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'कपड़े के ऊपर से छूना यौन हमला नहीं' बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

यौन उत्पीड़न पर बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) से उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने कहा था कि कपड़े के ऊपर से लड़की के ब्रेस्ट को दबाना पोक्सो एक्ट (POCSO ACT) के तहत यौन हमला (Sexual Assault) नहीं माना जाएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट से इस फैसले के खिलाफ यूथ बार असोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

Supreme Court stays Bombay High Court no skin touch no assault under pocso act verdict

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए एडवोकेट जनरल ने कहा कि ये फैसला एक बहुत गलत उदाहरण तय करने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगाते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अर्जी की इजाजत दे दी।

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Supreme court का कपड़े के ऊपर से छूना यौन हमला नहीं वाले Bombay HC के फैसले पर रोक | वनइंडिया हिंदी

12 साल के यौन उत्पीड़न के एक मामले में स्थानीय अदालत ने लिए 39 साल के शख्स को तीन साल की सजा सुनाई थी। इसको इस शख्स ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इस मामले में स्थानीय अदालत के आदेश को हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की जज पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को संशोधित कर दिया।

गनेडीवाला ने अपने आदेश में कहा है कि यौन हमला माने जाने के लिए यौन मंशा से त्वचा से त्वचा का संपर्क (Skin to Skin Contact) होना जरूरी है। महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है। ऐसे में अगर कपड़े के ऊपर से ब्रेस्ट को दबाया गया है तो इसे पोक्से एक्ट के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।

उच्च न्यायालय की जज गनेडीवाला ने कहा, यौन हमले की परिभाषा में सीधा शारीरिक संपर्क होना चाहिए। चूंकि आरोपी ने लड़की को निर्वस्त्र किए बिना उसके छूने की कोशिश की, इसलिए इस अपराध को यौन हमला नहीं कहा जा सकता है और यह भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत महिला के शील को भंग करने का अपराध है ना कि ये पोक्सो एक्ट के तहत आता है। बता दें कि धारा 354 के तहत जहां न्यूनतम सजा एक वर्ष की कैद है, वहीं पोक्सो कानून के तहत यौन हमले की न्यूनतम सजा तीन वर्ष कारावास है

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English summary
Supreme Court stays Bombay High Court no skin touch no assault under pocso act verdict
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