शहीद सुखदेव की Biography: 23 साल की उम्र में बांधा मौत का सेहरा
नई दिल्ली। स्वतंत्रतासंग्राम सेनानी सुखदेव का नाम हमेशा वीर जवानों की श्रेणी में लिया जाता रहा है और आगे भी लिया जाता रहेगा। इस क्रांतिकारी के बारे में जब भी बात होती हैं आंखों में गर्व के आंसू छलक जाते हैं। धन्य है ये भारत धरती जिसने इस महान सपूत को जन्म दिया।
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आइए सच्चे देशभक्त सुखदेव के बारे में जानते हैं विस्तार से...
जन्म और बचपन
- सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थापर था।
- सुखदेव थापर का जन्म पंजाब के शहर लायलपुर में श्रीयुत् रामलाल थापर और श्रीमती रल्ली देवी के घर पर 15 मई 1907 को हुआ था।
- जन्म से तीन माह बाद ही इनके पिता का स्वर्गवास हो जाने के कारण इना पालन-पोषण इनके ताऊ अचिन्तराम ने किया था
एक साथ पैदा हुए थे और एक साथ शहीद हुए
सुखदेव को भगत सिंह और राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी पर लटका दिया गया था। सुखदेव और भगत सिंह दोनों 'लाहौर नेशनल कॉलेज' के छात्र थे। ताज्जुब ये है कि दोनों ही एक ही साल में लायलपुर में पैदा हुए थे और एक ही साथ शहीद हुए।
नौजवान भारत सभा का गठन
सुखदेव ने भगत सिंह, कॉमरेड रामचन्द्र और भगवती चरण बोहरा के साथ लाहौर में नौजवान भारत सभा का गठन किया था। सुखदेव ने क्रांतिकारी रूप लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिये धरा और इस कारण वो भगत सिंह और राजगुरु के साथ आंदोलन में कूद पड़े थे।
1929 में जेल में बंद
सुखदेव ने भारत मां की आजादी के साथ 1929 में जेल में बंद भारतीय कैदियों के साथ हो रहे अपमान और अमानवीय व्यवहार किये जाने के विरोध में भी आवाज उठायी थी।
23 साल की आयु में शहीद हो गए
इन्होंने साण्डर्स का वध करने में भगत सिंह तथा राजगुरु का पूरा साथ दिया था। गांधी-इर्विन समझौते के सन्दर्भ में इन्होंने एक खुला खत गांधी के नाम अंग्रेजी में लिखा था जिसमें इन्होंने महात्मा जी से कुछ गम्भीर प्रश्न किये थे। उनका उत्तर यह मिला कि निर्धारित तिथि और समय से पूर्व जेल मैनुअल के नियमों को दरकिनार रखते हुए 23 मार्च 1931 को सायंकाल 7 बजे सुखदेव, राजगुरु और भगत सिंह तीनों को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया, इस प्रकार भगत सिंह तथा राजगुरु के साथ सुखदेव भी मात्र 23 साल की आयु में शहीद हो गए।
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