अमेरिका ने बढ़ाई रूस की टेंशन, फिनलैंड, स्वीडन की NATO सदस्यता पर USA की मुहर
दूसरी तरफ नाटो के 30 अन्य सदस्य देश स्वीडन और फिनलैंड को नए सदस्य के तौर पर शामिल करने की प्रक्रिया पर विचार कर रहे हैं। बता दें कि दोनों देशों के रुख में इस साल 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद बड़ा
न्यूयॉर्क, 4 अगस्त : रूस की आपत्ति के बीच फिनलैंड और स्वीडन को अमेरिका ने नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी संगठन यानी की नाटो की सदस्यता को मंजूरी दे दी है। अमेरिकी संसद के उच्च सदन में इसके लिए बुधवार को मतदान हुआ। वहीं, अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि इससे फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने से रक्षा सहयोग को मजबूती मिलेगी और इससे पूरे ट्रांसअटलांटिक गठबंधन को फायदा पहुंचेगा।
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आग में घी डाल रहा है अमेरिका
अमेरिका ने रूस की टेंशन को और अधिक बढ़ा दिया है। अमेरिका ने फिनलैंड,स्वीडन को नाटो की सदस्यता को मंजूरी दे दी है। इस विषय पर नेड प्राइस ने कहा है कि अमेरिकी सीनेट की ओर से स्वीडन और फिनलैंड की नाटो सदस्यता को मंजूरी दिया जाना हमारे लंबे समय के साझेदारों को मिलने वाले अमेरिकी सहयोग को दर्शाता है। यह पश्चिम सैन्य गठबंधन के विस्तार में अहम कदम माना जा रहा है।
रूस की अमेरिका ने बढ़ाई टेंशन
नाटो के नए सदस्य बनाने के लिए होने वाली ऐतिहासिक बहस और मतदान का गवाह बनने के लिए सीनेट ने देशों के राजदूतों को आमंत्रित किया था। राष्ट्रपति जो बाइडन ने दो पूर्व गैर सैन्य उत्तरी यूरोपीय साझेदारों को सैन्य गठबंधन में शामिल करने को मंजूरी देने और इसकी द्विदलीय कांग्रेस में पुष्टि की प्रक्रिया को तेज करने का आह्वान किया था।
स्वीडन, फिनलैंड को नाटो में शामिल करने पर विचार
वहीं, दूसरी तरफ नाटो के 30 अन्य सदस्य देश स्वीडन और फिनलैंड को नए सदस्य के तौर पर शामिल करने की प्रक्रिया पर विचार कर रहे हैं। बता दें कि दोनों देशों के रुख में इस साल 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद बड़ा बदलाव आया। अमेरिका और यूरोप ने रूस को अलग-थलग करने के लिए कई तरह की रणनीतियां बनाई। अमेरिकी सीनेट में एक संशोधन सीनेटर रैंड पॉल की ओर से प्रस्तावित किया गया था, जिसके मुताबिक सदस्यों देशों की रक्षा के लिए नाटो की गारंटी कांग्रेस द्वारा सैन्य इस्तेमाल की मंजूरी देने के अधिकार का स्थान नहीं लेगी।
रूस को अलग-थलग करने की प्लानिंग
रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद फिनलैंड और स्वीडन काफी डर गए थे शायद इस वजह से वे नाटो की सदस्यता लेने को तैयार हो गए। वहीं अमेरिका और अन्य यूरोपीय देश भी रूस को अलग-थलग करना चाहते हैं।
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