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वोटिंग के दिन कैसे आए बारात, प्रशासन ने तोड़ी आस

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Why not to plan a wedding on polling day
नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव अपने आखिरी दौर में पहुंच गया है। देखने वाली बात होगी कि भारतीय जनता पार्टी अपने प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी के दम पर सरकार बना पाती है या फिर कांग्रेस एक बार फिर से इतिहास को दोहराती है।

इन सवालों का जवाब तो 16 मई को ही पता चल पाएगा, लेकिन लोकसभा चुनाव ने कईयों की जिंदगी जरुर दांव पर लगा दी। जी हां हम बात कर रहे है चुनावी मौसम में शादी करने वाले जोड़ों की। मतदान के दिन शादी करने वालों की शादी उस वक्त दांव पर लग जाती है जब बारात लेकर आए दुल्हे को दुल्हन के द्वार पर प्रवेश नहीं मिल पाता।

अगर बात सत्य घटनाओं की करें तो दिल्ली के महरौला इलाके में रहने वाले अनुज लोहिया ने आप बीती सुनाते हुए बताया कि मतदान वाले दिन शादी करना कतना भारी पड़ता है। अनुज की शादी पहले से उत्तराखंड की रहने वाली लड़की से 7 मई को तय थी। सारी तैयारियां हो चुकी थी। सारे मेहमान आ चुके थे। बारात ले जाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी, लेकिन 7 मई को उत्तराखंड में चुनाव होने के कारण अनुज के अरमानों पर पानी फिर गया।

अंग्रेजी अकबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुतबिक अनुज को बारात ले जाने के लिए उत्तराखंड पुलिस की ओर से अनुमति नहीं मिली क्योंकि चुनाव को लेकर सारे बॉर्डर सीज किए गए है। वहीं दुल्हन को चढ़ावे में चढ़ाने के लिए उन्हें कैश और सोना भी नहीं ले जाने दिया जा रहा है। इतना ही नहीं धारा 144 लगने की वजह से एक साथ 4 लोगों को भी जाने की अनुमति नहीं मिल रही है। ऐसे में अनुज और उनके परिवारवालों ने दिल्ली पुलिस से मदद मांगी है। दिल्ली पुलिस ने अनुज के परिवार को भरोसा दियाला है कि वो उनकी भरशक मदद करेंगे।

मतदान होने के दो दिन शेष रह गए हैं। चुनाव की तैयारियों में लगा जिला प्रशासन पहले से ही सरकारी बसों पर अपना कब्जा कर लिया था। अब जो भी प्राइवेट वाहन थे उनकों भी पोलिंग पार्टियों को मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए अधिग्रहित कर लिया है। एक ओर जहां यात्री पहले से ही परेशान थे वहीं अब दूसरी ओर प्राइवेट वाहनों पर कब्जा होने से बेटों के पिता को बरातियों को ले जाने की चिंता सताने लगी है। प्राइवेट वाहनों के कब्जे को लेकर वाहन स्वामियों में भी प्रशासन के खिलाफ काफी रोष व्याप्त है।

सात मई को होने वाले मतदान में निजी वाहनों पर प्रशासन की टेढ़ी नजर पड़ गई है। इन वाहनों के माध्यम से मतदान से एक दिन पहले पोलिंग पार्टियों को मतदान केंद्र तक पहुंचाने और दूसरे दिन वापस लाने के लिए रिजर्व कर लिया गया है। लगन के इस सीजन में जहां निजी वाहन स्वामी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। वहीं शादियों में बारातियों को ले जाने की सुविधा में पिता को सताने लगी है।

चुनाव केचलते पहले से ही सरकारी बसों को जब्त कर लिया गया था। यात्रियों के लिए आखिरी सहारा बने डग्गामार वाहन भी अब जब्त होने से यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कड़ी धूप में घंटों वाहनों का इंतजार करना पड़ता है। जिला प्रशासन की माने तो वाहनों की कमी के चलते ऐसा कदम उठाना पड़ा। लेकिन कुछ भी हो न चुनाव की तिथि आगे बढे़गी और न ही शादी की। अब सभी मिलकर इसके बीच का रास्ता तलाशने में जुटे हुए हैं।

English summary
Polling in Uttarakhand on May 7 will decide not only the fate of Congress and BJP but also that of 22-year-old Anuj Lohia, a resident of Aya Nagar village near Mehrauli in Delhi.
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