
'टीपू जयंती मनाना मुसलमानों सहित सभी की संवेदनाओं का अपमान', ओवैसी से क्या उम्मीद कर सकते हैं? BJP नेता का तंज
कर्नाटक में टीपू सु्ल्तान पर विवाद एक बार फिर गरमा गया है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने कर्नाटक के हुब्बलू में विवादास्पद ईदगाह मैदान में टीपू सुल्तान की जयंती मनाई। इसके बाद बीजेपी ने इसको लेकर निशाना साधा। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि टीपू सुल्तान कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, जिनकी जयंती मनाई जानी चाहिए। कहा कि ओवैसी से और कुछ भी उम्मीद नहीं की जा सकती है, जिनके राजनीतिक पूर्वज रजाकार थे। जिन्होंने हैदराबाद में हिंदुओं का नरसंहार किया और जातीय रूप से उनका सफाया किया।

बता दें कि टीपू सुल्तान जयंती मनाने की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने की थी, जब कांग्रेस सत्ता में थी। उन्होंने इसकी तारीख 10 नवंबर तय की थी। हालांकि टीपू सुल्तान की जयंती 1 दिसंबर को है। भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद उसने टीपू जयंती समारोह रद्द कर दिया। हालांकि, ईदगाह मैदान में एआईएमआईएम को जश्न मनाने के लिए सिविक बॉडी ने मंजूरी दे दी। विवाद को हवा देते हुए अमित मालवीय ने शुक्रवार को कहा कि टीपू सुल्तान एक बर्बर था। टीपू जयंती मनाना मुसलमानों सहित सभी भारतीयों की संवेदनाओं का अपमान है।
'टीपू सुल्तान बर्बर था'
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि टीपू एक बर्बर था, जिसने कुर्ग में कोडवाओं, मैंगलोर में सीरियाई ईसाइयों, कैथोलिकों, कोंकणी, मालाबार के नायरों, मंडियन अयंगरों, जिन्हें दिवाली पर सैकड़ों की संख्या में फांसी दी गई थी, पर भारी दुख पहुंचाया। उसने असंख्य मंदिरों और चर्चों को तोड़ दिया। लोगों को जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर दिया। उनकी तलवार में काफिरों के खिलाफ जिहाद शुरू करने का शिलालेख था।
'स्वतंत्रता सेनानी के ये लक्षण कैसे'
अमित मालवीय ने कहा कि वह कोई स्वतंत्रता सेनानी नहीं था। वह फ्रांसीसी की मदद ले रहा था, जो अंग्रेजों से कम औपनिवेशिक नहीं था। अगर टीपू जीत जाता तो मैसूर पांडिचेरी की तरह एक फ्रांसीसी उपनिवेश बन जाता। उसने अफगानिस्तान से जमान शाह को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया और भारत पर आक्रमण करने और अंग्रेजों के खिलाफ फ्रांसीसी जीत सुनिश्चित करने के लिए नेपोलियन को एक इस्लामिक खिलाफत की स्थापना की। स्वतंत्रता सेनानी के ये लक्षण कैसे?
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