रूसी तेल पर लगे प्राइस कैप को नहीं मानेगा भारत, पुतिन सरकार ने दिल खोलकर की तारीफ
जी7 देशों और उनके सहयोगियों द्वारा रूस के तेल पर प्राइस कैप लगाने की घोषणा पांच दिसंबर को की गई थी। सभी देश रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल प्राइस कैप लगाने पर सहमत हुए हैं।
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रूस ने G7 देशों और उनके सहयोगियों द्वारा घोषित रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाने का समर्थन नहीं करने के भारत के फैसले का स्वागत किया है। रूस के उप-प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने रूस में भारत के राजदूत पवन कपूर के साथ शनिवार को मुलाकात की थी। इसके बाद रूस के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि भारत रूसी क्रूड ऑयल पर लगाए गए प्राइस कैप का समर्थन नहीं करेगा। नोवाक ने यह भी कहा कि रूस जिम्मेदारी से क्राइसिस के दौरान पूरी दुनिया में ऊर्जा के संसाधनों की सप्लाई कर रहा है।
भारत को तेल आपूर्ति में दूसरे स्थान पर रूस
रूस के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि रूस ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति के लिए अपने दायित्वों को पूरी जिम्मेदारी से निभा रहा है और ऊर्जा संकट के बीच पूर्व-दक्षिण के देशों को ऊर्जा निर्यात कर रहा है। रूसी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि साल 2022 के पहले आठ महीनों में भारत को रूसी तेल आयात बढ़कर 16.35 मिलियन टन पहुंच गया है। गर्मियों के दौरान, भारत रूस से तेल लेने के मामले में दूसरे स्थान पर था। इसके अलावा हाल के दिनों में तेल उत्पादों और कोयले की डिलीवरी भी बढ़ी है।
रूस की अर्थव्यवस्था कमजोर करना चाहते हैं पश्चिमी देश
यूक्रेन पर हमले के बाद से ही पश्चिमी देश रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं। रूस को तेल के आयात से बड़े पैमाने पर आय की प्राप्ति होती है। ऐसे में अब अमेरिका सहित यूरोपीय देश रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाकर रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना चाहते हैं। रूसी समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, 'हम स्थिति का आकलन कर रहे हैं। इस तरह के प्राइस कैप के लिए कुछ तैयारियां की गई थीं। हम इन चीजों को स्वीकार नहीं करेंगे और हम मूल्यांकन खत्म होने के बाद आपको सूचित करेंगे कि किस तरह से इस काम को आगे बढ़ाया जाएगा।'
रूसी तेल की कीमत 60 डॉलर तय की
जी7 देशों और उनके सहयोगियों द्वारा रूस के तेल पर प्राइस कैप लगाने की घोषणा पांच दिसंबर को की गई थी। इससे पहले सितंबर में जी-7 देशों ने रूस से तेल आयात पर प्राइस कैप लगाने पर सहमति जताई थी। जी-7, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया पिछले हफ्ते यूरोपीय संघ के सदस्यों द्वारा पोलैंड के प्रतिरोध पर काबू पाने के बाद रूसी तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल प्राइस कैप लगाने पर सहमत हुए हैं। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूसी ऑयल पर लगाए गए प्राइस कैप को कम ही बताया है।
हरदीप सिंह पुरी ने भी दिया था बयान
इससे पहले पिछले महीने केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि रूसी कच्चे तेल की प्राइस कैप भारत को प्रभावित नहीं करेगी अगर लॉजिस्टिक्स की समस्या आती है तो बाजार उससे निपटेगा। पुरी ने कहा कि भारत के लिए रूस तेल का शीर्ष आपूर्तिकर्ता नहीं है, जबकि सऊदी अरब, इराक और संयुक्त अरब अमीरात कच्चे तेल के पारंपरिक प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं। वहीं, रूसी राष्ट्रपति ने प्राइस कैप को लेकर कहा था कि उनका देश तेल उत्पादन में कटौती कर सकता है। इसके अलावा रूस वैसे किसी भी देश को तेल बेचने से इंकार कर देगा जो रूसी तेल पर पश्चिम की "मूर्खतापूर्ण" प्राइस कैप का समर्थन करेंगे।
पुतिन ने किया तेल उद्योग को आगाह
क्रेमलिन प्रमुख ने आगाह किया कि पश्चिम द्वारा मूल्य सीमा लगाने के प्रयासों से तेल उद्योग का वैश्विक पतन होगा और फिर कीमतों में विनाशकारी वृद्धि होगी। पुतिन ने कहा कि इससे तेल उद्योग का पतन होगा क्योंकि उपभोक्ता हमेशा इस बात पर जोर देगा कि तेल की कीमत कम हो जाए। उद्योग पहले से ही कम निवेशित है, कम वित्त पोषित है, और अगर हम केवल उपभोक्ताओं की सुनेंगे तो तेल उद्योग का ही नुकसान होगा। पुतिन ने कहा कि यह सब किसी स्तर पर कीमतों में विनाशकारी वृद्धि और वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र के पतन की ओर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राइस कैप एक बेवकूफी भरा प्रस्ताव है, गलत तरीके से सोचा गया और खराब तरीके से सोचा गया।