कैलिफोर्निया में कबाड़ से बरामद हुआ शिवाजी महाराज का स्टैच्यू, पुणे शहर से किया गया था गिफ्ट
यह स्टैच्यू साल 1999 में सिस्टर सिटी मुहिम के तहत पुणे शहर ने अमेरिका के सैन जोस शहर को शिवाजी महाराज का यह स्टैच्यू दिया था। यह स्टैच्यू सैन जोस शहर के पार्क में बैठाया गया था।
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कैलिफोर्निया के सैन जोस शहर के एक पार्क से चोरी हुई छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा एक कबाड़खाने में मिली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस कबाड़ खाने में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा मिली है, वह अवैध गतिविधियों के लिए जाना जाता है। अमेरिका में शिवाजी महाराज की यह एकमात्र प्रतिमा है। यह साल 1999 में सिस्टर सिटी मुहिम के तहत पुणे शहर ने अमेरिका के सैन जोस शहर को शिवाजी महाराज का यह स्टैच्यू दिया था। यह स्टैच्यू सैन जोस शहर के पार्क में बैठाया गया था।
कबाड़खाने से हुई बरामद
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 200 किलो की ये मूर्ति 9 फरवरी को एक कबाड़खाने में पाई गई थी। ये कबाड़खाना अवैध गतिविधि के लिए कई बार चर्चाओं में रहा है। पुलिस ने मामले में कबाड़खाने के कर्मचारियों से पूछताछ की। हालांकि, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। ग्वाडालूप रिवर पार्क से 31 जनवरी को इसके चोरी होने की सूचना मिली थी। चोरों ने मूर्ति के घोड़े के खुरों से काट दिया गया था।
अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक, वहां के स्टाफ ने ज्यादा जानकारी दिए बिना कहा कि दो पुरुष और एक महिला 29 जनवरी को मूर्ति को गिराने आए थे। सैन जोस-पुणे सिस्टर सिटी ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष सुनील केलकर ने कहा कि वह स्टैच्यू को बरामद होते देखने के लिए उत्साहित थे, लेकिन प्रतिमा के पैर काट डाले गए हैं ऐसे में उन्हें संशय है कि फिर से यह स्टैच्यू पार्क में लग पाएगा। हालांकि सैन जोस के अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रबंधक जो हेजेज ने कहा, "प्रतिमा को वापस पाकर हम बहुत खुश हैं। मुझे आशा है कि इसे फिर से स्थापित किया जाएगा और हमारे नागरिकों द्वारा इसे देखने का आनंद लिया जाएगा।"
पहले भी हुई थी मूर्ति चोरी
रिपोर्ट में सैन जोस के मेयर मैट ग्रेट के हवाले से कहा गया है, "यह प्रतिमा हमारे भारतीय समुदाय के लिए अविश्वसनीय मूल्य रखती है।" यह दूसरी बार है जब मराठा शासक की मूर्ति चोरी कर बरामद की गई है। इसे सैन जोस में लाए जाने के महीनों बाद एक घर से चुरा लिया गया था और बाद में शहर के एक रास्ते पर एक जॉगर द्वारा खोजा गया था। इसके बाद साल 2002 में इसे फिर से स्थापित किया गया था।
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