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Parakram Diwas 2023: सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानें ये खास बातें, जिनकी मौत अभी भी है एक 'रहस्य'

Parakram Diwas 2023: सुभाष चंद्र बोस की मौत कैसे और कब हुई ये आज भी रहस्‍य है।

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Parakram Diwas

Parakram Diwas 2023 : 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक जिले में सुभाष चंद्र बोस का जन्‍म हुआ था। भारतीय राष्ट्रवादी सुभाष चंद्र बोस को भारत में ब्रिटिश सत्ता की अवहेलना ने लाखों भारतीयों के बीच एक आदर्श बना दिया। बंगाली परिवार में जन्‍में सुभाष चंद्र बोस ने अपनी शुरूआती शिक्षा एंग्लोसेंट्रिक इंस्‍टीट्यूट और उच्च शिक्षा रेनशॉ विश्वविद्यालय से हासिल की थी। इसके बाद उनके माता-पिता प्रभावती दत्त बोस और जानकीनाथ बोस ने उन्हें इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए इंग्लैंड जाने की अनुमति दे दी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उनके पिता एक सफल वकील थे, और उनकी मां एक सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ थी।

सुभाष चंद्र बोस 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष बने

सुभाष चंद्र बोस सिविल सेवा परीक्षा में विशेष योग्यता के साथ सफल हुए लेकिन भारत में ब्रिटिश राज के खिलाफ अभियान चलाने के लिए वो सब छोड़छाड़ कर अपने देश भारत लौट आए। वर्ष बिट्रिश हुकूमत के खिलाफ वो राष्ट्रवादी आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और महात्मा गांधी के साथ आ गए। 1930 और 1940 के दशक में सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रमुख नेता जवाहरलाल नेहरू का अनुसण किया आरै 40 साल की उम्र में बोस 1938 में कांग्रेस अध्यक्ष बने।

महात्मा गांधी से अलगाव

कांग्रेस अध्‍यक्ष बनने के बाद सुभाष चंद्र बोस और अन्य कांग्रेस नेताओं के बीच एक साल के भीतर मतभेद पैदा हो गए। इतिहासकारों के अनुसार महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के विचार कभी नहीं मिले। महात्‍मा गांधी अहिंसा के पुजारी थे और महात्‍मा गांधी ने कई मौकों पर उन्हें अहिंसा के मार्ग का उपयोग करते हुए अंग्रेजों से बातचीत करने के लिए कहा। वहीं सुभाष चंद्र बोस हिंसक तरीके से स्वतंत्रता छीनने के लिए कई कांग्रेस नेताओं का समर्थन प्राप्त था। यही कारण था कि कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों के एक बड़े बहुमत ने विरोध में इस्तीफा दे दिया जिसके बाद सुभाष चंद्र बोस ने पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद उन्‍हें कांग्रेस पार्टी से आउट कर दिया गया था।

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जर्मनी में सुभाष चंद्र में किया था ये करिश्मा

सुभाष चंद्र बोस को अंग्रेजों ने नजरबंद कर दिया, 1941 में अपदस्थ नेता भारत छोड़कर जर्मनी चले गए। सुभाष चंद्र बोस ने जर्मनी में नाजी पार्टी की सहानुभूति और अंग्रेजों से लड़ने में उनका समर्थन मांगा। उन्हें जापान से भी भारी समर्थन मिला जो जर्मनी का सहयोगी था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA)का नेतृत्व किया, जिसमें भारतीय सेना के युद्ध के भारतीय कैदी शामिल थे, जिन्हें सिंगापुर की लड़ाई में जापानियों ने पकड़ लिया था।

सुभाष चंद्र बोस फ्री इंडिया रेडियो की, ऐसे बने "नेताजी"

सुभाष चंद्र बोस के विचारों और रणनीति ने आईएनए बलों को अंग्रेजों पर विजय हास‍िल करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस फ्री इंडिया रेडियो की स्थापना करने में कामयाबी हासिल की और इस रेडियो शो में लोगों को स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए उनसे जुड़ते थे। सुभाष चंद्र बोस के आकर्षण और व्‍यक्तित्‍व के करिश्मे से बड़ी संख्‍या में उनके अनुयायी बन गए 'नेताजी' कहते थे।

नेताजी की रहस्यमय मौत

1945 में ताइवान में एक हवाई जहाज दुर्घटना में सुभाष चंद्र बोस का निधन होना बताया गया। इस मौत की खबर के बाद से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु के बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा गया है। उनकी मृत्यु के कारणों के बारे में असंख्य सिद्धांत, बहसें, चर्चा और फिल्में और ृ वृत्तचित्र बने, लेकिन अभी तक उनकी मौत का रहस्‍य नहीं खुला। ये भी माना जाता रहा है कि सुभाष चंद्र बोस की मौत अफवाह थी, वो छिपकर भेष बदलकर बहुत सालों तक गुमनाम जिंदगी बिताते रहे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1945 में लापता हो गए थे और उनके परिवार के कुछ सदस्यों ने उस वर्ष 18 अगस्त को ताइवान के ताइहोकू हवाईअड्डे पर एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। कई रिपोर्टों में दावा किया गया कि नेताजी 18 अगस्त, 1945 को ताइवान के ताइहोकू हवाई अड्डे से एक विमान में सवार हुए थे, जो दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उनकी मृत्यु हो गई।

जापान सरकार की रिपोर्ट में किया गया ये दावा

जापान की सरकार ने " दिवंगत सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के कारण और अन्य मामलों पर जांच" नाम के शीर्षक वाली एक खोजी रिपोर्ट को 2016 में जारी की थी। जिसमें ये निष्‍कर्ष निकाला गया था कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हुई थी। रिपोर्ट पूरी हो गई थी। जनवरी 1956 में और टोक्यो में भारतीय दूतावास को सौंप दिया गया था, लेकिन 60 से अधिक वर्षों के लिए इसे सार्वजनिक नहीं किया गया क्योंकि यह वर्गीकृत था।

घटना के बाद होश में आ गए थे लेकिन....

जापान सरकार की इस रिपोर्ट में बताया गया टेकऑफ़ के ठीक बाद जिस हवाई विमान में सुभाष चंद्र बोस यात्रा कर रहे थे, उसका एक प्रोपेलर ब्लेड टूट गया और इंजन विमान से गिर गया, जो दुर्घटनाग्रस्त हो गया और आग की लपटों में फट गया। जब बोस वहां से निकले तो उनके कपड़ों में आग लग गई और वह गंभीर रूप से जल गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और हालांकि वे होश में थे और कुछ समय के लिए बातचीत कर पा रहे थे, लेकिन कई घंटे बाद उनकी मृत्यु हो गई।

फिगेस रिपोर्ट

1946 में टोक्यो में अटैचमेंट पर एक वरिष्ठ ब्रिटिश खुफिया अधिकारी कर्नल जॉन जी फिगेस ने 1946 में अपनी रिपोर्ट में कहा कि "सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को स्थानीय समयानुसार 1900 घंटे और 2000 घंटे के बीच ताइहोकू सैन्य अस्पताल में हुई थी।

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English summary
Parakram Diwas 2023: Know these important things about Subhash Chandra Bose, whose demise is still a 'mystery'
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