पहली बार इस रेलवे स्टेशन पर मिले थे अटल-आडवाणी, दोनों की जुगलबंदी ने भाजपा को बुलंदी पर पहुंचाया
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने भाजपा की स्थापना करने के बाद संगठन को मजबूत करने के लिए साथ-साथ काम किया। अटल बिहारी और आडवाणी का नाम भाजपा में सम्मान के साथ लिया जाता था और वो भी साथ-साथ। हालांकि बीजेपी की स्थापना से पहले से दोनों दिग्गज एक-दूसरे से मिल चुके थे। इन दोंनों नेताओं ने आरएसएस के प्रचारक के तौर पर अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। अटल और आडवाणी दोंनों ही पत्रकारिता से जुड़े थे। लेकिन इनके मिलने का किस्सा भी कम रोचक नहीं है।
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अटल बिहारी अपने भाषणों से लोगों को आकर्षित करते थे
अटल बिहारी शुरू से ही अपने भाषणों के जरिए लोगों का ध्यान आकर्षित करते थे। उनका राजनीतिक कद तेजी से बढ़ रहा था। अटल बिहारी की शैली से संघ के बड़े पदाधिकारी काफी प्रभावित रहते थे। जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं. दीन दयाल उपाध्याय चाहते थे कि ये किसी प्रकार से संसद पह्ंच जाएं जहां से इनकी बातें देश सुन सके। वहीं, आडवाणी संघ प्रचारक के रूप में कोटा में काम कर रहे थे।
कोटा स्टेशन पर हुई थी मुलाकात
दरअसल, अटल बिहारी श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ ट्रेन से मुंबई जा रहे थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी कश्मीर के मुद्दे पर पूरे देश का दौरा कर रहे थे और लोगों से मिल रहे थे। उस समय आडवाणी कोटा में प्रचारक थे। जब उनको पता लगा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस स्टेशन से आने वाले हैं तो वह भी मिलने आ गये और वहीं पर पहली बार दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी। आज, अटल बिहारी के निधन की खबर ने आडवाणी को अंदर तक झकझोर दिया है।
आडवाणी के पास अटल की बहुत सी यादें
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लंबे समय तक रहे लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, 'भारत के सबसे बड़े राजनेताओं में से एक अटल बिहारी वाजपेयी को हमने खो दिया है। मेरे लिए वो एक वरिष्ठ साथी से भी बढ़कर थे। 65 साल से भी ज्यादा समय तक वो मेरे सबसे करीबी दोस्त रहे थे। मेरे पास उनकी यादें, आरएसएस के प्रचारक के दिनों से, भारतीय जन संघ की स्थापना, आपातकाल के दौरान हमारा संघर्ष, आगे जनता पार्टी का बनना और बाद में 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना तक बहुत सारी यादें हैं।'
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