मिलिये इलाहाबाद की इस धाकड़ गर्ल से, कजाकिस्तान जाकर जीता कांस्य
इलाहाबाद की आरती ने कजाकिस्तान जाकर ताइक्वांडो में कांंस्य पदक जीतकर खुद को साबित किया। कजाकिस्तान जाने के लिए उसके पास पैसे नहींं थे।
इलाहाबाद। जिस खिलाड़ी को कजाकिस्तान भेजने के लिये सरकार पैसा तक उपलब्ध नहीं करा सकी थी, उसने कजाकिस्तान में न सिर्फ खुद को साबित किया बल्कि देश के लिये कांस्य पदक भी जीतकर लौटी। आइये हम मिलवाते हैं आपको इलाहाबाद की इस धाकड़ गर्ल आरती से जिसने पूरे देश का नाम एशिया पटल पर रोशन किया।
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किसान पिता की काबिल बेटी है आरती
आरती मूल रूप से कौशांबी के चायल हथियाभीट गांव की रहने वाली हैं। वह पिछले 7 साल से इलाहाबाद के मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में ताइक्वांडो की प्रैक्टिस कर रही हैं। पिता घनश्याम यादव किसान हैं। लेकिन बेटी को आसमान की ऊंचाई छूते देखना चाहते हैं। इस समय आरती 42 किग्रा. भार वर्ग में चैलेंज करती हैं। 19 अप्रैल को आरती कजाकिस्तान गयी और वहां कजाकिस्तान की प्लेयर को 6-4 से पराजित कर कांस्य पदक जीता। अब कांस्य जीतकर लौटी आरती का विधायक समेत जिला प्रशासन ने भव्य स्वागत किया।
कजाकिस्तान जाने के लिए पैसे नहीं थे
कांस्य जीतकर कजाकिस्तान से लौटी आरती का वहां जाना आखिरी समय तक असमंजस में रहा क्योंकि आरती के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह वहां आने-जाने का खर्च उठा सके। खेल मंत्रालय से लेकर हर जगह आरती के लिये पैसों की व्यवस्था के प्रयास हुए लेकिन बात नहीं बनी। आरती के लिये यह सुनहरा मौका था कि वह जूनियर एशियन चैंपियनशिप में इंडिया को रिप्रजेंट करे। लेकिन आरती का यह सपना, पिता की गरीबी के आगे घुटने टेक रहा था।
फिर मिली मदद और जीत लिया मेडल
आरती ने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखा कि उसे मदद दी जाये। इसी बीच इलाहाबाद के डीएम डीएम संजय कुमार को आरती के बारे में पता चला तो उन्होंने आरती को बुलाकर 40 हजार रुपये की मदद की। फिर चायल विधायक संजय गुप्ता ने भी 70 हजार की आर्थिक मदद की। अंत में कोच रंजीत ने जन सहभागिता से 50 हजार रुपए की व्यवस्था की। छोटी-छोटी मदद से इस धाकड़ गर्ल आरती का कजाकिस्तान जाने का सपना पूरा हो सका। आरती सिंह ने भी किसी को निराश नहीं किया और हिंदुस्तान के लिये कांस्य पदक जीतकर लौटी।
ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना
आरती सिंह का सपना है कि वह देश के लिये ओलंपिक मेडल जीते और इसके लिये जरूरी है, आरती को सुविधाएं मुहैया कराना। आरती खुद भी कहती हैं कि इंडिया स्पोर्ट्स में नंबर वन है। लेकिन फैसिलिटी न होने के कारण खुद को साबित नहीं कर पा रहे हैं। मामूली किसान की बेटी इंटरनेशनल प्लेयर बन चुकी है। लेकिन उसका यह सफर कहीं से भी आसान नहीं था। दिन-रात मां-बाप के साथ खेत में काम करने से लेकर लगातार कई घंटे की कड़ी ट्रेनिंग व प्रैक्टिस से वह यहां पहुंची है। उसने लोगो की हंसी, कमेंट, छींटाकशी से लेकर समाज के ताने भी सुने। हर वह कुर्बानी दी जो एक बच्चे के बचपन को सुनहरा बनाते हैं। अपनी मेहनत के दम पर आज आरती ने इंटरनेशनल लेवल पर एक मुकाम हासिल किया है।
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