पति-पत्नी के बीच जबरन सेक्स तलाक का वैध आधार: हाईकोर्ट
चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पति और पत्नी के संबंधों को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि विवाह में जबरन सेक्स या फिर अप्राकृतिक सेक्स को अपनाना और उसे अपने साथी पर थोपना तलाक लेने के लिए वैध आधार है। अदालत ने इसके साथ ही बठिंडा की एक महिला द्वारा तलाक के लिए दी गई अर्जी को स्वीकार कर लिया है।
परिस्थितियों को आधार बनाकर तलाक मंजूर किया जा सकता है
हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही पत्नी के अप्राकृतिक संबंधों के आरोप साबित न हों फिर भी परिस्थितियों को आधार बनाकर तलाक मंजूर किया जा सकता है। दरअसल चार साल पहले एक बठिंडा की निचली अदालत ने महिला की तलाक की याचिका को खारिज करते कहा था कि महिला को यह साबित करना होगा कि उसके पति ने उसके साथ ओरल या फिर अप्राकृतिक सेक्स स्थापित किया। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि चाहे इसका कोई सबूत ना दिया जा सकता हो, लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य परिस्थितियों पर गौर किया जाना चाहिए। इस केस में पत्नी आठ वर्ष पहले ही एक बच्चे को साथ लेकर पति से अलग हो चुकी है।
अप्राकृतिक साधनों का प्रयोग दूसरे साथी के लिए पीड़ा दायक
जस्टिस एमएम एस बेदी और जस्टिस हरिपाल वर्मा की खंडपीठ ने 1 जून को दिये अपने फैसले में कहा,हमने पाया है कि याचिकाकर्ता महिला के दावे को निचली अदालत ने गलत तरीके से ठुकरा दिया गया था। सोडोमी, जबरन संबंध स्थापित करना और सेक्स के लिए अप्राकृतिक साधनों का प्रयोग दूसरे साथी के लिए पीड़ा दायक होते हैं। जिस कारण से पीड़ित पक्ष अलग रहने के लिए मजबूर हो जाता है । यह कारण किसी भी तलाक के लिए वैध आधार हैं।
कोर्ट ने दिए ये निर्देश
कोर्ट ने कहा कि, कोई भी पत्नी अपने बच्चे सहित पति का घर तब तक नहीं छोड़ सकती जब तक ऐसे हालात पैदा न कर दिए गए हों। जिला अदालत में पत्नी की जब तलाक की अर्जी विचाराधीन थी तब उसने पति से किसी भी तरह का गुजारा भत्ता नहीं मांगा और आपसी सहमति से तलाक दिए जाने का आग्रह करती रही। हाईकोर्ट ने कहा कि जिला अदालत ने इस मामले में पत्नी की इन सभी परिस्थितियों पर गौर ना कर उसके तलाक की अर्जी खारिज कर दी जो कि सही नहीं है।