IMF की तरफ से पाकिस्तान को आई वॉर्निंग, चीन का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव हो सकता है खतरनाक
बाली। एकतरफ पाकिस्तान कैश क्रंच की समस्या से जूझ रहा है तो दूसरी ओर लगातार चीन के कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। अब अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष यानी आईएमएफ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में बढ़ते चीनी कर्ज को लेकर इस देश को चेताया है। आईएमएफ के चीफ इकोनॉमिस्ट मॉरिस ओब्स्टफेल्ड की ओर से पाकिस्तान के लिए वॉर्निंग ऐसे समय आई है जब उसकी नजरें बेलआउट के लिए आईएमएफ पर हैं। ये भी पढ़ें-सऊदी अरब के ग्वादर पोर्ट में निवेश से पाकिस्तान और चीन में बढ़ेगा तनाव
बढ़ते प्रभाव से फायदा और नुकसान दोनों
मॉरिस ने बाली में आयोजित एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान की तरफ बढ़ते खतरे का इशारा किया है। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की एनुअल मीटिंग्स के बाद बुलाई गई थी। मॉरिस का कहना था कि चीन का बढ़ता प्रभाव फायदे और नुकसान दोनों की ही वजह बन सकता है। मॉरिस ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान पर जो वित्तीय संकट आया है उसकी वजह बड़ा वित्तीय और मौद्रिक घाटा है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने सोमवार को कहा था कि सरकार बाली में आईएमएफ से आकस्मिक वित्तीय मदद के लिए बातचीत करेगी। प्रधानमंत्री इमरान खान पहले बेल आउट के लिए विकल्प तलाश रहे हैं।
पाकिस्तान पर बढ़ रहा है खतरा
पांच वर्षों में पाकिस्तान के लिए यह दूसरा मौका है जब उसे आईएमएफ से बेलआउट की जरूरत है। मॉरिस ने कहा कि अगर आईएमएफ पाकिस्तान के साथ इस हफ्ते नए संभावित वित्तीय प्रोग्राम के बारे में बातचीत हो सकती है। आईएमएफ की मानें तो उसका मकसद सुधारों के जरिए पाकिस्तान की मदद करना है। मॉरिस ने बताया किे पाकिस्तान सरकार ने ढांचागत सुधार की इच्छा जाहिर की है। मॉरिस के मुताबिक पाकिस्तान को ज्यादा से ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की जरूरत है और ऐसे में चीन की तरफ से इसे फायदा हो सकता है। लेकिन चीन के हस्तक्षेप से पाकिस्तान को कई संभावित खतरे भी हैं। उन्होंने कहा कि यह काफी अहम है कि प्रोजेक्ट्स की डिजाइन इतनी ठोस है कि पाकिस्तान ज्यादा कर्ज और इसकी अदायगी से कभी बच नहीं सकता है।
चीन के कर्ज जाल से परेशान ट्रंप भी
पाकिस्तान ने पहले ही चीन के सिल्क रोड प्रोजेक्ट के आकार में कटौती कर दी है। इस प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान में कराची से लेकर पेशावर तक एक मेन रेल लाइन का पुनर्निमाण होना था। इसकी कीमत करीब दो बिलियन डॉलर थी। कहा गया कि सरकार ने देश पर बढ़ते कर्ज की चिंता की वजह से इसे कैंसिल कर दिया है। सूत्रों की मानें तो इस्लामाबाद अब चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव प्रोजेक्ट्स (बीआरआई) पर फिर से विचार कर रहा है और इस वजह से उसने यह कदम उठाया है। चीन ने बीआरआई प्रोजेक्ट पर 60 बिलियन डॉलर की रकम निवेश की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस प्रोजेक्ट को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कर चुके हैं। ट्रंप का कहना है कि इस प्रोजेक्ट की वजह से कुछ विकासशील देशों पर इतना कर्ज बढ़ गया है कि वे उसकी अदायगी नहीं कर सकते हैं।