International Criminal Court: क्या है अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय जिसने पुतिन के खिलाफ जारी किया वारंट
आईसीसी ने व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी करते हुए कहा कि उन्होंने यूक्रेन में युद्ध अपराध किया है। वैसे यह संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित संगठन नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) ने यूक्रेन में युद्ध अपराधों के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ 17 मार्च 2023 को अरेस्ट वारंट जारी किया है। आईसीसी ने वारंट जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन युद्ध के अपराधी है। लिहाजा उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ रूस ने आईसीसी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। आईसीसी ने 2 मार्च 2022 को यूक्रेन युद्ध की जांच शुरू की थी।
अब सवाल यह उठता है कि क्या पुतिन को गिरफ्तार किया जा सकता है? दरअसल, आईसीसी के पास किसी भी देश के नेता या किसी भी शख्स को गिरफ्तार करने की शक्तियां नहीं हैं। क्योंकि उसके पास खुद का कोई पुलिस बल नहीं है। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक आईसीसी किसी भी देश के नेता को दोषी ठहरा सकता है पर उसकी गिरफ्तारी के लिए वह दुनियाभर के सदस्य देशों पर निर्भर है।
ऐसे में पुतिन की गिरफ्तारी दो ही तरीकों से हो सकती है। एक, राष्ट्रपति पुतिन को प्रत्यार्पित किया जाए और दूसरा रूस के बाहर किसी अन्य देश (सदस्य) में उन्हें गिरफ्तार किया जाये। अब इस मामले को थोड़ा विस्तार से समझते है कि आखिर आईसीसी क्या है? क्या है इसकी शक्तियां और यह आईसीजे (संयुक्त राष्ट्र का संगठन) से अलग कैसे हैं?
क्या
है
अंतरराष्ट्रीय
अपराध
न्यायालय
(ICC)
आईसीसी
का
गठन
2002
में
हुआ
था।
यह
अंतरराष्ट्रीय
युद्ध
अपराधों,
नरसंहार,
मानवता
के
खिलाफ
अपराध,
अपहरण,
महिलाओं-बच्चों
की
गुलामी,
यौन
शोषण
जैसे
मामलों
में
सजा
देने
का
काम
करता
है।
इस
कोर्ट
का
उद्देश्य
है
कि
अगर
संबंधित
देश
स्वयं
इन
अपराधों
की
सजा
न
दे
पाये
तो
आईसीसी
ऐसे
अपराधियों
को
सजा
देगा।
तकरीबन
15
तरह
के
अपराध
को
लिस्टिंग
किया
गया
है,
जिसके
तहत
आईसीसी
सजा
दे
सकता
है।
अंतरराष्ट्रीय
अपराध
न्यायालय
के
गठन
की
स्वीकृति
17
जुलाई
1998
को
120
देशों
द्वारा
रोम
में
की
गयी
थी।
इसे
रोम
संविधि
(Rome
Statute)
कहा
गया।
फिर
1
जुलाई
2002
को
अधिकारिक
तौर
पर
आईसीसी
की
स्थापना
की
गयी।
आईसीसी
के
मुताबिक
उसके
123
देश
अंतरराष्ट्रीय
आपराधिक
न्यायालय
के
रोम
संविधि
के
सदस्य
देश
हैं।
इसकी
6
आधिकारिक
भाषाएं
अंग्रेजी,
फ्रेंच,
अरबी,
चीनी,
रूसी
और
स्पेनिश
हैं।
इसके
अतिरिक्त
इसकी
2
कार्यकारी
भाषाएं
अंग्रेज़ी
और
फ्रेंच
हैं।
इसका
मुख्यालय
नीदरलैंड
के
हेग
में
स्थित
है।
आईसीसी
के
सदस्य
देशों
के
आंकड़ों
पर
सवाल
वैसे
यहां
गौर
करने
वाली
बात
है
कि
इसके
सदस्य
देशों
के
आंकड़ों
पर
सवाल
उठते
रहे
है।
दरअसल,
अभी
जब
राष्ट्रपति
पुतिन
की
गिरफ्तारी
का
वारंट
जारी
हुआ
तब
रूस
ने
कहा
कि
आईसीसी
का
वारंट
उनके
देश
के
लिए
कोई
मायने
नहीं
रखता
है
क्योंकि
वह
इसे
मान्यता
नहीं
देता।
रूस
2016
में
आईसीसी
संधि
से
हट
गया
था।
जबकि
अमेरिका,
रूस,
इजराइल
और
सीरिया
जैसे
देशों
ने
संधि
पर
हस्ताक्षर
किये
लेकिन
कभी
इसकी
पुष्टि
नहीं
की।
हालांकि
भारत,
चीन,
ईराक,
उत्तर
कोरिया
और
तुर्किये
ने
रोम
संविधि
पर
कभी
हस्ताक्षर
नहीं
किये।
17
मामलों
की
जांच
कर
रहा
आईसीसी
आईसीसी
की
अधिकारिक
वेबसाइट
के
मुताबिक
मौजूदा
समय
में
आईसीसी
यूक्रेन,
अफ्रीका
के
राज्य
यूगांडा,
कोंगो,
केन्या,
वेनेजुएला,
लैटिन
अमेरिका,
म्यांमार,
फिलिपींस
के
17
मामलों
की
जांच
कर
रहा
हैं।
अभी
तक
आईसीसी
युद्ध
अपराध
और
मानवता
के
खिलाफ
अपराध
के
लिए
कोंगो,
माली,
युगांडा
के
5
लोगों
को
सजा
दे
चुका
हैं।
जबकि
21
लोगों
को
कोर्ट
के
डिटेंशन
सेंटर
में
रखा
गया
हैं।
राष्ट्रपति पुतिन के अलावा, सूडान के राष्ट्रपति रहे उमर हसन अहमद अल-बशीर के खिलाफ भी आईसीसी ने 4 मार्च 2009 और 12 जुलाई 2010 को गिरफ्तारी के वारंट जारी किये थे। साल 2019 में सत्ता से हटाए जाने के बावजूद सूडान ने अभी तक उमर हसन को आईसीसी को नहीं सौंपा है।
क्या
आईसीसी,
संयुक्त
राष्ट्र
का
हिस्सा
है?
आईसीसी,
संयुक्त
राष्ट्र
संघ
से
संबंधित
संगठन
नहीं
है।
हालांकि,
यह
संयुक्त
राष्ट्र
के
साथ
सहयोग
करता
है।
जब
कोई
स्थिति
कोर्ट
के
अधिकार
क्षेत्र
से
बाहर
होती
है
तब
संयुक्त
राष्ट्र
सुरक्षा
परिषद,
आईसीसी
को
क्षेत्राधिकार
प्रदान
करने
वाली
स्थिति
का
उल्लेख
करती
है।
आईसीसी
एक
स्वतंत्र
संगठन
है।
जबकि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय अर्थात इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित सिविल मामलों का कोर्ट है जो देशों के बीच के आपसी विवादों पर सुनवाई करता है। आईसीजे को किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाने या उसे गिरफ्तार करने का आदेश देने का अधिकार नहीं है। शायद इसीलिए अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) की स्थापना की गई।