शीतकालीन सत्र: 12 निलंबित सांसदों के धरने के विरोध में अब भाजपा सांसदों ने निकाला मार्च
शीतकालीन सत्र: 12 निलंबित सांसदों के धरने के विरोध में अब भाजपा सांसदों ने निकाला मार्च
नई दिल्ली, 3 दिसंबर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों ने विपक्षी दलों के 'अनियंत्रित' व्यवहार के खिलाफ शुक्रवार (03 दिसंबर) को संसद में विरोध प्रदर्शन किया। वहीं विपक्षी सांसदों ने भी राज्यसभा के 12 सांसदों के निलंबन में विरोध किया। 29 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ था, उसके बाद से ही दोनों सदनों के कामकाज में लगातार व्यवधान आ रहा है। असल में शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में विपक्षी दलों के 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। जिसके बाद से विपक्षी नेता लगभग हर गिन सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग को लेकर विरोध कर रहे हैं।
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निलंबित सांसदों में कांग्रेस से छह, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना के दो-दो, और सीपीआई और सीपीएम से एक-एक सांसद हैं। निलंबित कांग्रेस सांसद हैं, फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और अखिलेश प्रसाद सिंह। तृणमूल कांग्रेस की दो सांसद डोला सेन और शांता छेत्री हैं। शिवसेना के प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई हैं। वहीं सीपीएम के एलाराम करीम और सीपीआई के बिनॉय विश्वम निलंबित किए गए हैं।
टीएमसी सांसद डोला सेन ने कहा, संसद में एक सवाल के जवाब में भाजपा के मंत्री ने बताया कि अभी पूरे भारत में कहीं भी एनआरली लागू नहीं होगा। इन्होंने कृषि कानून वापस कर लिया है और एनआरसी भी वापस लेने वाले हैं। पश्चिम बंगाल की हालत के बारे में 6 महीने पहले जनता ने चुनाव में जनादेश दे दिया है।
वहीं कांग्रेस नेता अधीरंजन चौधरी ने कहा, ''भाजपा के पास क्या किया जाना चाहिए, क्या नहीं किया जाना चाहिए, इसकी समझ ही नहीं है। वे सिर्फ भाजपा पार्टी में अथॉरिटी के आदेश का पालन करते हैं। महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने प्रदर्शन करने के अधिकार का भी भाजपा ने खंडन किया, ये और कुछ नहीं तानाशाही है।
अगस्त में मानसून सत्र के दौरान सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 के पारित होने के दौरान विपक्षी सदस्यों द्वारा सदन के वेल में हंगामा करने के बाद मार्शल को बुलाया गया था। जिसके बाद अंत में कथित रूप से अनियंत्रित आचरण के लिए सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था।