प्रोफेसर ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'गाय की बलि देना और बीफ खाना आदिवासियों की परंपरा', गिरफ्तार
नई दिल्ली। झारखंड के जमशेदपुर स्थित स्थित गवर्नमेंट स्कूल एंड कॉलेज फॉर वुमेन के आदिवासी प्रोफेसर जीतराय हंसदा को फेसबुक पोस्ट के लिए गिरफ्तार कर लिया गया है। दरअसल उन्होंने फेसबुक पर बीफ खाने के अधिकार को लेकर पोस्ट लिखा था, जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। हंसदा के खिलाफ यह शिकायत 2017 में दर्ज की गई थी। लेकिन उन्हें रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। हंसदा के वकील का कहना है कि हंसदा को चुनाव के बाद इसलिए गिरफ्तार किया गया ताकि आदिवासी उनकी गिरफ्तारी से चुनाव के दौरान नाराज ना हो। बता दें कि झाऱखंड में भाजपा ने 14 में से 12 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की है। प्रदेश में भाजपा की सरकार है और रघुबर दास यहां के मुख्यमंत्री हैं।
अग्रिम जमानत याचिका खारिज
हंसदा के उपर लगे आरोप पर 2017 के फेसबुक पोस्ट की डायरी पेश की गई है। साक्षी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर अनिल कुमार सिंह ने कहा कि इस मामले में जांच के बाद ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। हंसदा के वकील ने बताया कि हंसदा को पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा गया था, लेकिन उस वक्त उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था। उन्हें रविवार को गिरफ्तार किया गया और पुलिस की हिरासत में ले लिया गया। बता दें कि हंसदा ने कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका की अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
एक्टिविस्ट हैं हंसदा
आपको बता दें कि हंसदा जाने माने एक्टिविस्ट हैं और वह थिएटर आर्टिस्ट भी हैं। उन्होंने फेसबुक पर बीफ खाने के अधिकार को लेकर पोस्ट लिखा था। जिसके बाद उनके खिलाफ जमशेदपुर स्थित साकची पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा गई। हंसदा ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि आदिवासी काफी लंबे समय से परंपरा के अनुसार बीफ खाते आ रहे हैं और गाय की बलि देते हैं। यह उनका लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक अधिकार है कि वह बीफ खा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनका समुदाय मोर भी खाता है। उन्होंने हिंदू धर्म के रिवाजों को मानने से भी इनकार किया था।
एबीवीपी ने कॉलेज से की शिकायत
हंसदा की पत्नी माही सोरेन ने बताया कि वह जमशेदपुर के करंदीह इलाके में रहते हैं। उन्होंने किसी भी तरह की धमकी मिलने की बात से इनकार किया है। उन्होंने बताया कि हंसदा के फेसबुक पोस्ट के बाद उनके खिलाफ दो शिकायतें दर्ज की गई, एक शिकायत इसमे से सकची पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई, जबकि दूसरी शिकायत कॉलेज में दर्ज कराई गई। उन्होंने बताया कि हमे व्यक्तिगतर रूप से किसी ने संपर्क नहीं किया लेकिन कॉलेज को जो शिकायत दी गई है उसपर एबीवीपी ने हस्ताक्षर किया था।
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