डेल्टा वेरिएंट के साथ-साथ लैम्ब्डा बन रहा चिंता का विषय, भारत के लिए इस वजह से हो सकता है ज्यादा खतरनाक
कोरोना वायरस के बदलते स्वरूपों ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। एक तरफ जहां कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रही है, वहीं इसके लैम्ब्डा वेरिएंट को भी बेहद खतरनाक समझा जा रहा है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई। कोरोना वायरस के बदलते स्वरूपों ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। एक तरफ जहां कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रही है, वहीं इसके लैम्ब्डा वेरिएंट को भी बेहद खतरनाक समझा जा रहा है। हालांकि अभी लैम्ब्डा को लेकर अभी और अध्ययन किया जाना बाकि है, लेकिन इस वेरियंट को लेकर डब्ल्यूएचओ ने जो चेतावनी दी है वह डराने वाली है। संगठन के प्रमुख डॉक्टर टेडरोस अधानोम घेब्रेयसस ने लैम्ब्डा की तुलना दुनियाभर में कहर मचा रहे डेल्टा वेरिएंट से करते हुए कहा था कि, मैं डेल्टा की तरह एक शक्तिशाली कोविड-19 वायरस वेरिएंट (लैम्ब्डा) के उभार के बारे में चिंतित हूं। अगस्त 2020 में पेरु में उत्पन्न हुआ यह वेरिएंट अभी तक 31 देशों में फैल चुका है।
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दक्षिण
अफ्रीका
में
तेजी
से
फैल
रहा
लैम्ब्डा
ड्ब्ल्यूएचओ
के
डेटा
के
अनुसार
पेरू
में
मई-जून
में
मिले
82
फीसदी
कोरोना
के
मामलों
का
कारण
लैम्ब्डा
वेरिएंट
ही
था।
इस
दौरान
चिली
में
इस
वेरिएंट
के
32
फीसदी
मामले
सामने
आए।
अर्जेंटीना
में
अप्रैल-मई
में
कोरोना
के
37
फीसदी
मामलों
का
कारण
यही
वेरिएंट
था।
दुनिया
में
कोविड
के
चलते
सबसे
ज्यादा
मृत्यु
दर
पेरू
में
ही
है।
कोरोना
का
यह
खतरनाक
वेरिएंट
अन्य
दक्षिण
अमेरिकी
देशों,
यानी
अर्जेंटीना,
ब्राजील,
कोलंबिया,
इक्वाडोर
और
मैक्सिको
में
भी
तेजी
से
फैल
रहा
है।
असामान्य बदलावों वाला वेरिएंट
कोरोना के डेल्टा वेरिएंट पर फिलहाल और अधिक अध्ययन किया जा रहा है। इसका मतलब है कि इस वेरिएंट को लेकर अभी ज्यादा तथ्य वैज्ञानिकों के पास नहीं है, लेकिन फिलहाल चिंता इस बात को लेकर है कि इस वेरिएंट कई असामान्य आनुवंशिक परिवर्तन देखे हैं। स्पाइक प्रोटीन में दो म्यूटेशन होने के चलते डेल्टा वेरिएंट को डबल म्यूटेंट कहा जा रहा था। लैम्ब्डा वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में सात म्यूटेशन देखे गए हैं। इस वेरिएंट को ज्यादा संक्रामक बनाने के पीछे एक म्यूटेशन L452Q हो सकता है। क्योंकि यह डेल्टा के L452R म्यूटेशन जैसा है, जो इस वेरिएंट को और संक्रामक बनाता है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इन म्यूटेशन के चलते लैम्ब्डा में फैलने की छमता क्षमता और टीका प्रतिरोध में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा यह शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया को भी चकमा दे सकता है। कुल मिलाकर वेरिएंट ने 75 फीसदी सीक्वेंस में म्यूटेशन देखे हैं। इसके तेजी से फैलने और असमान्य म्यूटेशन को देखते हुए ब्रिटेन ने इसे जांच के दायरे में रखा है।
डेल्टा से ज्यादा तेजी से फैलता है लैम्ब्डा?
पेरू के एक मॉलेक्युलर जीवविज्ञानी का दावा है कि लैम्ब्डा वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है। लीमा के कायटानो हेरेडिया यूनिवर्सिटी के डॉक्टर पाब्लो सुकायामा ने इसकी प्रवृत्ति को देखते हुए कहा कि लैम्ब्डा की संक्रामकता कोरोना वायरस के दूसरे वेरिएंट्स से ज्यादा है।
लैम्ब्डा को लेकर हुए अध्ययन में सामने आया है कि यह वेरिएंट संक्रामकता को दोगुना बढ़ाता है। हालांकि अभी इस अध्ययन की समीक्षा की जानी बाकी है। वहीं, एक अन्य अध्ययन में सामने आया है कि लैम्ब्डा वेरिएंट अल्फा और गामा वेरिएंट्स से ज्यादा संक्रामक है। अगर यह डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा संक्रामक साबित होता है तो इसे जल्द ही इसे खतरनाक वेरिएंय की श्रेणी में शामिल किया जाएगा।
mRNA
वैक्सीन
कर
सकती
है
इसे
काबू
कुछ
अध्ययनों
में
सामने
आया
है
कि
वर्तमान
में
मौजूद
mRNA
वैक्सीन
इसे
बेअसर
कर
सकती
है।
लेकिन
अभी
इस
वेरिएंट
पर
वैक्सीनों
की
प्रभावकारिता
को
लेकर
और
अध्ययन
किया
जाना
बाकी
है।
भारत
के
लिए
क्यों
है
चिंता
की
बात
हालांकि
भारत
में
अभी
तक
इस
वेरिएंट
का
कोई
भी
मामला
सामने
नहीं
आया
है,
लेकिन
अमेरिका
और
यूरोपीय
देशों
में
यात्राओं
के
चलते
भारत
के
लिए
भी
यह
चिंता
की
बात
है।
इसके
भारत
में
प्रवेश
से
फिलहाल
इंकार
नहीं
किया
जा
सकता।
यदि
भारत
में
इस
वेरिएंट
के
मामले
मिलते
हैं
तो
यह
एक
बड़ी
आबादी
के
लिहाज
से
भारत
की
चिंता
बढ़ा
सकता
है।
वहीं
दूसरी
तरफ
अभी
तक
ऐसी
कोई
स्टडी
नहीं
हुई
है
तो
यह
बताए
कि
भारत
में
इस्तेमाल
किए
जा
रहे
टीके
इस
वेरिएंट
को
बेअसर
कर
सकते
हैं।
वहीं
भारत
की
एक
बड़ी
आबादी
(70
फीसद)
को
अभी
कोरोना
का
टीका
नहीं
लगा
है।