उत्तराखंड के 6 युवाओं नें 6 दिन में 60 किमी पैदल चलकर खोज निकाला एक खूबसूरत ताल, बनेगा नया ट्रैकिंग
उत्तराखंड: पनपतिया ग्लेशियर के निकट एक नया ताल खोज निकाला
देहरादून, 14 सितंबर। उत्तराखंड के 6 युवाओं नें 6 दिन में 60 किमी पैदल चलकर 16 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर पनपतिया ग्लेशियर के निकट एक नया ताल खोज निकाला है। इसके लिए इन युवाओं ने करीब 9 माह तक इस पूरे ट्रैक का अध्ययन करने के बाद अपना सर्च ऑपरेशन पूरा किया है। जिसके लिए गूगल मैप की मदद लेकर अपने इस अभियान के अंजाम तक पहुंचे हैं। अब इस ट्रैक को लेकर सोशल मीडिया में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। नए ट्रैक पर जाने और इस रोमांच के बारे में जानने के लिए हर कोई उत्सुक दिख रहा है। दिल के आकार के इस खूबसूरत ट्रैक की वादियां खूबसूरत नजर आ रही हैं।
गूगल मैप के जरिए नई लोकेशन का चला पता
अगर आप रोमांच और ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो आपके लिए एक नया ट्रैक तैयार है। जो कि उत्तराखंड के 6 युवाओं ने तलाशा है। रोमांच और ट्रैकिंग के शौकीन रूद्रप्रयाग जिले के गौण्डार गांव निवासी अभिषेक पंवार ने बताया कि बडियारगढ़,टिहरी गढ़वाल निवासी विनय नेगी के साथ पहले ट्रैकिंग पर गए थे। इस बीच विनय नेगी ने उन्हें गूगल मैप के जरिए एक नई लोकेशन के बारे में बताया। जिसके बाद इस पूरे मिशन के लिए शोध कार्य शुरू हुआ।
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16 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर एक अनाम ताल की खोज
करीब 9 माह की मेहनत के बाद 6 युवाओं ने इस ट्रैक पर निकलने का प्लान बनाया। जिसके लिए हर दिन 8 से 9 घंटे का समय लगा। 27 अगस्त को ट्रैकिंग पर निकलने के बाद 6 दिन एक तरफ लगे। रूद्रप्रयाग की मद्दमहेश्वर घाटी में मदमदमहेश्वर से 60 किमी पैदल चलकर 16 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर एक अनाम ताल की खोज हुई। दिल के आकार का ये ताल बेहद खूबसूरत नजर आ रहा है।
अनाम ताल को खोजने में 6 सदस्यीय दल शामिल
इस अनाम ताल को खोजने में 6 सदस्यीय इस दल में गौण्डार गाँव निवासी अभिषेक पंवार, आकाश पंवार, बडियारगढ़ टिहरी गढ़वाल निवासी विनय नेगी, मनसूना गिरीया निवासी दीपक पंवार, खंडाह श्रीनगर गढ़वाल निवासी अरविन्द रावत, बडियारगढ़. टिहरी निवासी ललित लिंगवाल शामिल थे।
मदमहेश्वर, धौला क्षेत्रपाल, कांचनीखाल वाला रूट
अभिषेक ने बताया कि ताल तक पहुंचने के लिए पूरी तैयारी की थी। गूगल अर्थ मैप का अध्ययन कर रूट तैयार किया। जिसके बाद मदमहेश्वर, धौला क्षेत्रपाल, कांचनीखाल वाला रूट चुना। दुर्गम, जोखिम भरे रास्ते से होकर पहाड़, बुग्याल, पथरीले रास्ते, ग्लेशियरों को पार करने के बाद अनाम ताल का दीदार करने का मौका मिला।
डीजिटल मैप ने काफी मदद की
अभिषेक ने बताया कि अज्ञात ताल की खोज में निकलने से पहले उन सभी की काफी मेहनत लगी। जिसमें डीजिटल मैप ने काफी मदद की। हालांकि डीजिटल मैप वास्तविकता से काफी परे था। नए ट्रैकिंग के लिए सही समय और मौसम का भी साथ होना जरूरी था। 27 अगस्त को अभियान शुरू हुआ, पहली रात मद्यमहेश्वर, अगले दिन काच्छिनी खाल था। इसके बाद उन्होंने कैंपिंग वाली जगहों के नाम अपने हिसाब से रखा। उन्होंने इस ट्रैकिंग को काफी टफ श्रेणी में माना है।
अज्ञात ताल की परिधि लगभग एक किमी
अज्ञात ताल के खोज अभियान में दल को 6 दिन का समय और दो दिन ग्लेशियरों में बिताना पड़ा, उन्होंने बताया कि अज्ञात ताल की परिधि लगभग एक किमी है। अज्ञात ताल का पानी हरा होने के कारण ताल की गहराई अधिक होने का अनुमान लगाया जा सकता है। ताल में पत्थर डालने पर पानी के बुलबुले उठ रहे हैं। जो कि दिल के आकार का लग रहा है। ताल के चारों तरफ बीहड़ चट्टान हैं, अत्यधिक ऊंचाई के कारण क्षेत्र में बर्फबारी अधिक समय तक रहती है। इस वजह से ग्लेशियर भी हजारों साल पुराने लग रहे हैं।
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