पाकिस्तान में शक्सगम वैली में चीन की 70 किलोमीटर लंबी सड़क पर पीएम मोदी ने मांगी इंटेलिजेंस रिपोर्ट
पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि चीन ने पीओके में स्थित शक्सगम घाटी में 36 किलोमीटर की सड़क बना ली है। अब ऐसी इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स भी आई हैं जिसमें कहा गया है कि चीन ने शक्सगम घाटी में सितंबर 2017 से फरवरी 2018 के बीच 70 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर लिया है।
नई दिल्ली। पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि चीन ने पीओके में स्थित शक्सगम घाटी में 36 किलोमीटर की सड़क बना ली है। अब ऐसी इंटेलिजेंस रिपोर्ट्स भी आई हैं जिसमें कहा गया है कि चीन ने शक्सगम घाटी में सितंबर 2017 से फरवरी 2018 के बीच 70 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर लिया है। इस वैली को पाकिस्तान ने चीन को गिफ्ट किया था। यहां पर सड़क की मदद से चीनी सेना को सियाचिन के करीब लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) तक पहुंचने में आसानी हो सकेगी।
साउथ ब्लॉक ने मांगी रिपोर्ट
कुछ ऐसी इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स आई हैं जिनमें शक्सगम वैली में सड़क होने की मौजूदगी पता लगी है। साउथ ब्लॉक की ओर से अब उन वजहों का पता लगाने को कहा गया है जिसके तहत इस सड़क का निर्माण यहां पर हो सका है। चीन की सड़क शक्सगम वैली में स्थित और रणनीतिक तौर पर काफी अहम काराकोरम पास के नजदीक हैं। अगर इस सड़क का निर्माण सर्दियों में हुआ है तो यह वाकई चिंताजनक बात है। शक्सगम वैली के दक्षिण में के2 और गाशेरबम की चोटियां हैं और उत्तर में आघिल की पहाड़ियां हैं। इस घाटी में 7,000 मीटर ऊंची पहाड़ियां हैं और सर्दियों में यहां तक का तापमान आर्कटिक तक पहुंच जाता है।
भारत के लिए चिंता का विषय
चीन की गतिविधियों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो भले ही यहां पर सड़क का निर्माण ट्रैकिंग और पर्यटन की वजहों से हो रहा हो लेकिन भारत की सुरक्षा के लिए यह चिंता का विषय है। इस बात का डर है कि यह सड़का का निर्माण काराकोरम हाइवे के पुर्ननिर्माण के लिए हो रहा ताकि पाकिस्तान पंजाब के काश्गर से चीन के शिनजियांग प्रांत तक 1,300 किलोमीटर लंबी सड़क को अपने पास रख सके। काराकोरम हाइवे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) का हिस्सा है और भारत हमेशा से सीपीईसी का विरोधी रहा है।
सियाचिन के करीब
यहां पर सड़क की मदद से चीनी सेना को सियाचिन के करीब लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) तक पहुंचने में आसानी हो सकेगी। चीन की ओर से जारी इस नए निर्माण कार्य को भारत की तरफ से उसे उकसाने की ताजी घटना के तौर पर देखा जा सकता है। न सिर्फ सड़क बल्कि चीन ने यहां पर सड़क और मिलिट्री पोस्ट भी बनानी शुरू कर दी है। शक्सगम घाटी, सियाचिन ग्लेशियर के उत्तर में स्थित है। पिछले दिनों वेबसाइट द प्रिंट ने कुछ सैटेलाइट इमेज के हवाले से यह जानकारी दी है।
साल 1963 में पाक ने चीन को गिफ्ट की थी वैली
पिछले छह माह के अंदर भारत और चीन कभी डोकलाम तो कभी अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग में आमने-सामने आ चुके हैं। पिछले दिनों जिन नई पोस्ट्स और 36 किलोमीटर लंबी सड़क पर चीन की ओर से काम करने की खबरें आई थीं, उसके बनने के बाद एलएसी पर चीन और ज्यादा सैनिक भेज सकेगा। इसके साथ ही यहां पर उसका पहुंचना और आसान हो जाएगा। शक्सगम घाटी पीओके का हिस्सा है और चीन के शिनजियांग प्रांत के तहत आता है और साथ ही सियाचिन के भी करीब है। पाकिस्तान ने साल 1963 में एक सीमा समझौते के तहत इसे चीन को सौंपा था। लेकिन भारत इसे मान्यता नहीं देता है और इस घाटी को जम्मू कश्मीर का ही हिस्सा मानता है।
क्या वाकई भारत के लिए खतरा चीन की सड़क
हालांकि शक्सगम वैली में चीनी सेना का प्रोजेक्ट भारत के लिए सीधा खतरना नहीं है क्योंकि सियाचिन ग्लेशियर पर सेना बराबर तैनात है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि पीएलए की ओर से जारी निर्माण कार्य को उकसाने वाला कदम माना जा सकता है। गूगल सैटेलाइट इमेज की ओर से पिछले वर्ष सिंतबर और अक्टूबर में आई तस्वीरों से साफ पता लगता है कि निर्माण कार्य साल 2017 में शुरू हुआ है। हो सकता है कि यह निर्माण कार्य डोकलाम विवाद के बाद शुरू हुआ हो। इसके अलावा अब चीन के बॉर्डर डिफेंस पर्सनल जो चीनी सेना का हिस्सा हैं, वे भी लगातार इस हिस्से में पेट्रेालिंग कर रहे हैं और पिछले कुछ माह से यहां पर निर्मित नई सड़क पर भी उनकी गश्त तेज हो गई है। अक्टूबर 2016 की सैटेलाइट इमेज को देखने से साफ पता चलता है कि शक्सगम वैली में न तो कोई सड़क है और न ही कोई पोस्ट थी।