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अस्पताल की लापरवाही से खोना पड़ा मां होने का सुख

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Negligence of the hospital, women compelled to abortion
नई दिल्ली। एक नवविवाहिता हेडगेवार अस्पताल में करीब 20 घंटे भटकती रही। इलाज की कौन कहे, लेबर रूम में तक उसे जगह नहीं मिली। महिला की हालत जब बिगड़ने लगी तो परिजन सुबह उसे जीटीबी अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उसे गर्भपात करने की सलाह दी। कप्तान सिंह (22) पत्नी किरण (21) के साथ मंडावली डी ब्लॉक में रहते हैं।

किरण तीन माह से गर्भवती थी। दोपहर पेट दर्द होने पर किरण को हेडगेवार अस्पताल ले जाया गया। किरण को ब्लीडिंग की शिकायत हो रही थी। कप्तान सिंह ने बताया कि अस्पताल में रजिस्ट्रेशन कराने के बाद डॉक्टर ने उन्हें पहले अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट कराने को कहा। अस्पताल के बाहर टेस्ट करने के बाद रिपोर्ट लेकर रात करीब नौ बजे वह फिर अस्पताल पहुंचे। लेकिन स्टाफ की कमी बताकर उन्हें लेबर रूम से बाहर बैठा दिया गया। सुबह लेबर रूम जाने पर उन्हें एक बार फिर से ब्लड टेस्ट कराने को कहा गया।

जब कप्तान सिंह टेस्ट की रिपोर्ट लेकर अस्पताल पहुंचे तो रविवार की छुट्टी बताकर सोमवार को आने के लिए कहा। किरण की हालत बिगड़ती देख कर कप्तान उसे लेकर जीटीबी अस्पताल पहुंचे। चिकित्सकों ने जांच के बाद बताया कि ब्लीडिंग ज्यादा होने की वजह से किरण की जान को खतरा है। ऐसे में उसका गर्भपात ही एक मात्र विकल्प है।हेडगेवार अस्पताल के एमएस का कार्यभार संभाल रहे ईएनटी के डॉक्टर कालरा से बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन बंद मिला। स्वास्थ्य मंत्री एके वालिया ने कहा कि उन्हें अभी तक मामले की कोई जानकारी नहीं है। इसकी जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

English summary
A married in Hedgewar hospital did not get treatment for nearly 20 hours. When the woman's condition was deteriorating, the family took her to GTB Hospital. Where doctors advised her to abort.
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