंदबाज दबाव में ते तब दीपक हुड्डा को क्यों नहीं जमाया गया ? अगर हुड्डा से केवल बैटिंग ही करानी हो तो उनकी जगह दिनेश कार्तिक को मौका मिलना चाहिए था। लोअर मिडिल ऑर्डर में दिनेश कार्तिक लाजवाब पारियां खेल चुके हैं इसलिए वे 37 साल की उम्र में भी टीम इंडिया का हिस्सा हैं। जब उनको इतनी उम्मीदों के साथ टीम में जोड़ा गया है तो उनके अनुभव का इस्तेमाल भी होना चाहिए। सुपर फोर के दोनों अहम मैचों में हुड्डा बल्लेबाजी में कोई कमाल नहीं दिखा पाये। पाकिस्तान के खिलाफ 16 रन बनाये तो श्रीलंका के खिलाफ सिर्फ 3 रन।
स्पिनरों के खिलाफ भी रन के लिए तरसे
एशिया कप से पहले भारत ने आठ देशों के साथ टी-20 सीरीज खेली। इसे तैयारी का हिस्सा माना गया। लेकिन इस तैयारी का नतीजा क्या रहा ? एशिया कप में भारतीय बल्लेबाज स्पिनरों के सामने भी बेबस नजर आ रहे थे। पाकिस्तान के मोहम्मद नवाज और शादाब खान ने भारत के बैटरों को खुल कर खेलने नहीं दिया। नवाज ने 4 ओवरों में 25 रन देकर एक विकेट लिया था। शादाब खान ने चाऱ ओवरों में 31 रन दे कर एक विकेट लिया था। जब कि इसी मैच में, इसी पिच पर पाकिस्तान के बल्लेबाजों ने टी-20 के माहिर गेंदबाज यजुवेन्द्र चहल की धज्जियां उड़ा दीं। चहल को दुनिया का सबसे चतुर रिस्ट स्पिनर माना जाता है। लेकिन पाकिस्तानी बैटरों ने उनके चार वर में 44 रन फोड़ दिये। जब चहल की गेंदों पर इतने रन बन सकते हैं तो नवाज की गेंदों पर क्यों नहीं ? जाहिर है भारतीय बल्लेबाजों की मानसिकता में कमी रह गयी। इंसान अपनी गलतियों से सीखता है। लेकिन रोहित शर्मा का ऐसा कोई इरादा नहीं दिखता। वे तो जिद पकड़े बैठे है कि टी-20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम 90 से 95 फीसदी तैयार है। क्या सच में ऐसा है ?