सरदार सरोवर डैम का जलस्तर ‘ओवरफ्लो' पॉइंट पर पहुंचा, अपने जन्मदिन पर इसे निहारेंगे PM मोदी
गांधीनगर। गुजरात में सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 'ओवरफ्लो' पॉइंट पर पहुंच गया है। इसमें पानी का कुल संग्रह भी 97% से अधिक हो गया है। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के मुताबिक, रविवार तड़के तक बांध पूरा भरने से महज 68 सेमी कम रह गया। इस दृश्य को देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को गुजरात में होंगे। इस दिन उनका 69वां जन्मदिन भी है। बांध के जलस्तर की बात करें तो शुक्रवार को शाम 6 बजे यह 137.93 मीटर था, जबकि अधिकतम स्तर 138.68 मीटर का ही है। शनिवार से मंगलवार तक बांध अतिरिक्त दवाब में होगा।'
बढ़े जलस्तर को लेकर मप्र-गुजरात में घमासान
वहीं, नर्मदा में बढ़े जलस्तर को लेकर गुजरात और मध्यप्रदेश में सियासत तेज हो गई है। इन दोनों राज्यों के निचले इलाकों वाले गांव-कस्बों के डूबने का खतरा पैदा हो गया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र सरकार को खत लिखा है। मप्र सरकार ने कहा है कि नर्मदा की धाराएं गांवों में घुसकर घर-बाड़े को तबाह करने पर आमादा हैं। सैकड़ों घर-बाड़े खाली जा चुके हैं, क्योंकि वह जलधारा में डूब गए हैं।' इसके जवाब में गुजरात के मुख्यमत्री रुपाणी का कहना है कि मप्र ने पानी को नहीं रोका तो भरूच-नर्मदा के निचले इलाकों में भारी तबाही हो सकती है। रुपाणी ने नर्मदा बांध के मुद्दे पर कांग्रेस को हमेशा गुजरात विरोधी बताया।
'जब यह पूरा जाएगा, तो गुजरात के लिए गर्व का दिन होगा'
सरदार सरोवर बांध में बढ़ते जलस्तर पर सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक राजीव गुप्ता ने कहा, ''जिस दिन बांध पूरा भर जाएगा वह दिन गुजरात के लोगों के लिए गर्व का दिन होगा। हमने अपने नहर नेटवर्क के जरिए नर्मदा के पानी से 400 नहरें, कई नदियां और यहां तक कि कुछ बांध भरे हैं।'
बांध का मकसद पेय जल उपलब्ध कराना ..
''यह पानी गुजरात की 'जीवनरेखा' है। बांध का मकसद 131 शहरी केंद्रों और 9,633 गांवों को पेय जल उपलब्ध कराना और 18.54 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना है।'
प. नेहरू ने रखी थी इस बांध की नींव
सरदार सरोवर बांध देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की स्मृति में बना है। इस बांध की नींव पांच अप्रैल 1961 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी, हालांकि, इसका निर्माण 56 साल बाद सितंबर 2017 में पूरा हुआ। साल 2018 में कम बारिश की वजह से यह बांध आधा खाली रह गया था। मगर, इस बार अच्छी बारिश होने से बांध का जलस्तर अपनी अधिकतम सीमा को छू चुका है।
भरूच में नर्मदा खतरे के निशान से ऊपर
मुख्यमंत्री विजय रुपाणी का कहना है कि गुजरात नर्मदा परियोजना संबंधी समझौते के सभी नियमों का पालन कर रहा है और इसने पुनर्वास के लिए 500 करोड़ रुपए से भी अधिक की राशि मप्र को दी है। मगर, यह मप्र से हो रही पानी की भारी आवक को बांध के जरिए नियंत्रित नहीं करेगा तो भरूच तथा अन्य स्थानों में नदी किनारे के निचले इलाकों में भारी तबाही हो जाएगी।
नदी में 6.42 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है
बता दें कि, सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (एसएसएनएनएल) के नियंत्रण कक्ष से जारी रिपोर्ट में बताया गया था कि इस बड़े बांध के 30 में से 23 फाटक खोले जाने के बाद नदी में 6.42 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है।
10 हजार से ज्यादा गांवों में हो रही इससे पानी की आपूर्ति
मौजूदा समय में नर्मदा बांध से राज्य के 167 कस्बों और 10 हजार से अधिक गांवों में रहने वाले 3 करोड़ लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति की जा रही है। जलाशय में लाइव स्टोरेज 4607.90 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पाया गया है।
बांध का उच्चतम स्तर 2017 को 130.75 तक पहुंच गया था
पिछले महीने नदी के बहाव क्षेत्र में पानी के निर्वहन के लिए बांध के 30 गेटों में से 10 को 2.3 मीटर तक खोला गया था। एक अन्य खास बात यह है कि पहले के दो वर्षों के दौरान बांध का उच्चतम स्तर 25 सितंबर, 2017 को 130.75 तक पहुंच गया था।
नर्मदा बांध प्रोजेक्ट पर 75,000 करोड़ रुपए खर्च हुए
हाल ही मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कहा, नर्मदा बांध के जलाशय को अधिकतम स्तर तक ले जाने के लिए गुजरात को नर्मदा कमान प्राधिकरण से किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। हम सभी तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सावधानी से जलस्तर बढा रहे हैं। गुजरात सरकार ने भारत सरकार की सहायता के साथ नर्मदा बांध के लिये 75,000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।अभी पानी खेतों में ले जाने के लिये माईक्रो कैनल नेटवर्क का काम चल रहा है।
जल-विद्युत उत्पादन प्रणाली की सभी 6 इकाईयां 2 साल बाद शुरू
नर्मदा जलाशय से नदी में पानी के निर्वहन के कारण, नदी के जल-विद्युत उत्पादन प्रणाली की सभी 6 इकाईयां ऑपरेशन के 2 साल बाद शुरू हो गई हैं। बिजली पैदा करने के लिए 200 मेगावाट के 6 फ्रांसिस पंप-टर्बाइन हैं। जिनमें पंप-स्टोरेज क्षमता भी शामिल है। इसके अतिरिक्त, मुख्य नहर पर बिजली संयंत्र में पांच 50 मेगावाट टरबाइन-जनरेटर शामिल हैं। बिजली सुविधाओं की कुल स्थापित क्षमता 1,450 मेगावाट है। यानी पानी के साथ-साथ ही जनता को बिजली भी मिल रही है।
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