सोशलः प्रधानमंत्री मोदी से कौन सा सवाल पूछना चाहते हैं?
साक्षात्कार के दौरान प्रधानमंत्री के बदले हुए हाव-भाव की चर्चा भी ख़ूब हुई थी. मोदी आमतौर पर अपनी रैलियों में काफ़ी आक्रामक नज़र आते हैं.
मोदी को अक़्सर यह कहते सुना गया है कि वे कांग्रेस मुक़्त भारत चाहते हैं. अपने साक्षात्कार में मोदी ने इस पर कहा था कि वे कांग्रेस पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं हैं, वे कांग्रेस में पैदा हुई परिवारवाद और भ्रष्टाचार वाली विचारधारा को खत्म करने की बात करते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए साल के पहले दिन से ही चर्चा में हैं. 1 जनवरी को दिया उनका 95 मिनट का साक्षात्कार कई तरह की सुर्खियां बटोर चुका है.
मोदी ने यह साक्षात्कार समाचार एजेंसी एएनआई को दिया था. मोदी आमतौर पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस से दूरी बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं.
ऐसे में साल की पहली तारीख़ को उनके साक्षात्कार ने बहुत से लोगों को हैरान किया, हालांकि आम लोगों के लिए यह एक तरह का संदेश भी था कि इस साल देश में नई सरकार के लिए चुनाव होंगे.
इस साक्षात्कार के अगले दिन लोकसभा के अंदर कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री मोदी से कई सवाल पूछे थे.
इसी दिन बीबीसी हिंदी ने भी अपने पाठकों से पूछा था कि 'प्रधानमंत्री मोदी से आप कौन-सा सवाल पूछना चाहते हैं?'
बीबीसी हिंदी को ढेर सारी प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं. उनमें से कुछ इस तरह हैं.
सबसे पहले फ़ेसबुक की बात करें तो यहां बीबीसी को हज़ारों की संख्या में लोगों ने अपने-अपने सवाल भेजे.
शम्स बिन असलाम ने पूछा कि 'नोटबंदी किसके फ़ायदे के लिए हुई थी?'
सोनू कुमार ने सवाल किया कि 'अपने देश में सरकारी स्कूल और अस्पतालों की हालत कब ठीक होगी?'
आलोक कौशिक का सवाल था कि 'आरक्षण ख़त्म करने का साहस कब दिखाएंगे मोदी या उन्हें वोट बैंक की चिंता है?'
इसी तरह प्रिंस सिंह ने प्रधानमंत्री से पूछा कि 'आप प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं करते हैं?'
मोहम्मद मोहसिन तस्लीम सहित कई लोगों ने सोशल मीडिया पर चलने वाला एक आम सा सवाल पूछा कि 'मोदी जी मेरे जनधन खाते में 15 लाख कब आएंगे?'
बहुत से लोगों ने अयोध्या में राम मंदिर कब तक बन जाएगा, यह सवाल भी किया.
'दो हज़ार का छुट्टा कब मिलेगा?'
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में जो बड़े फ़ैसले लिए थे उनमें नोटबंदी एक बड़ा और विवादित फ़ैसला रहा.
विपक्ष लगातार नोटबंदी को असफ़ल बताता रहा है जबकि सरकार उसे कालेधन पर प्रहार कहती रही है.
इंस्टाग्राम पर बीबीसी को लोगों ने प्रधानमंत्री के नाम ऐसे कई सवाल भेजे जिनमें नोटबंदी का ज़िक्र था.
नरेश मेहता ने पूछा है कि 'इतने बड़े देश में विपक्ष को विश्वास में लिए बिना निर्णय लेना देशहित में होता है क्या?'
आकाश प्रसाद ने आम लोगों की रोज़ाना मुश्किल से जुड़ा एक सवाल किया, 'दो हज़ार रुपए का छुट्टा ज़ल्दी नहीं मिलता. क्या यह नोट बंद हो सकता है?'
मोहम्मद शारिक़ ने पूछा कि 'जब आप मुख्यमंत्री थे तब पूछते थे कि रुपया कमज़ोर क्यों हो रहा है, मोदीजी अब आप बताएं कि अब रुपया कमज़ोर क्यों हो रहा है?'
कमल कुमरा वर्मा ने सवाल किया कि 'आम आदमी या ग़रीब जनता के लिये मोदी जी ने अपने कार्यकाल में क्या किया? ये सरकार मन्दिर मस्जिद,जाति धर्म को छोड़कर कब शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर काम या बात करेगी?'
'रफ़ाल का रेट और राम मंदिर की डेट'
साक्षात्कार के दौरान प्रधानमंत्री के बदले हुए हाव-भाव की चर्चा भी ख़ूब हुई थी. मोदी आमतौर पर अपनी रैलियों में काफ़ी आक्रामक नज़र आते हैं.
मोदी को अक़्सर यह कहते सुना गया है कि वे कांग्रेस मुक़्त भारत चाहते हैं. अपने साक्षात्कार में मोदी ने इस पर कहा था कि वे कांग्रेस पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं हैं, वे कांग्रेस में पैदा हुई परिवारवाद और भ्रष्टाचार वाली विचारधारा को खत्म करने की बात करते हैं.
ट्विटर पर बहुत से लोगों ने इसी से जुड़ा सवाल पूछा. लोगों ने कहा कि 'जब आप यह बोलते हैं कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी बेल पर बाहर हैं तो आप उन्हें जेल क्यों नहीं भेजते?'
जयनारायण मेघवाल ने एक वाक्य में दो सवाल पूछे हैं, 'रफ़ाल का रेट और राम मंदिर की डेट.'
ओबाराम देवासी ने पूछा है 'कर्ज़ माफ़ी की बात हर सरकार करती है लेकिन जिनके पास ज़मीन नहीं है उनका क्या होगा, भाजपा को उनके लिए भी विचार करना चाहिए?'
सुनील शर्मा ने सवाल किया कि 'देश की न्यायिक व्यवस्था में गति लाने के लिए कोई प्रयास क्यों नहीं किए जा रहे.'
अंत में कई लोगों ने एक ऐसा सवाल पूछा जिसका ज़िक्र प्रधानमंत्री मोदी ने खुद साल 2014 की चुनावी रैलियों में किया था.
वह सवाल है...''अच्छे दिन कब आएंगे?''
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