पीएम मोदी-नेतन्याहू की इस प्रसिद्ध फोटो पर इजरायल का बड़ा फैसला
इजरायली राजदूत ने कहा कि, 'इससे पहले भी इजरायल के राष्ट्रपति भारत आए हैं और भारत के राष्ट्रपति ने इजरायल की यात्रा की है, वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री एरियल शेरोन भी एक बार भारत की यात्रा कर चुके हैं।
नई दिल्ली, सितंबर 26: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल के दौरान भारत और इजरायल काफी करीब आ गये हैं और दोनों देशों के बीच की दोस्ती अब सैन्य और रणनीतिक भी हो चुकी है। खासकर साल 2017 में पीएम मोदी की ऐतिहासिक इजरायल यात्रा ने दोनों देशों के बीच जमी बर्फ तोड़ दी थी और इजरायल के पूर्व पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के साथ पीएम मोदी की दोस्ती और समुद्र किनारे बीच पर खींची गई तस्वीर आज भी दोनों देशों के बीच के मजबूत संबंध को बयां करती है। वहीं, इजरायल भी मानता है, कि भारत के साथ दोस्ती को दर्शाने के लिए ये तस्वीर ऐतिहासिक है।
दोस्ती की प्रतीक बनी रहेगी ये तस्वीर
नई दिल्ली में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने कहा है कि, इजरायली दूतावास में पीएम मोदी और पूर्व इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की ये तस्वीर ही लगी रहेगी। हालांकि, बेंजामिन नेतन्याहू चुनाव हारकर पिछले साल ही प्रधानमंत्री पद से हट चुके हैं और उनके बाद बने प्रधानमंत्री नेफ्तली बेनेट की भी सरकार गिर चुकी है और इस वक्त यैर लैपिट इजरायल के अंतरिम प्रधानमंत्री हैं, वहीं नवंबर में एक बार फिर से इजरायल में चुनाव होने वाले हैं। इजरायल के राजदूत गिलोन ने एएनआई को बताया कि, "ओल्गा समुद्र तट पर पूर्व-इजरायल पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के साथ पीएम मोदी की प्रसिद्ध तस्वीर उन तस्वीरों में से एक है, जो इस बात के प्रतीक के रूप में रहेगी, कि आगे कैसे बढ़ा जाता है। उन्होंने जो दोस्ती विकसित की वह अन्य पीएम के साथ भी जारी रही।" गिलोन ने एएनआई से बात करते हुए भारत-इजरायल के बीच के बंधन को समझाया। राजदूत गिलोन ने यह भी कहा कि हमारे संबंधों में बदलाव को बड़ा बढ़ावा भारतीय प्रधानमंत्री की इजरायल की पहली ऐतिहासिक यात्रा और उसके बाद नेतन्याहू की भारत यात्रा के बाद आया है।
पीएम मोदी के कार्यकाल में ऐतिहासिक नजदीकी
इजरायली राजदूत ने कहा कि, 'इससे पहले भी इजरायल के राष्ट्रपति भारत आए हैं और भारत के राष्ट्रपति ने इजरायल की यात्रा की है, वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री एरियल शेरोन भी एक बार भारत की यात्रा कर चुके हैं, लेकिन, हमें ये बात माननी होगी, कि 2017 में पीएम मोदी की इजरायल यात्रा और फिर बेंजामिन नेतन्याहू की भारत यात्रा ने दोस्ती के नये अध्याय की शुरूआत की और दोनों देशों के डिप्लोमेटिक संबंधों के लिए वो पल गमेचेंजर था।' आपको बता दें कि, पीएम मोदी 4-6 जुलाई 2017 तक इजरायल के पूर्व पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के निमंत्रण पर इजरायल के दौरे पर थे। हवाई अड्डे पर नेतन्याहू द्वारा अगवानी किए जाने के बाद प्रधान मंत्री ने यात्रा को "ग्राउंड ब्रेकिंग" कहा था।
भारत-इजरायल संबंधों का विस्तार
भारत ने 1992 में इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए और तब से यह संबंध बहु-आयामी साझेदारी में विकसित हुआ है। साल 1992 में भारत और इजरायल के बीच द्विपक्षीय व्यापार 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जब साल 2020-21 में बढ़कर 4.14 अरब डॉलर हो गया है, जिसमें रक्षा क्षेत्र में किए गये समझौते और खरीददारी शामिल नहीं हैं। इसके साथ ही इसी साल इजरायल ने भारत के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए हैं, जिसमें उल्लेख है, कि रक्षा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इजरायल मेक इन इंडिया के तहत काम करेगा, जिससे आने वाले वक्त में भारत को जबरदस्त फायदा होने वाला है, क्योंकि इससे भारत के पास टेक्नोलॉजी आएगी। इसके साथ ही भारत, इजरायल से सैन्य उपकरणों की खरीददारी करने वाला सबसे बड़ा खरीददार बन गया है और अब रूस दूसरे नंबर पर आ गया है।
इजरायल ने दिए महत्वपूर्ण हथियार
इतना ही नहीं, इजरायल ने भारत को चीन और पाकिस्तान को काउंटर करने के लिए काफी घातक हथियार सौंपे हैं, जिससे सीमा की सुरक्षा काफी मजबूत हुई है। पिछले कुछ सालों में इजरायल ने भारत को फाल्कन 'AWACS' और हेरान, सर्चर-2 और हरोप ड्रोन, बराक एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम और स्पाइडर क्विक-रिएक्शन एंटी- एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली शामिल हैं। इसके साथ ही इजरायल ने भारत को पिन प्वाइंट टारगेट को हिट करने वाली मिसाइलें और कई अलग अलग तरह की युद्ध सामग्रियां सौंपी है, जिनमें पायथन और डर्बी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लेकर क्रिस्टल मेज बम दिए हैं। इसके अलावा भी भारत ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर इजरायल के साथ एक अलग तरह का गठबंधन किया है, जिसका मकसद व्यापार के नये स्रोतों की तलाश करना है।