मोदी सरकार के 30 दिन पूरे, नहीं मिले अच्छे दिन के संकेत
नयी दिल्ली। आज से ठीक एक महीने पहले करोड़ों भारतीय और कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के सामने राष्ट्रपति में एक आवाज गूंजी...मैं नरेन्द्र दामोदर दास मोदी...ईश्वर की शपथ लेता हूं...इन शब्दों के साथ नरेन्द्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और करोड़ों भारतीयों के आंखों में अच्छे दिन का सपना संजने लगा। मोदी से करोड़ों देशवासियों ने आस लगा रखी है। लोकसभा चुनाव के दौरान रैलियों में जब मोदी जनता से अच्छे दिन लाने का वादा करते लोगों की तालियां उनके इत्साह को हजार गुना बढ़ी देती, लेकिन सत्ता संभालने के एक महीने बाद जनता को ऐसा कुछ भी नहीं दिखे जिससे उनमें उम्मीद जगे। मोदी के दावों पर यकीन कर मतदाताओं ने उन्हें वोट दिया था, दावों को हकीकत बनते देखना उनका सपना था। लेकिन महीने भर बाद ही वादों और दावों से लोगों का यकीन उठने लगा। तस्वीरों के जरिए देखिए मोदी सरकार के 30 दिन का सफर...
100 दिन का एजेंडा तैयार
मोदी सरकार ने 100 दिन में अच्छे दिन लाने का वादा किया और इसके लिए एजेंडा तैयार करने की बात की, लेकिन 30 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक उस पर काम शुरू नहीं किया गया।
कैसे आएंगे अच्छे दिन
मोदी के दावों पर यकीन कर जनता ने उन्हें वोट दिया था, लेकिन महीने भर बाद ही वादों और दावों से यकीन ऐसा उठा कि सड़क पर मोदी की सरकार के खिलाफ नारे लगने लगे। महंगाई अपने चरम पर पहुंच गया।
कैसे संभले मोदी सरकार
मोदी सरकार के बनते ही विवाद उनसे जुड़ने लगा। वाहवाही के मौके कम मिले, लेकिन लोगों की एह खूब लगी। गृहमंत्रालय की तरफ से हिंदी के इस्तेमाल को देकर दिए गए निर्देश ने बड़ा वबाल खड़ा कर दिया। गैर हिंदी राज्यों के नेता इसके विरोध में उतर आए और यहां तक कह डाला कि हिंदी थोपने की कोशिश हो रही है।
राज्यपाल की कर दी छुट्टी
मोदी सरकार ने आते ही राज्यपालों को बदलने की मुहिम छेड़ दी गई। गृह मंत्रालय ने मौजूदा राज्यपालों से इस्तीफा मांगना शुरू किया तो कई राज्यपाल इसके खिलाफ खड़े हो गए।
साथी भी खिलाफ
मोदी सरकार ने रेल किराए में करीब 14.2 फीसदी की बढ़ोतरी कर लोगों को पहला बड़ी झटका दे दिया। इस फैसले की बगावत में ना केव विरोधी बल्कि सहयोगी भी खड़े हो गए। मोदी सरकार में की गई ये बढ़ोतरी पिछले 10 सालों के अंदर यह सबसे बड़ी रेल वृद्धि थी।
पाक से दोस्ती पर लोग नाराज
मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ को बुलाया पड़ोसी देशों के साथ दोस्ताना रवैया दिखाने की कोशिश की साथ ही पहले विदेशी दौरे पर भूटान जाकर मोदी ने पड़ोसियों को किसी भी दूसरे देश में ज्यादा तव्वजो देने का संदेश दिया। मोदी यह बड़ी कूटनीतिक पहल मानी गई।
ब्लैक मनी पर एसआईटी
काला धन पर एसआईटी का गठन कर सरकार ने चुनावी वादा पूरा करने की पहली पहल की। दो दिन पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस प्रकरण पर स्विट्जरलैंड सरकार को भी पत्र लिखा।
मोदी ने साधी चुप्पी
जनरल वीके सिंह मोदी सरकार के पहले ऐसे मंत्री बने जिनके इस्तीफे की मांग विपक्ष ने की। सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग पर अपने बयान को लेकर वीके सिंह विपक्ष के निशाने पर आए।
कैसे पाएंगे पार
मोदी सरकार के सामने आने वाले वक्त में मंहगाई, कैबिनेट विस्तार, पहली आम बजट, गैस की कीमत का निर्धारण और इराक में उठे आंतकी से निपटना उनकी अहम चुनौतियों में शामिल है।